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21वीं सदी की सौ बेहतरीन फिल्मों में ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’

मुंबई। ब्रिटिश न्यूजपेपर ‘द गार्डियन’ ने 21वीं सदी में दुनियाभर की सौ बेहतरीन फिल्मों की लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट में इंडिया से एकमात्र फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ शुमार हुई है। फिल्म को 59वां स्थान हासिल हुआ है। इस लिस्ट में सन् 2000 के बाद रिलीज हुई सौ फिल्में शामिल हैं। ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ की पूरी कास्ट एंड क्रू इस लिस्ट में उनकी फिल्म के स्थान पाने से खासी खुश है।

‘द गार्डियन’ के समीक्षक मंडल में शामिल पीटर ब्रेडशॉ, कैथ क्लार्क, एंड्रयू पल्वर, और कैथरीन शॉर्ड ने लिस्ट तैयार की। उन्होंने इस सदी की फिल्मों का गहन विश्लेषण किया और विशेषज्ञों से चर्चा भी की।

 

फिल्म का खर्च, कमाई और रिकॉर्ड:

दोनों पार्ट्स का कंबाइड बजट – 18.5 करोड़

दोनों पार्ट्स की कंबाइंड नेट कमाई- 50.81 करोड़

फिल्म की लंबाई – पहला पार्ट 160 मिनट, दूसरा पार्ट 159 मिनट

14 अवॉर्ड्स मिले हैं दोनों हिस्सों को।

33 मुख्य कलाकार हैं स्टार कास्ट में शामिल।

319 मिनट है फिल्म की कुल लंबाई।
राख से बर्तन मांजे, घरेलू काम किए : ऋचा चड्ढा

इस फिल्म ने इंडिया में तो पहले ही कल्ट का स्टेटस हासिल कर लिया था, अब यह इंटरनेशनली भी अपनी पहचान बना रही है। उससे पहले कोई फिल्म नहीं आई थी, जो दो भागों में आई थी। कोयले के खानों से कहानी और किरदार निकले थे। एक तरह की डार्क कॉमेडी भी थी इसमें। इसके पार्ट टू के टाइम पर एक था टाइगर आ रही थी। उसने काफी स्क्रीन लिए थे। इसका पार्ट वन जरूर हिट था। काफी चली थी वह। वैसा नहीं होता तो हम में से किसी के पास आज कोई करियर ही नहीं होता। फिल्म में मुझे मिला बड़ी उम्र का रोल प्ले करना काफी चैलेंजिंग था मुझे अपने कैरेक्टर की स्किन में जाने के लिए कहा गया कि मुझे राख से बर्तन मांजने हैं। सारे घरेलू काम करने हैं।

इसकी राइटिंग भी आला दर्जे की थी। उसमें निभाए किरदार ने मेरी ऐसी गहरी इमेज बनाई कि तोड़ने में तीन से चार साल लग गए। समझ सकते हैं कि अनुराग और रायटरों की टीम ने किस शिद्दत से सारे किरदार क्रिएट किए थे। उस इमेज को तोड़ने के लिए मैं पार्टियों में जाने लगीं। ग्लैमरस अंदाज में दिखने लगी, तब जाकर लोगों ने मुझे और भी किरदारों में कंसीव करना शुरू किया।

फिल्म के निर्देशक अनुराग कश्यप ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा- इस सूची में आने पर गर्व है, लेकिन सच कहूं, यदि मैं यह लिस्ट बनाता तो यह मेरी सूची नहीं होती। सूची में कई फिल्में मेरी फिल्म से भी ऊपर आने की हकदार हैं, जिनमें 98वें नंबर की क्रिस्टोफर नोलन की द डार्क नाइट शामिल है। बहुत सी और भी फिल्में जो मेरी पसंदीदा हैं, वे मेरी फिल्म से नीचे नहीं बल्कि ऊपर हो सकती थीं। सूची में नंबर एक पर आई फिल्म ‘द विल बी ब्लड’ से मैं पूरी तरह से सहमत हूं। यह 21 वीं सदी की मेरी सबसे पसंदीदा फिल्म है।

फिल्म के लेखक जीशान कादरी ने कहा- मेरे ख्याल से इस फिल्म ने हिंदी सिनेमा को हिंदी हार्टलैंड यानी बिहार, यूपी, झारखंड, एमपी की ओर मोड़ने में अहम रोल प्ले किया। इससे पहले भी ओमकारा और अमिताभ सर की फिल्मों में नॉर्थ इंडिया बतौर बैकड्रॉप हुआ करता था, मगर उन फिल्मों के आने के बावजूद हिंदी पट्टी की खुशबू वाली फिल्मों के आने की संख्या सीमित रही। गैंग्स ऑफ वासेपुर के बाद से थोक के भाव में हिंदी हार्टलैंड बॉलीवुड के दिलों में बस गया। इसने एग्जीबिटर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स का भी टेस्ट बदला।

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