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‘आप’ को बदनाम करने की साजिश

देश की सूरत बदलने के उद्देश्य को लेकर राजनीति में कदम रखने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अरविन्द केजरीवाल ने अपने कुछ सहयोगियों के साथ मिलकर ‘आम आदमी पार्टी’ (आप) का गठन किया। केजरीवाल अपने समर्थकों के साथ मिलकर पार्टी के उद्देश्यों को लेकर जनता के बीच गये और आम आदमी पार्टी के लक्ष्य और उद्देश्यों से जनता को रूबरू कराया। जनता ने भी पार्टी को अपना पूरा सहयोग दिया और पार्टी की गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। फलस्वरूप वर्ष 2013 में दिल्ली में हुए विधानसभा के चुनाव में आम आदमी पार्टी को भारी बहुमत मिला। ‘आप’ ने अपने पहले विधानसभा चुनाव में जनता का भरपूर स्नेह प्राप्त किया और कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनायी और अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गये। केजरीवाल के सीएम पद संभालते ही मानों दिल्ली की सियासत में भूचाल आ गया हो। देखते ही देखते अरविन्द केजरीवाल देश के प्रिय नेता बन गये। उन्होंने तेजी लोकप्रियता बटोरी। मीडिया ने भी उन्हें खूब हाथों—हाथ लिया। किन्तु विपक्षी दलों भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस को केजरीवाल की बढ़ती लोकप्रियता सेे खतरा महसूस होने लगा।

उनके विरोधियों ने केजरीवाल के रास्ते में रोड़े अटकाने के वो सारे प्रयास किये जो वे कर सकते थे। परिणाम स्वरूप 49 दिनों बाद ही फरवरी 2014 में अरविन्द केजरीवाल ने अपने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया, किन्तु अब तक जनता सब कुछ समझ चुकी थी। देश की जनता को ये साफ दिखायी दे रहा था कि अरविन्द केजरीवाल और उनकी टीम को स्वतंत्र होकर काम नहीं करने दिया जा रहा है। किन्तु टीम केजरीवाल ने हिम्मत नहीं हारी और लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई। इस बार अरविन्द ने बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को ललकारा और उनके खिलाफ उन्हीं की सीट वाराणसी से लोकसभा का चुनाव लड़ा। केजरीवाल को प्रचार के लिए पूरा समय भी नहीं मिल पाया था। केजरीवाल का ये कदम राजनीतिक आत्महत्या करना जैसा ही था और शायद ही कोई राजनेता ऐसा करने का साहस जुटा पाये। किन्तु अरविन्द राजनीति में शुरू से वही कार्य ही करते आ रहे थे जो किसी ने न किया हो।

केजरीवाल चुनाव तो हार गये मगर जनता का दिल उन्होंने जरूर जीत लिया। राजनीतिक विशलेषकों ने केजरीवाल के साहस की जमकर सराहना की। इस चुनाव में पहली बार भाग्य आजमा रही आम आदमी पार्टी ने पहली ही बार में पंजाब में चार सीटों पर जीत हासिल की। इस ऐतिहासिक सफलता ने पार्टी के प्रत्येक सदस्य के मनोबल को और उंचा कर दिया। इधर दिल्ली में एक बार फिर विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई। जहां एक ओर ‘आप’ के विरोधी दल केजरीवाल और उनकी नीतियों का विरोध करते नहीं थक रहे थे वहीं ‘आप’ का प्रत्येक पदाधिकारी और हर एक कार्यकर्ता अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए पूरी निष्ठा के साथ जनता के बीच जाकर पार्टी की मजबूती के लिए कार्य कर रहा था। आखिरकार मेहनत रंग लायी और 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अपने विरोधियों भाजपा और कांग्रेस को करारा जवाब देते हुए दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों में से सबसे अधिक 67 सीटों पर जीत दर्ज की।
अरविन्द केजरीवाल अब एक बार फिर से दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गये।

इस बार वे पूरे बहुमत के साथ सीएम बने थे, जाहिर है उनका आत्मविश्वास भी चरम पर होगा। दिल्ली की जनता के हितों को मद्देनजर रखते हुए केजरीवाल ने तेजी से काम करना शुरू कर दिया किन्तु उनके विरोधियों को केजरीवाल का ये कदम भी नागवार गुजरा। शुरू से लेकर आज तक आम आदमी पार्टी के कट्टर विरोधी भाजपा व कांग्रेस ‘आप’ के पीछे हाथ धोकर पड़े हैं। जहां ‘आप’ का मकसद देश को स्वच्छ राजनीति देना है और देश की सूरत बदलना है तो वहीं उनके विरोधियों का उद्देश्य आम आदमी पार्टी को खत्म कर उसे जड़ से उखाड़ फेंकना है। इसके लिए ‘आप’ विरोधी हर वो हथकंडे अपना रहे हैं जो उनके बस में हैं। कहना न होगा कि आम आदमी पार्टी के खिलाफ देशभर में एक बड़ी साजिश को अंजाम दिया जा रहा है।

यदि शुरूआत से ही जिक्र करें तो पहली बार कांग्रेस ने विधानसभा में ‘आप’ को समर्थन तो दिया था किन्तु वो ही पार्टी ‘आप’ के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन करते हुए एवं कैमरों के आगे आग उगलते हुए भी नजर आयी थीं। वहीं दूसरी ओर भाजपा के मुख्य निशाने पर इन दिनों आम आदमी पार्टी ही है। बीजेपी अपनी पुरानी विरोधी कांग्रेस को छोड़ इन दिनों ‘आप’ को टारगेट किये हुए है। आप को बदनाम करने व उसकी जड़े हिलाने की कवायद में कभी ‘खिड़की एक्सटेंशन’ तो कभी ‘एलजी विवाद’ को जन्म दिया जाता है। कभी सीएम के सचिवों के दफ्तरों पर रेड की जाती है तो कभी ‘आप’ विधायकों पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें फंसाया जाता है। यहां हर वो साजिश की जा रही है जिससे इस पार्टी की जड़े उखड़ सकें। दिल्ली और पंजाब समेत देशभर में तेजी से लोकप्रियता बटोर रही ‘आप’ को दिल्ली के बाद अब पंजाब में घेरने की कवायद में विरोधी पूरी तरह से जुट चुके हैं। वहां सुच्चा सिंह और नवजोत सिंह सिद्धु के नामों को लेकर नये—नये विवादों को जन्म दिया जा रहा है। वास्तव में आम आदमी पार्टी भाजपा और कांग्रेस जैसे दलों के लिए अब एक बड़ा खतरा बन चुकी है। जिसे आगे बढ़ने से रोक पाना इन दलों को टेढ़ी खीर नजर आ रहा है। जिसके चलते ‘आप’ के खिलाफ रोज एक नई साजिश को अंजाम दिया जा रहा है। किन्तु इतिहास गवाह है कि अन्त में जीत सत्य की ही होती है।

प्रस्तुतिः— त्रिलोक चन्द्र

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