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बाहरी लोग कर रहे हस्तक्षेप: अखिलेश

लखनऊ। समाजवादी पार्टी की अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गयी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा मुख्य सचिव दीपक सिंघल को हटाये जाने के बाद से शुरू हुए विवाद पर खुद मुख्यमंत्री ने आज सफाई दी कि झगड़ा सरकार का है, परिवार का नहीं और घर के बाहर के लोग अगर हस्तक्षेप करेंगे तो पार्टी कैसे चलेगी। अखिलेश ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘सरकार का झगड़ा है, परिवार का नहीं। परिवार में सब नेताजी की बात मानते हैं। मैंने भी नेता जी की बात मानी। नेताजी की बात भला कौन नहीं मानेगा।’

उन्होंने कहा, ‘घर के बाहर के लोग हस्तक्षेप करेंगे तो पार्टी कैसे चलेगी। कुछ निर्णय जरूर मैंने लिये हैं। मैंने भी नेताजी की बात मानी है। कभी कभी कुछ निर्णय अपने आप लिये जाते हैं। नेताजी (मुलायम) के कहने से भी निर्णय लिये और कुछ (निर्णय) अपने आप भी लिये।’ जाहिर सी बात है कि ‘घर के बाहर के लोग’ से अखिलेश का संकेत शायद हाल ही में सपा में वापसी करने वाले राज्यसभा सांसद अमर सिंह की ओर था। बताया जाता है कि अमर सिंह ने दिल्ली में रात्रिभोज का आयोजन किया था, जिसमें सिंघल शामिल हुए थे। खुद अखिलेश इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे और वह इस बात से संभवत: सिंघल से नाराज थे। हालांकि इस रात्रिभोज में सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव सहित कई वरिष्ठ पार्टी नेता शामिल हुए थे।

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विगत कुछ महीनों से गंभीर मतभेदों से दो चार हो रहे मुलायम परिवार का द्वंद्व मंगलवार को उस समय बढ़ गया, जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश के मुख्य सचिव दीपक सिंघल को हटा दिया। सिंघल अखिलेश के चाचा कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव के करीबी समझे जाते हैं। इसके बाद मुलायम ने बेटे अखिलेश से प्रदेश सपा अध्यक्ष का पद छीनकर शिवपाल को दे दिया लेकिन कुछ ही घंटों में मुख्यमंत्री अखिलेश ने चाचा के महत्वपूर्ण मंत्रालय लोक निर्माण विभाग, सिंचाई और सहकारिता विभाग उनसे छीन लिये।

राज्य में अप्रत्याशित संकट के बीच मुख्यमंत्री अपने सरकारी आवास पांच कालिदास मार्ग पर ही जमे रहे और सुबह से हालात का जायजा लेते दिखे। उन्होंने मीडिया से बचने के लिए किसी सरकारी कार्यक्रम में भी शिरकत नहीं की। अखिलेश कैबिनेट से इस्तीफे की खबरों के बीच चाचा शिवपाल ने आज कहा कि विभाग देना या लेना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है लेकिन वह मुलायम सिंह यादव के फैसले का पालन करेंगे। उन्होंने सैफई में संवाददाताओं से कहा कि विभाग देना या लेना तथा अधिकारियों को हटाना और अपने सलाहकारों को रखना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। ‘मैं नेताजी के निर्देश का पालन करूंगा और उनके द्वारा दी गयी जिम्मेदारी को पूरा करूंगा।’

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