दून में तैयार हो रहा “खतरा”
देहरादून। तेजी से विकास की ओर अग्रसर होती हुई ‘दून घाटी’ में आज लगभग वो हर चीज उपलब्ध है जिसका आधुनिकता से सरोकार हो। महानगर बनने की रफ्तार में देहरादून शहर आज काफी आगे निकल चुका है, इतना आगे कि यहाँ सभी नियमों को ताक पर रखकर विकास किया जा रहा है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड को पृथक राज्य के रुप में अस्तित्व में आने के बाद विकास के नाम पर यहाँ अंधाधुंध भवन एवं अन्य निर्माण कार्य होने लगे। कहना न होगा कि तेजी से होते हुए इन निर्माण कार्यों के चलते सभी नियमों को ताक पर रख दिया गया। राज्य बनने के बाद से ही यहाँ भूमाफिया और बिल्डर लाॅबी का बोलबाला होने लगा। इन भूमाफियाओं और बिल्डरों की कारगुजारियों के चलते दून के महज मैदानी क्षेत्रों ही नहीं बल्कि पहाड़ों को भी काटकर भवन निर्माण कर दिये गये, फलस्वरूप देहरादून शहर आज कंक्रीट के जंगल में बदल चुका है।
ये रफ्तार अब सिर्फ जमीन तक सीमित नहीं रह गई है बल्कि अब गगनचुम्बी ईमारतें दून में खड़ी होने लगी हैं। बताते चलें कि देहरादून भूकम्प प्रभावित क्षेत्र में आता हैं जिस वजह से यहाँ ऊंची ईमारतें नहीं बनायी जा सकती किन्तु मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण एवं स्थानीय प्रशासन की रजामंदी से अब नगर में गगनचुंबी ईमारतें बनने लगी हैं जो कई मायनों में गलत है और आने वाले बड़े खतरे को न्यौता है। ज्ञात हो कि बीते कुछ वर्षों में हिमालयी क्षेत्रों में भूकम्प आने की कई घटनाएं घटित हो चुकी हैं। इन घटनाओं में कई बार भूकम्प के हल्के झटके देहरादून में भी महसूस किये गये।
इस बात को जानकार भी स्वीकारते हैं कि हिमालयी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन होने एवं हिमालयी प्लेटे सरकने की घटनाएं तेजी से घटित हो रही हैं। ऐसे में इन क्षेत्रों में बड़े भूकम्प आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। किन्तु राजधानी दून में मुनाफा कमाने की दौड़ में भूमाफिया एवं बिल्डर तेजी से उंची इमारतों का निर्माण कर रहे हैं। हैरत कि बात ये है कि सब कुछ जानते हुए भी स्थानीय प्रशासन एवं राज्य सरकार द्वारा इन्हें अनुमती प्रदान की जा रही है। जो खुलेआम एक बड़े खतरे को न्यौता है और कई जिन्दगियों के साथ खिलवाड़ भी। बहरहाल इन गगनचुम्बी इमारतों के धड़ल्ले से हो रहे निर्माण पर अंकुश लग पाना फिलहाल नामुमकिन नजर आ रहा है जो बंहद चिंता का विषय है।