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शादी की पहली रात दूल्हे के साथ हुआ कुछ ऐसा, मातम में बदल गया ख़ुशी का माहौल

मधुबनी। बिहार के मधुबनी जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां के हरलाखी थाना क्षेत्र स्थित सुखवासी गांव में सांप के काटने से एक युवक की मौत हो गई। परिवार में पिछले एक हफ्ते से बेटे की शादी को लेकर हंसी-खुशी का माहौल था। अब उसी घर के आंगन में मातम पसरा है। जानकारी के मुताबिक, महज दो दिन पहले शादी के लिए बारात लेकर जाते वक्त घर के बड़े-बुजुर्गों ने बड़े अरमानों से जिस बेटे के सिर पर सेहरा सजाया था, सुहागरात को उसी बेटे का सिर कफन से ढकने को मजबूर होना पड़ा।

दरअसल, गुरुवार को सुहागरात पर दूल्हा-दुल्हन अपने कमरे में सो रहे थे। उसी दौरान कहीं से एक सांप निकला और दूल्हे को डस लिया जिससे उसकी मौत हो गई। हरलाखी थाना क्षेत्र के सुखवासी गांव निवासी नीतीश कुमार की शादी बुधवार की रात बासोपट्टी थाना क्षेत्र स्थित मढिया गांव निवासी जोगिन्दर राय की पुत्री से हुई थी। शादी की रात दोनों पक्षों में खुशी का माहौल था। शादी के अगले दिन यानी गुरुवार को पिता ने नम आंखों से अपनी पुत्री को दामाद के साथ विदा किया।

Snake bite

दुल्हन के ससुराल आने के बाद महिलाओं ने मंगल गीत गाकर सारी रस्में पूरी की। इसके बाद दूल्हा- दुल्हन को सुहागरात के लिए कोहबर में भेजा गया। लेकिन इस नव दंपति की खुशियां कुछ ही घंटों में गम में तब्दील हो गईं। ग्रामीणों के मुताबिक, लड़के को किसी विषैले सांप ने डसा था। ऐसे में बचने की उम्मीद कम ही लग रही थी। वहीं, घटना के बाद परिजनों ने मरीज को किसी अस्पताल या डॉक्टर के पास न ले जाकर झाड़-फूंक के लिए किसी तांत्रिक के पास चले गए।

जब तंत्र-मंत्र से कोई सुधार होता नहीं दिखा उसके बाद मरीज को बासोपट्टी पीएचसी ले जाया गया, लेकिन गंभीर हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने उसे मधुबनी रेफर कर दिया। आखिरकार मधुबनी में डॉक्टरों ने युवक को मृत घोषित कर दिया। सुखवासी गांव के सरपंच रमाशंकर ठाकुर का कहना है कि गांव लौटने के बाद कुछ ग्रामीणों के कहने पर शव को फिर से तांत्रिक के पास ले जाया गया। और दिनभर तांत्रिक के द्वारा झाड़-फूंक की प्रक्रिया चलती रही।

कहते हैं होनी को टाला नहीं जा सकता। लेकिन अभी भी हमारे समाज में अंधविश्वास का इस कदर बोलबाला है कि इलाज के लिए लोग डॉक्टर की बजाय तांत्रिक की शरण में जाना बेहतर समझते हैं। जरूरत है कि जल्द से जल्द इस तरह की मानसिकता से बाहर निकलने की और सर्पदंश के मरीजों को समय रहते डॉक्टर के पास ले जाने की।

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