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अगर भारत-पाक के बीच परमाणु जंग छिड़ी तो..

भारत और पाकिस्तान के बीच इन दिनों कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। जम्मू कश्मीर के उरी में सेना के जवानों के उपर हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। इस तनाव के कारण दोनों देशों के बीच जंग की संभावना भी बढ़ गई है। यदि जानकारों की मानें तो अगर भारत—पाक के बीच युद्ध होता है तो परमाणु हथियारों के इस्तेमाल किये जाने की भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता जो एक बड़ी तबाही का संकेत है।

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के एक शीर्ष अधिकारी का मानना है कि भारत और पाकिस्तान का इतिहास बहुत पेचीदा रहा है जिसमें दुश्मनी, अविश्वास, और टकराव के तत्व शामिल रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस्लामाबाद अपने पड़ोसी देश के खिलाफ आतंकवादियों को समर्थन देना जारी रखता है तो दोनों के बीच परमाणु युद्ध हो सकता है। अंडर सेक्रेटरी ऑफ डिफेंस फार पॉलसी पद की पुष्टि के लिये सीनेट सशस्त्र सेवा समिति की सुनवाई के दौरान लिखित जवाब में जेम्स मिलर ने कहा, भारत को निशाना बनाने वाले हिंसक अतिवादी संगठनों की पाकिस्तानी सेना के तत्वों और खुफिया सेवाओं की ओर से मदद जारी रहने से सैन्य संघर्ष हो सकता है जो शीघ्र ही परमाणु युद्ध में बदल सकता है। उन्होंने माना कि भारत और पाकिस्तान का इतिहास काफी जटिल रहा है जिसमें दुश्मनी, अविश्वास, और टकराव के तत्व शामिल रहे हैं। मिलर ने कहा कि समग्र संवाद के जरिये बातचीत के प्रयास से मुख्य सुरक्षा मुद्दों विशेषकर क्षेत्रीय विवादों के प्रस्ताव के संबंध में कुछ ठोस परिणाम आए हैं।

जिस तरह दोनों देशों के बीच तनातनी बढ़ रही है उसे देखकर लग रहा है कि एक हल्की सी अनजाने में की गई गलती भी दोनों देशों को युद्ध में झोंक सकती है। भारत के लिए युद्ध भले ही जमीन और पारंपरिक स्तर पर हो लेकिन पाकिस्तान अगर भारत से युद्ध करेंगा तो उसकी इस तरह के युद्ध में दिलचस्पी नहीं होंगी। वह आर पार की लड़ाई लड़ेगा। वह परमाणु बम और मिसाइलों का प्रयोग करेंगा। हालांकि यह एक प्रकार का आत्मघाती प्रयास होगा जिसमें कि पाकिस्तान के नाम पर रोने वाला भी कोई नहीं बचेगा, लेकिन सिर्फ पाकिस्तान की मौत की खबर सुनकर खुश होने की जरुरत नहीं है क्योंकि भारत भी एक ऐसे अपाहिज की जिंदगी जिएंगा जो कभी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाएगा। उसके भी करीब 50 करोड़ लोग मारे जाएंगे और आधे से ज्यादा हिस्सा हमेशा के लिए बरबाद हो जाएगा।
कुछ इंटरनेशनल रिपोर्ट के आधार पर बताया गया है कि भारत—पाक में अगर परमाणु युद्ध हुआ तो इसके भयंकर परिणाम इन दोनों देशों को ही नहीं बल्कि दुनिया को भी भुगतन पड़ेंगे। पूरी दुनिया अपने खात्में की तरफ बढ़ जाएंगी।

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के कार्यकाल पर आधारित एक पुस्तक में दावा किया गया था कि अगर भारत पाकिस्तान का परमाणु युद्ध होता है तो भारत के 50 करोड़ लोग मारे जाएंगे। इसके बदले में भारत, पाकिस्तान को पूरा बर्बाद कर देंगा। कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि अगर छोटे से इलाके में भी परमाणु युद्ध होता है और अगर वे देश एक-दूसरे के बड़े शहरों पर हिरोशिमा जितने कम क्षमता वाले 50 एटम बम भी गिराते हैं तो स्ट्रैटॉस्फीयर (आसमान की निचली परत) में कार्बन का भयानक धुआं इकट्ठा हो सकता है। यह धुआं लंबे समय तक बना रहा तो दुनिया भर में मौसम बहुत ज्यादा ठंडा हो जाएगा, जो अधिकांश खेतीबाड़ी को चौपट कर सकता है। 80 के दशक में वैज्ञानिकों ने परमाणु युद्ध के क्लाइमेट पर संभावित असर के बारे में रिसर्च की थी। इससे पता चला था कि परमाणु युद्ध से पैदा हुआ विशाल मलबा और धुआं सूर्य की रोशनी को दशकों तक रोक सकता है। नतीजतन पृथ्वी पर न्यूक्लियर विंटर की नौबत आ सकती है। इससे कई तरह की वनस्पति और पशु-पक्षी मारे जाएंगे। जैव संतुलन बिगड़ जाएगा। अकाल पड़ेंगे। इसके परिणामस्वरूप वे लोग भी प्रभावित होंगे, जो परमाणु धमाके की सीधी चपेट में नहीं आए होंगे।

युद्ध कहीं भी और कभी भी हो, उसके परिणाम भयावह होते हैं, पर इतिहास हमें बताता है कि छोटे-बड़े कई देशों की स्थापना और तबाही इन्ही युद्धों से हुई है। युद्धों ने प्राचीनकाल से दुनिया का भूगोल बदला है और भारत-पाक के बीच होने वाला चौथा संभावित युद्ध भी भू-राजनीतिक परिदृश्य बदल सकता है। अमेरिका के वायुमंडलीय और पर्यावरणीय वैज्ञानिकों के चार सदस्यीय एक दल ने एक अध्ययन इस बात को जानने के लिए किया है कि अगर सीमित स्तर पर क्षेत्रीय परमाणु युद्ध का आगाज हो जाए तो क्या होगा। इसके लिए वैज्ञानिकों ने भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध की कल्पना करते हुए दुनिया पर उसके दुष्प्रभाव का आकलन करने की कोशिश की है। वैज्ञानिकों का मानना है कि हालांकि इस तरह से किसी भी दो देशों को बीच ऐसी कल्पना गलत है। चूंकि भारत और पाकिस्तान परमाणु क्लब के देशों में शामिल होने वाले सबसे छोटे जखीरे वाले देश हैं। अगर इनके बीच युद्ध होने पर यह भयावह दृश्य हो सकता है तो महाशक्तियों के बीच जंग की तस्वीर को तो सोचा भी नहीं जा सकता है। वैज्ञानिकों ने इस शोध के कंप्यूटर मॉडल तैयार करके उस हालात की भयावह तस्वीर देखने की कोशिश की है। यह शोध प्रतिष्ठित जर्नल ‘अर्थ फ्यूचर’ के हालिया अंक में प्रकाशित हुआ है।

यदि परमाणु युद्ध के भयावह परिणमों के बारे में बात करें तो पारमाणु विस्फोटों के तुरंत बाद पांच मेगाटन ब्लैक कार्बन वायुमंडल में प्रवेश कर जाएगा। ब्लैक कार्बन चीजों के जलने के बाद उत्पन्न होता है और यह धरती पर पहुंचने से पहले सूर्य की ऊष्मा को सोख लेता है। एक साल के बाद धरती का तापमान करीब दो डिग्री फॉरेनहाइट गिर जाएगा। पांच साल बाद धरती औसतन आज की तुलना में तीन डिग्री ठंडी हो जाएगी। हालांकि बीस साल बाद फिर से इसका तापमान एक डिग्री बढ़ जाएगा। फिर भी यह परमाणु युद्ध के पहले की स्थिति से ठंडी ही रहेगी। पृथ्वी के गिरते तापमान के चलते इस पर होने वाली बारिश की मात्रा कम हो जाएगी। जंग के पांच साल बाद सामान्य की तुलना में बारिश में नौ फीसद कमी आ जाएगी। 26 साल बाद धरती पर परमाणु युद्ध होने से पहले की स्थिति से 4.5 फीसद कम बरसात होगी।

वैज्ञानिकों की टीम ने यह परिकल्पित किया कि अगर भारतीय उपमहाद्वीप में 100 परमाणु हथियार गिरा दिए जाएं और प्रत्येक परमाणु बम आकार और मारक क्षमता में अमेरिका द्वारा हिरोशिमा पर गिराए गए बम यानी 16 किलोटन के बराबर हो तो कैसा भयावह मंजर होगा। जंग के 2 से 6 साल के भीतर फसली चक्र 10 से 40 दिन छोटा हो जाएगा। यह क्षेत्र पर निर्भर करेगा। वायुमंडल में होने वाली रासायनिक क्रियाएं धरती को सूरज की पराबैंगनी किरणों से बचाने वाली ओजोन परत को खत्म कर देंगी। जंग के पांच साल बाद ओजोन परत 20-25 फीसद पतली हो जाएगी। हालांकि दस साल बाद तक इसमें कुछ सुधार आएगा लेकिन तब भी इसकी मोटाई सामान्य की तुलना में 8 फीसद कम ही रहेगी। पराबैंगनी किरणों से सुरक्षा स्तर में कमी होने के चलते लोगों में सन बर्न और त्वचा के कैंसर जैसे रोग बढ़ेंगे। पौधों की वृद्धि प्रभावित होगी तो कुछ फसलों के डीएनए [डी ऑक्सी राइबो न्यूक्लियक एसिड] अस्थिर हो जाएंगे। फलस्वरूप करीब दो अरब लोग भूखे रहने पर अभिशप्त हो सकते हैं।

इतिहास गवाह है कि जंग से किसी का भी भला नहीं हुआ है। यदि भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई हुई तो परमाणु हथियारों के प्रयोग की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में करोड़ों लोग मारे जायेंगे और लाखों लोग गंभीर रूप से घायल हो जायेंगे जिनका उपचार बेहद मुश्किल होगा, भारी मात्रा में तबाही होगी। पाकिस्तान तो मजह कुछ ही देर में दुनिया के नक्शे से गायब हो जायेगा मगर भारत के साथ भी अच्छा नहीं होगा। यहां हुई तबाही को नियंत्रित करने के लिए एशिया समेत दुनिया के कई देशों को एक बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना होगा और अपनी पूरी ताकत झोंक देनी होगी। जलवायु समेत यहां की मिट्टी और वनस्पतियां भी प्रभावित होंगी। जो आने वाले कई सालों तक अपने पुराने रूप में नहीं लौट पायेंगी। साथ ही आने वाली कई पीढ़ियों में इसका असर देखने को मिलेगा। भोपाल गैस त्रासदी और हिरोशिमा जैसे उदाहरण ये बताने के लिए काफी हैं। इसके साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था भी पूरी तरह से बिगड़ जायेगी। ऐसी स्थिति में भारत लगभग तीस साल पीछे पंहुच जायेगा। यदि अमेरिका का ही उदाहरण लें तो उसने इराक और अफगानिस्तान पर हमला तो किया लेकिन उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी उसकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से गड़बड़ा गयी और आज भी अमेरिका मंदी के दौर से गुजर रहा है। बहरहाल भारत को इस मुद्दे पर बहुत सोच—समझकर कोई कूटनीतिक कदम उठाना होगा। पाकिस्तान का मकसद सिर्फ भारत को बर्बाद करना है फिर चाहे उसे पूरी तरह तबाह ही क्यों न होना पड़ जाये।

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