Uttarakhand

इस साल भी तैयार नहीं हो पायेंगे फ्लाईओवर ?

देहरादून। राजधानी देहरादून के बहुप्रतिक्षित फ्लाईओवर इस साल भी पूरी तरह बनकर तैयार नहीं हो पायेंगे। फ्लाईओवर निर्णाम कार्य की सुस्त चाल को देखकर तो ऐसा ही प्रतीत हो रहा है। शासन और प्रशासन की फटकार के बावजूद भी फ्लाईओवरों का निर्माण कर रही कम्पनी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। परिणाम स्वरूप निर्माण कार्य की सुस्त चाल बरकरार है।
गौरतलब है कि तीन दिन पूर्व राष्ट्रपति शासन के दौरान उत्तराखण्ड के महामहिम राज्यपाल के. के. पाॅल ने देहरादून में बन रहे इन फ्लाईओवरों के निर्माण कार्य का जायजा लिया था और इनके निर्माण की सुस्त चाल पर अपनी नाराजगी भी जाहिर की थी, बावजूद इसके आज भी फ्लाईओवरों के निर्माण के कार्यों में कोई गति नहीं आयी है और कार्य की सुस्त चाल बदस्तूर जारी है। इस वजह से दून वासियों की मुसीबतें बढ़ती ही जा रही हैं। फ्लाईओवरों के लिए मंगायी गई निर्माण सामग्री सड़कों के किनारे यहां-वहां बिखर पड़ी है जिसमें फिसलकर आये दिन वाहन चालक व राहगीर चोटिल हो रहे हैं। सड़कों पर फैली इस निर्माण सामग्री की वजह से इन रास्तों पर लम्बा जाम लगा रहता है जिससे यातायात घण्टों तक प्रभावित रहता है।
बताते चलें कि महामहिम राज्यपाल के दौर के चलते निर्माण कम्पनी के द्वारा व्यवस्थाओं को कुछ समय के लिए दुरूस्त कर लिया गया था किन्तु उनके दौरे के तुरन्त बाद ही सब कुछ पहले जैसा ही हो गया। फ्लाईओवरों के निर्माण की साइट पर गिने-चुने मजदूर ही काम करते दिखायी पड़ रहे हैं और जो काम कर भी रहे हैं तो वे भी लापरवाही के साथ इस काम को अंजाम दे रहे हैं। सुरक्षा के नाम पर इसके सिरों पर हेलमेट तक नहीं हैं। लोहे पर मजदूरों द्वारा की जा रही वैल्डिंग की चिंगारियां खुलेआम राहगीरों पर गिर रही हैं साथ ही कई लीटर पानी सड़कों पर बेवजह बहाकर बर्बाद किया जा रहा है। धूल-मिट्टी आसपास के घरों में घुसकर दीवारों पर पूरी तरह जम चुकी। जिसको लेकर राज्यपाल ने निर्माण कर रहे लोगों को फटकार भी लगाई थी किन्तु फिर भी कुछ नहीं बदला और ऐसा प्रतीत हो है कि बदलने वाला भी नहीं है। ऐसे में यही कयास लगाये जा रहे हैं कि दून वासियों को इन फ्लाईओवरों पर दौड़ने के लिए अभी और लम्बा इंतजार करना पड़ सकता है। शायद इस साल भी ये फ्लाईओवर पूरी तरह बनकर तैयार नहीं हो पायेंगे।

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