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आस्था की आड़ में नशे को बढ़ावा

देहरादून। इन दिनों श्रावणमास चल रहा है। राज्य के कई शहरों में कावण यात्रा भी चल रही है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सावन मास भगवान शंकर का सबसे पसंदीदा महीना है तथा इस महीने में भगवान शंकर की उपासना करने एवं उनका अभिषेक करने से वे अति प्रसन्न हो जाते हैं तथा भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। इसमें को कोई संदेह नहीं कि भक्ति में शक्ति होती है। और ईश्वर भक्ति से ही मनुष्य के कर्मों की राह आसान होती है किन्तु कुछ लोग इस भक्ति की आड़ में भोले को प्रसन्न करने के नाम पर खूब नशे का सेवन करते हैं जो उनकी आस्था पर तो सवालिया निशान खड़ा करता ही है साथ ही ऐसा करना स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ भी है।

गौरतलब है कि उत्तराखण्ड के हरिद्वार में इन दिनों कावंड़ मेला चल रहा है। इन दिनों देश के अलग-अलग शहरों से हजारों की संख्या में यात्री कांवड़ लेकर हरिद्वार पंहुच रहे हैं। ये यात्री हरिद्वार से गंगाजल लेकर वापिस अपने गंतव्य की ओर रवाना हो जाते हैं किन्तु इन कांवड़ियों की भीड़ में हर वर्ष कई नशेड़ी युवक भी हरिद्वार का रूख करते हैं जो कांवड़ यात्रा की आड़ में शिव के नाम पर खूब नशा करते हैं और हुड़दंग मचाते हैं। ऐसे युवकों का मानना है कि भगवान शंकर भी नशे का सेवन करते थे और वे इस नशे को भोले का प्रसाद समझकर ही ग्रहण कर रहे हैं। इन नशेड़ी युवकों की ये दलील जहां एक ओर भगवान का अपमान और आस्था से खिलवाड़ कर रही है तो वहीं ऐसा करना स्वास्थ्य के लिए भी बेहद हानिकारक है। कांवड़ यात्रा के दौरान हर साल सैकड़ों नशेड़ी युवक महज मस्ती करने के उद्देश्य से घूमने हरिद्वार आते हैं। हरिद्वार आकर ये नशेड़ी युवक भांग, चरस, अफीम और गांजे से जैसे मादक पदार्थों का जमकर सेवन करते हैं और उसके बाद शुरू होता है इनका उत्पात। इन युवकों की मस्ती महज हरिद्वार तक सीमित नहीं रहती। नशे में चूर ये युवा अपने वाहनों पर सवार होकर घूमते हुए ऋषिकेश, नीलकण्ठ, देहरादून और मसूरी आदि शहरों की ओर निकल पड़ते हैं जहां कई मर्तबा ऐसे नशेड़ी युवाओं को युवतियों एवं महिलाओं से छेड़छाड़ करते एवं दुकानदारों से मारपीट करते हुए तथा सड़कों पर हुड़दंग मचाते हुए देखा गया है।

बताते चलें कि नशेड़ी कांवड़ियों के उत्पात से बचने के लिए कुछ वर्ष पूर्व जिला प्रशासन ने कांवड़ियों के वाहनों पर डीजे बजाकर नांचने एवं देहरादून नगर में प्रवेश करने पर रोक लगा दी थी, बावजूद इसके सैकड़ों की तादात में कांवड़िये धड़ल्ले से देहरादून की सड़कों पर उत्पात मचाते एवं दोपहिया वाहनों पर तीन की संख्या में सवार होकर मसूरी की ओर रवाना होते हुए आसानी से देखे जा सकते हैं। कांवड़ियों के द्वारा उत्पात और दुर्घटनाओं की खबरें आये दिन सुर्खियों में छायी रहती हैं। बताते चलें कि ये वहीं नशेड़ी युवा होते हैं जो कांवड़ यात्रा की आड़ में महज मौज-मस्ती करने के उद्देश्य से देवभूमि का रूख करते हैं। ऐसे लोग अपने आचरण से जहां पवित्र कांवड़ यात्रा को बदनाम करने का कार्य कर रहे हैं वहीं दुर्घटनाओं को अंजाम देकर समाज के लिए भी बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं। ऐसे नशेड़ी युवकों को प्रतिबंधित कर व उन्हें सजा देकर ही सावन मास की प्रिय इस कांवड़ यात्रा की पवित्रता को बचाया जा सकता है। प्रशासन को इस ओर सख्त कदम उठाने होंगे जिससे ऐसे इन नशेड़ियों पर नकेल कस सके।

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