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नशे की लत से तबाह हो रही युवा पीढ़ी

नशे की बुरी आदत ने हमारी युवा पीढ़ी को जकड़कर रखा हुआ है। नशे की आगोश में सिमटे हमारे युवा अपने वर्तमान और भविष्य की चिंता किये बग्ौर नशे के इस अंधेरे कुंए में गिरते चले जा रहे हैं। ये स्थिति ना सिर्फ इन युवाओं के लिए ही बल्कि देश के भविष्य के लिए भी एक बुरा संकेत है।

गौरतलब है कि भारत जैसे तेजी से विकसित हो रहे देश में नशे को अपनाने वाले युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। आंकड़ों पर यदि गौर फरमायें तों साल 2011 से लेकर 2015 के बीच अब तक सबसे अधिक युवाओं ने नशे को अपनाया है। आंकड़े बयां करते हैं कि बीते पांच सालों में नशे का सेवन करने वाले व नशीले उत्पादों को खरीदने वाले लोगों में ज्यादातर युवावर्ग ही आगे रहा है। ये हर लिहाज से एक भयानक संकेत है जो दर्शाता है कि किस रफ्तार से युवा नशे की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

यदि दिल्ली, मुम्बई, चण्डीगढ़ और देहरादून जैसी राजधानियों की ही बात करें तो चकाचौंध भरे इन महानगरों में तेजी से बीयरबार, डिस्कोथेक और हुक्का बार खुलते जा रहे हैं। इन नशे के अड्डों में लगभग हर प्रकार की शराब के अलावा नाचने—झूमने के इंतजाम के साथ ही युवाओं को अलग—अलग फ्लेवर में मौजूद हुक्का भी परोसा जाता है, जिसकी ओर युवावर्ग तेजी से आकर्षित हो रहा है। यदि सूत्रों की मानें तो इन नशे के पार्लरों में इन नशेड़ी युवाओं को शराब और हुक्के के अलावा अन्य मादक पदार्थों जैसी चरस, अफीम, गांजा और स्मैक भी आसानी से उपलब्ध करवायी जा रही है। अगर देहरादून शहर की ही बात करें तो अकेले देहरादून में पिछले पांच वर्षों में दर्जनभर से अधिक हुक्काबार और बीयरबार खुले हैं। इनमें से कुछ में तो चौबिस घंटे नशे की सुविधा आसानी से उपलब्ध करवाई जा रही है। मुम्बई और दिल्ली जैसे महानगरों की ही तरह अब देहरादून भी नशे के टॉप पायदान पर पंहुच चुका है।

बताते चलें कि देहरादून शहर को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी माना जाता है। यहां तेजी से शिक्षण संस्थान उभर रहे हैं जिनमे देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी युवा शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। देहरादून में इन शिक्षण संस्थानों की आयी बाढ़ की वजह से यहां तेजी से हॉस्टल और पेइंग गेस्ट (पीजी) कल्चर उभरा है। इन दिनों देहरादून के प्रेमनगर, सेलाकुई, क्लेमनटाउन और राजपुर क्षेत्रों में भारी संख्या में बाहरी राज्यों और विदेशों से आये छात्र एवं छात्राऐं रह रहे हैं। अपने परिजनों से दूर एक स्वतंत्र माहौल में रह रहे ये युवा मौज—मस्ती करने की अपनी ईच्छा के चलते आसानी से नशे के चंगुल में आ जाते हैं और धीरे—धीरे इस बुरी चीज के आदी हो जाते हैं। बीते कुछ सालों में सूबे की राजधानी देहरादून में पुलिस के द्वारा पकड़े गये नशीले पदार्थों के तस्करों ने पुलिस की पूछताछ में ये कुबूला है कि नशे की सप्लाई के लिए उनका टारगेट युवा ही हुआ करते हैं। वे हॉस्टल में और पीजी के तौर पर रह रहे युवाओं को व स्कूली छात्रों को भारी संख्या में नशे की खेप सप्लाई किया करते हैं। पुलिस सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि पड़ोसी राज्यों से भारी संख्या में नशीले पदार्थों की डिलिवरी तस्करी के माध्यम से देहरादून में की जा रही है। नशे की इस तस्करी पर रोक लगाने के उद्देश्य से समय—समय पर पुलिस ने कुछ तस्करों को हिरासत में लेकर नशीले पदार्थों को बरामद भी किया है।

किन्तु शहर के बीचों—बीच खुले नशे के अड्डे पुलिस के लिए अभी भी सिरदर्द बने हुए हैं। कई बार पुलिस के द्वारा कुछ हुक्का पार्लरों पर कार्रवाई भी की गई परन्तु अपने रसूख के चलते इन बारों के मालिक पुनः इनका संचालन प्रारम्भ कर देते हैं। ये तो बात हुई नशे के बड़े अड्डों की किन्तु नशीले पदार्थों की बिक्री तो दून में छोटी दुकानों पर भी धड़ल्ले से की जा रही है।

“विनर टाइम्स” ने अपनी जांच में पाया है कि देहरादून मेें पान—सिगरेट के खोखों और चाय की ठेलियों पर “शिवम मुनक्का” नामक एक नशीला पदार्थ आसानी से बेचा जा रहा है इसमें बहुत घातक नशा होता है, आजकल दून के युवाओं की खास पसंद बना हुआ है। सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि देहरादून के कुछ मेडिकल स्टोर्स में भी नशीले पदार्थों की बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है जो बेहद चिंता का विषय है। प्रशासन को इस ओर शीघ्र ठोस कदम उठाने होंगे जिससे समय रहते युवाओं को इस नशे की लत से तबाह होने से रोका जा सके।

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