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बागी विधायकों को लगा झटका

देहरादून। उत्तराखंड के बागी विधायकों को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी है। इस बार बागियों को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल उन्हें 21 जुलाई से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में आने की अनुमति नहीं दी है। कोर्ट ने स्पीकर के आदेश पर भी रोक लगाने से फिलहाल इंकार कर दिया है। मामले की अगली तारीख 28 जुलाई तय की गई है। बताते चलें कि पूर्व विधायक और मंत्री रहे डॉ. हरक सिंह रावत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने की पुष्टि की थी। उन्होंने बताया था कि कि बीती 18 मार्च को रात्रि 8:15 बजे उनके समेत 35 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस सचिव विधानसभा को रिसीव करा दिया था। इसमें भाजपा के 26 व विनियोग विधेयक पर मतदान की विपक्ष की मांग का समर्थन करने वाले कांग्रेस के तत्कालीन नौ विधायकों ने हस्ताक्षर किए थे।

अपनी सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले नौ कांग्रेसी विधायकों की सदस्यता इस आधार पर खत्म की गई थी। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष के लैटर पैड पर हस्ताक्षर किए। साथ ही, उनके साथ राजभवन भी गए। हरक सिंह रावत के मुताबिक यह दोनों घटनाएं स्पीकर कुंजवाल के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस रिसीव कराने के बाद की हैं। साफ है कि जब स्पीकर खुद ही अविश्वास प्रस्ताव की जद में आ गए थे, तो वह दूसरे विधायकों का भविष्य कैसे तय कर सकते हैं। हरक सिंह का यह भी तर्क है कि अरुणाचल प्रदेश मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा है कि अपने विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव का निर्णय होने से पहले स्पीकर किसी भी विधायक की सदस्यता खत्म नहीं कर सकते।

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गौरतलब है कि उत्तराखंड के नौ पूर्व विधायकों की सदस्यता को लेकर एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में पहले से विचाराधीन है। इस पर पहले बीती 12 जुलाई को सुनवाई हुई थी। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान 18 मार्च को विनियोग विधेयक के खिलाफ कांग्रेस के नौ विधायक बगावत कर भाजपा खेमे के साथ खड़े हो गए। उन्होंने स्पीकर से विनियोग विधेयक पर मत विभाजन की मांग की थी। उसी रात को वे भाजपा विधायकों के साथ राज्यपाल से भी मिले। वहीं उनके साथ चार्टेड विमान से दिल्ली को रवाना हुए। इस पर कांग्रेस की याचिका पर स्पीकर ने 27 मार्च को इन नौ बागी विधायकों की सदस्यता रद कर दी थी। इस पूरे प्रकरण से पूरे देशभर में तहलका मच गया था। उत्तराखण्ड की राजनीति में भूचाल लाने वाले इन नौ बागी विधायकों को फिलहाल राहत मिलना मुश्किल नजर आ रहा है।

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