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उत्तराखण्ड में आफत बनकर बरसे बादल

देहरादून। उत्तराखण्ड में आसमानी मुसीबत थमने का नाम नहीं ले रही है। आसमान से बादल आफत बनकर बरस रहे हैं। राज्य में पिछले छत्तीस घंटों से हो रही बारिश जिंदगी पर भारी गुजर रही है। चार और लोग मौत के मुंह में समा गए। राज्य में अब तक 24 घंटे में बारिश के कहर में मरने वालों की संख्या सात पहुंच गई है। यात्रा मार्गों के विभिन्न पड़ावों पर 900 यात्री फंसे हुए हैं। उत्तरकाशी जिले की यमुना घाटी का मुख्यालय से संपर्क कटने के कारण तीन लाख से ज्यादा लोग अलग-थलग पड़ गए हैं। बड़ी संख्या में मुख्य और संपर्क मार्ग मलबा आने से बाधित हैं। राज्य के कई इलाकों में आवासीय भवन व गोशालाएं क्षतिग्रस्त हो गईं। गोशालाओं में मवेशियों के मरने की भी सूचना है। खतरे की जद में आए भवनस्वामियों ने सुरक्षित स्थानों पर शरण ली है। भागीरथी, सरयू, शारदा और गोरी नदी लाल निशान पार गई, जबकि मंदाकिनी और अलकनंदा चेतावनी रेखा के आसपास बह रही हैं।

अलबत्ता, टिहरी झील का स्तर पर सामान्य स्तर पर है। हरिद्वार में रेलवे टनल में मलबा आने से हरिद्वार और देहरादून में रेल यातायात बाधित रहा। मौसम की खराबी के कारण मुख्यमंत्री हरीश रावत का लोहाघाट नहीं जा पाए। उन्हें वहां देवीधार महोत्सव में शिरकत करने के साथ ही विकास कार्यों का लोकार्पण व शिलान्यास करना था। दोपहर करीब साढ़े 12 बजे ऋषिकेश-गंगोत्री राजमार्ग पर टिहरी के पास पहाड़ी से आया मलबा वैगनआर कार को साथ खाई में ले गया। कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई, उसमें सवार चार लोग जिंदा दफन हो गए। राहत एवं बचाव दल ने बामुश्किल शव निकाले। बताया गया कि चारों दोस्त थे और ऋषिकेश से चंबा जा रहे थे।

रुद्रप्रयाग में कलक्ट्रेट परिसर स्थित जिलाधिकारी आवास का पुश्ता ढह गया। इसके मलबे से परिसर में खड़ी दो गाडि़यां क्षतिग्रस्त हो गई। केदारनाथ हाईवे गौरीकुंड और सोनप्रयाग में अवरुद्ध है। यही स्थिति बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मार्गों की भी है। यात्रा मार्गों पर पहाडिय़ों से रुक-रुक कर मलबा गिर रहा है। चारधाम यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर ठहरने के लिए कहा जा रहा है। गंगोत्री और यमुनोत्री के पड़ावों पर लगभग 500 कांवडि़ये पूरे दिन फंसे रहे, देर शाम वे उत्तरकाशी पहुंच गए। कुमाऊं मंडल के पर्वतीय इलाकों में आधा दर्जन आवासीय मकान ढह गए। हालांकि, अभी तक कहीं से जनहानि की खबर नहीं है। एक दर्जन मुख्य मार्गों समेत 50 से अधिक सड़कों पर मलबा आने के चलते यातायात का संचालन रोक दिया गया है। बागेश्वर, अल्मोड़ा, नैनीताल, और पिथौरागढ़ जिले के कुछ गांवों पर भूस्खलन का खतरा मंडराने लगा है। पांच परिवारों ने घर छोड़ दिए हैं।

राज्यभर में नदियों का जल प्रवाह सांसें रोक रहा है। गंगोत्री में भागीरथी नदी के उफान से सहमे व्यापारियों और यात्रियों रतजगा किया। भागीरथी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। नदी के किनारे बने भवनों के आस पास भू-कटाव जारी है। घाटों के किनारे कटाव को रोकने के लिए बनाए गए पांच पिल्लर बह गए। ङ्क्षसचाई विभाग के निरीक्षण भवन सहित दर्जन भर भवन खतरे की जद में आ गए हैं।
ऊधमसिंह नगर जिले के शक्तिफार्म में सूखी व बेगुल नदी की बाढ़ का पानी घुस गया। पुलिस व स्थानीय प्रशासन ने 78 लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। 65 परिवारों ने बाढ़ राहत शिविर में शरण ली है। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने देहरादून में आपदा परिचालन केंद्र से जिलों की स्थिति के बारे में जायजा लिया। उन्होंने जिला अधिकारियों से फोन पर बताकर स्थित के बारे में जाना। साथ ही उन्होंने जिलाधिकारियों को जरूरी निर्देश भी दिए।

मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ शब्दों में कहा है कि 14वें वित्त आयोग में उत्तराखंड को जो नुकसान हुआ है, केंद्र उसकी भरपाई करेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली के आश्वासन के बाद अब भारत सरकार स्पेशल ग्रांट से राज्य के नुकसान की भरपाई की जाएगी। मुख्यमंत्री रावत ने आगे कहा कि प्रदेश सरकार की बड़ी समस्या के समाधान के लिए केन्द्र सरकार ग्रीन बोनस में उत्तराखंड को 40 हजार करोड़ का सहयोग करेगी। साथ ही आपदा में डॉप्लर रडार और चीन की सीमा से सटे सड़कों के निर्माण में भी केंद्र सहयोग करेगा। आपदा के पुनर्वास के लिए 400 गावों के लिए प्रदेश सरकार ने 2000 करोड़ रूपये का प्रस्ताव रखा है। इसके अलावा पुलिस बल के आधुनिकीकरण के लिए स्पेशल पैकेज की भी प्रदेश सरकार ने केंद्र से मांग की है। प्रदेश सरकार ने केंद्र से आग्रह किया है कि उत्तराखंड जैसे हिमालयी राज्य के लिए सिंगल इंस्टिट्यूशनल मैकेनिज्म दिया जाये। बहरहाल संकट के दौर से गुजरते हुए उत्तराखण्ड को केन्द्र से कब तक राहत मिल पायेगी ये कहना अभी मुश्किल है।

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