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सावन की शुरुआत से पहले बाबा बर्फानी ने दिए दर्शन, जम्मू-कश्मीर के एलजी ने की पूजा

श्रीनगर। सावन की शुरुआत से पहले बाबा अमरनाथ के इस साल पहले दर्शन हो गए हैं। आज जम्मू-कश्मीर के LG जीसी मुर्मू ने बाबा बर्फानी (अमरनाथ बाबा) की पूजा की। इस दौरान उनके साथ कुछ अधिकारी और पुजारी रहे। कोरोना वायरस महामारी के कारण इस पूजा में किसी आम श्रद्धालु को शामिल होने की अनुमति नहीं थी। लेकिन, अच्छी खबर यह रही है पहले बार इस पूजा का दूरदर्शन पर प्रसारण किया गया। ऐसे में श्रद्धालु ने घर बैठकर बाबा अमरनाथ के दर्शन किए।

कोविड-19 महामारी के मद्देनजर आगामी वार्षिक अमरनाथ यात्रा को ‘सीमित तरीके’ से आयोजित करने पर जोर देते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शनिवार को कहा कि सड़क मार्ग से 3,880 मीटर ऊंचाई पर स्थित पवित्र गुफा जाने के लिये रोजाना सिर्फ 500 यात्रियों को अनुमति दी जाएगी। प्रशासन ने यह भी कहा कि अमरनाथ तीर्थयात्रियों पर भी केंद्र शासित क्षेत्र में प्रवेश के दौरान की जाने वाली जांच की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लागू होगी।

मुख्य सचिव बी वी आर सुब्रमण्यम ने कहा, “इस साल यात्रा सीमित तरीके से की जाएगी जिससे यात्रा के दौरान कोविड-19 संबंधी मानक संचालन प्रक्रियाओं का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित हो सके…जम्मू से सड़क मार्ग से रोजाना अधिकतम 500 यात्रियों को ही जाने की अनुमति होगी।” वह उच्चतम न्यायालय द्वारा यहां यात्रा के लिये गठित उप-समित की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।

एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि बैठक में उन्होंने तीर्थयात्रियों की सुरक्षा समेत अन्य प्रबंधों की समीक्षा की। दो रास्तों अनंतनाग के पहलगाम और गंदेरबल के बालटाल से 42 दिनों तक चलने वाली यह यात्रा 23 जून से शुरू होने वाली थी लेकिन महामारी की वजह से इसमें विलंब हुआ। सूत्रों के मुताबिक श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) जुलाई के आखिरी हफ्ते में इस यात्रा को 15 दिन की संक्षिप्त अवधि के लिये संचालित करने की योजना बना रहा है।

‘यात्रा 2020’ की तैयारियों की समीक्षा के दौरान मुख्य सचिव ने कहा कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत गठित की गई राज्य कार्यकारी समिति ने मानक संचालन प्रक्रियाएं जारी की हैं और इसके तहत जम्मू-कश्मीर आने वाले शत प्रतिशत लोगों के लिए आरटीपीसीआर जांच की जानी है। उन्होंने कहा, “जम्मू-कश्मीर में आने वाले सभी लोगों के नमूने लेकर जांच की जाएगी और जब तक उनकी रिपोर्ट में संक्रमण नहीं मिलने की पुष्टि नहीं हो जाती तब तक वे पृथक-वास में रहेंगे।”

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