अब ‘हनुमान’ बनेंगे सीएम ‘रावत’

देहरादून। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री हरीश रावत अब ‘हनुमान’ बनने जा रहे हैं। चोैंकिये मत ऐसा सचमुच में नही होने जा रहा बल्कि सीएम रावत ऐसा कुछ करने जा रहे हैं जो रामायण में भगवान पवनपुत्र हनुमान जी ने किया था। दरअसल उत्तराखण्ड सरकार अब संजीवनी बूटी की तलाश करने जा रही है। जी हां, ये वही संजीवनी बूटी है जिसका जिक्र रामायण की कथा में किया गया है। कथा के अनुसार युद्ध में लक्ष्मण के मूर्छित होने पर हनुमान जी संजीवनी बूटी की तलाश में हिमालय पर्वत गये थे और बूटी ना मिलने पर पूरा पर्वत ही उठा लाये थे। कुछ ऐसा ही करने का बीड़ा उठाने जा रही है अब उत्तराखण्ड सरकार। संजीवनी की तलाश को मुख्यमंत्री रावत के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया जा रहा है जो जल्द ही अपना काम शुरू कर देगी।
उत्तराखंड में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की अधूरी कोशिश के बाद अब मौजूदा कांग्रेस सरकार उच्च हिमालयी क्षेत्र में संजीवनी बूटी तलाशने जा रही है। जीवनरक्षक औषधीय गुणों से भरपूर वही संजीवनी बूटी, जिसके उपयोग से त्रेतायुग में सुषैन वैद्य ने मृतशैय्या पर पड़े दशरथ पुत्र लक्ष्मण के प्राण बचाए थे। आयुष मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी के निर्देश पर आयुष विभाग ने इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए पांच सदस्यीय कमेटी के गठन का प्रस्ताव शासन को भेजा है। इस प्रस्ताव पर शासन की मुहर लगते ही कमेटी में शामिल आयुर्वेद विशेषज्ञ संजीवनी बूटी की तलाश में द्रोणागिरी पर्वत की ओर रवाना होंगे।
कुछ समय पूर्व दिल्ली में सभी राज्यों के आयुष मंत्रियों के सेमिनार में उत्तराखंड के आयुष मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद येसो नाइक के समक्ष यह प्रस्ताव रखा था। उन्होंने उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित द्रोणागिरी पर्वत पर संजीवनी बूटी की तलाश के अभियान को आगे बढ़ाने के लिए वित्तीय मदद की मांग की थी। केंद्र से कोई जवाब नहीं मिलने पर अब राज्य सरकार ने अपने बूते ही इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने का फैसला किया है।
रामायण में हनुमान द्वारा संजीवनी बूटी की पहचान न होने पर जिस द्रोणागिरी का बड़ा हिस्सा उखाड़कर लंका ले जाने का वर्णन है, वह उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। इससे पूर्व वर्ष 2008 में योगगुरु रामदेव के शिष्य बालकृष्ण ने भी द्रोणागिरी पर्वत में संजीवनी तलाश का अभियान चलाया था। साथ ही, जीवनरक्षक व चमत्कारिक गुणों से भरपूर संजीवनी बूटी तलाशने का दावा भी किया था।
बाबा रामदेव की दिव्य योग फार्मेसी में इस बूटी पर कई शोध भी किए। वर्ष 2009 में प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार ने भी संजीवनी बूटी की तलाश के लिए एक कमेटी गठित की थी, मगर कमेटी के गठन के बाद यह कोशिश आगे नहीं बढ़ पाई। अब राज्य की मौजूदा कांग्रेस सरकार ने इसका बीड़ा उठाया है। आयुष विभाग की ओर से इसके लिए पांच सदस्यीय कमेटी के गठन का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।