बागी विधायकों ने सुप्रीमकोर्ट में लगायी गुहार
देहरादून। उत्तराखण्ड के बागी विधायकों का मामला एक बार फिर से गरमा गया है। अब बागी विधायकों ने अपने हक के लिए सुप्रीमकोर्ट में गुहार लगायी है। अरुणाचल प्रदेश के मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले से उत्तराखंड विधानसभा से निष्कासित 11 पूर्व विधायकों को संजीवनी मिलने की उम्मीद जगी है। पूर्व विधायक डॉ. हरक सिंह रावत व कुंवर प्रणव सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में उनकी सदस्यता के संबंध में पहले से विचाराधीन याचिका पर जल्द सुनवाई करने का अनुरोध किया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से उनकी सदस्यता के इस मामले को अरुणाचल के मामले में संविधान पीठ के ताजा फैसले के आलोक में सुनने की भी अपील की है। वहीं, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में कल सुनवाई होगी।
पूर्व विधायक डॉ. हरक सिंह रावत ने सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक याचिका दाखिल करने की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि याचिका में यह तर्क दिया गया है कि बीती 18 मार्च को रात्रि 8:15 बजे उनके समेत 35 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस सचिव विधानसभा को रिसीव करा दिया था। इसमें भाजपा के 26 व विनियोग विधेयक पर मतदान की विपक्ष की मांग का समर्थन करने वाले कांग्रेस के तत्कालीन नौ विधायकों ने हस्ताक्षर किए थे।
अपनी सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले नौ कांग्रेसी विधायकों की सदस्यता इस आधार पर खत्म की गई कि उन्होंने नेता प्रतिपक्ष के लैटर पैड पर हस्ताक्षर किए। साथ ही, उनके साथ राजभवन भी गए। डॉ. हरक सिंह रावत के मुताबिक यह दोनों घटनाएं स्पीकर कुंजवाल के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस रिसीव कराने के बाद की हैं। साफ है कि जब स्पीकर खुद ही अविश्वास प्रस्ताव की जद में आ गए थे, तो वह दूसरे विधायकों का भविष्य कैसे तय कर सकते हैं। हरक सिंह का तर्क है कि अरुणाचल प्रदेश मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा है कि अपने विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव का निर्णय होने से पहले स्पीकर किसी भी विधायक की सदस्यता खत्म नहीं कर सकते।
उन्होंने बताया कि सोमवार को दायर याचिका में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से उनकी सदस्यता के मामले में पहले से विचाराधीन याचिका को अरुणाचल प्रदेश के मामले में संविधान पीठ के इस फैसले के आलोक में जल्द सुनने का अनुरोध किया है। गौरतलब है कि उत्तराखंड के नौ पूर्व विधायकों की सदस्यता को लेकर एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में पहले से विचाराधीन है। इस पर बीती 12 जुलाई को सुनवाई हुई थी। 24 अगस्त को सुनवाई की अगली तिथि निर्धारित थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में कल सुनवाई होगी।