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कश्मीर पर विपक्ष ने सरकार को घेरा

नई दिल्ली। देश में इन दिनों कश्मीर का मुद्दा छाया हुआ है। कश्मीर के ज्वलंत हालातों पर देश में चर्चाएं जोरों पर हैं। इसी मुद्दे पर सदन में बुधवार को विपक्ष ने सरकार को घेरा। कश्मीर की मौजूदा स्थिति पर गहरी चिंता जताते हुए विपक्ष ने आज राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और इस विषय पर सर्वदलीय बैठक बुलाने तथा एक प्रतिनिधिमंडल वहां भेजने की मांग की वहीं सत्तापक्ष ने कहा कि कुछ लोगों के अलगाववादियों के प्रभाव में आकर काम करने के कारण यह स्थिति बनी है।

कश्मीर घाटी में वर्तमान स्थिति पर राज्यसभा में चर्चा की शुरूआत करते हुए विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वहां की स्थिति को सामान्य कानून व्यवस्था का विषय नहीं मानना चाहिए। इस क्रम में उन्होंने प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार पर विशेष रूप से निशाना साधा। इसके साथ ही उन्होंने सर्वदलीय बैठक बुलाने और एक प्रतिनिधिमंडल वहां भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने संसद में कश्मीर के संबंध में कोई बयान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि दलितों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने तेलंगाना से बयान दिया और उन्होंने मध्य प्रदेश से कश्मीर को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कश्मीर से सिर्फ उसकी खूबसूरती, उसके पहाड़ों, झरनों के लिए प्यार नहीं करना चाहिए बल्कि वहां के लोगों, बच्चों से प्यार करना चाहिए जिनकी आंखें पैलेट गन के कारण चली गयीं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कश्मीरियत, इंसानियत, जम्हूरियत के संबंध में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बयान को उद्धृत किया है। लेकिन ऐसी बातें वाजपेयी के मुंह से ही अच्छी लगती थीं। लेकिन जो लोग इस पर भरोसा नहीं करते, वे भी ऐसी बात बोलते हैं तो अटपटा लगता है। आजाद की कुछ बातों पर सत्ता पक्ष ने आपत्ति जतायी और वित्त मंत्री एवं सदन के नेता अरुण जेटली ने कहा कि कश्मीर की स्थिति है और ऐसे में आवश्यक है कि जहां तक संभव हो, हम एक स्वर में बात करें। उन्होंने कहा कि कई ऐसे ऐतिहासिक मुद्दे रहे हैं जहां हमारे मतभेद रहे हैं। लेकिन यह मौका उन पर चर्चा का नहीं है। उन्होंने सदस्यों से अनुरोध किया कि वे चर्चा में राष्ट्रीय दृष्टिकोण सामने रखें।

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