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यहां की जाती है ‘कुतिया देवी’ की पूजा

झांसी। हमारे देश की महानता पूरे विश्व में प्रसिद्व है। विविधताओं से भरे भारत देश में अनेकों ऐसे किस्से और कहानियां हें जो आपको हैरत में डाल सकते हैं। कहीं चावल, दाल के बगैर अधूरा है, तो कहीं मछली के बगैर। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी, गुजरात से बंगाल तक भारत में हर जगह विविधता देखने को मिल जाती है। खान-पान से लेकर ये विविधता हमारे कल्चर और तौर-तरीकों में भी देखने को मिलती है। इसी विविधता को दर्शाता है, झांसी के रेवां और ककवारा गांव के बीच बना कुतिया रानी का मंदिर। कुतिया देवी में यहां के लोगों की अटूट श्रद्धा है, जिसके कारण यहां रोजाना ही भक्तों का आना-जाना लगा रहता है।

कुतिया देवी के बारे में प्रचलित कहानियों में से एक के बारे में मन्दिर के पुजारी किशोरी लाल यादव कहते हैं कि “कुतिया देवी रेवां और ककवारा के बीच रहती थीं, एक दिन दोनों गांवों में भोज का आयोजन हुआ। भोज में शामिल होने के लिए कुतिया देवी पहले रेवां पहुंची लेकिन वहां खाना बनने में वक्त था, तो वो ककवारा चली आईं लेकिन यहां भी खाना तैयार नहीं था। इसके बाद कुतिया देवी ने दोनों गांवों के बीच में रुकने का फैसला किया। उन्होंने सोचा कि जिस भी गांव में पहले भोजन तैयार होगा, वो वहां चली जाएंगी। लेकिन दोनों गांवों ने एक साथ खाने बनने की घोषणा की, जिसके बाद कुतिया देवी की मौत हो गई।”

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लोगों का मानना है कि जिस जगह कुतिया देवी की मौत हुई थी, उस जगह पर उनकी समाधी है, जिसके बाद नियमित रूप से लोग, कुतिया देवी की पूजा करने यहां आते हैं। इस खबर को पढ़ने के बाद किसी आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग न करें और न ही उनका मजाक बनाये, क्योंकि इसी का नाम विविधता है।

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