सोशल मीडिया का शिकार बने खंडूरी
देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी (सेनि) के नाम से बीते रोज फर्जी ट्वीट ने प्रदेश की राजनीति में उबाल ला दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की ओर से किसी प्रकार का ट्विटर अकाउंट होने और ट्वीट करने से इन्कार करने के बाद अब ट्वीट को लेकर तमाम निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। सवाल यह उठ रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री के नाम से ट्विटर अकाउंट बनाने वाला उनका हितैषी है या कोई सियासी दुश्मन।
पूर्व मुख्यमंत्री के नाम से बने इस ट्विटर अकाउंट में उनका एक फोटो लगा है। इस अकाउंट से अब तक 327 ट्वीट हो चुके हैं। इस अकाउंट को 676 लोग फॉलो कर रहे हैं। जब इस अकाउंट को खोल कर देखा गया तो इसमें सबसे पहला ट्वीट 14 सितंबर का दिखाया गया है। इसमें सभी देशवासियों को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दी गई हैं। यह अकाउंट बहुत ज्यादा सक्रिय भी नहीं रहता। अचानक ही शनिवार को इस अकाउंट से एक के बाद एक कर छह ट्वीट किए गए। इनमें कहीं सीधे तौर पर तो संगठन से कोई नाराजगी नजर नहीं आई लेकिन ऐसा लगा कि कहीं न कहीं पूर्व मुख्यमंत्री पार्टी में अपनी उपेक्षा से दुखी हैं। इसके बाद तो पूर्व मुख्यमंत्री का ट्विटर अकाउंट तेजी से चेक होने लगा। सोशल मीडिया पर पूर्व मुख्यमंत्री के नाराजगी की खबर तैरने लगी। पूर्व मुख्यमंत्री खंडूडी ने ‘जागरण’ से बातचीत में इसका खंडन किया और उनकी बेटी व विधायक ऋतु भूषण खंडूडी ने एसएसपी को पत्र लिखकर आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की।
इसके बाद राजनीतिक गलियारों में पूर्व मुख्यमंत्री के ट्वीट को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई। कुछ इस अकाउंट को उनके शुभचिंतक द्वारा खोला मान रहे हैं। दरअसल, इस अकाउंट से अभी तक ऐसा कोई ट्वीट नहीं हुआ था, जिससे ऐसा लगे की इसका गलत इस्तेमाल हो रहा है। वहीं, कुछ लोग इसे विरोधियों की साजिश मान रहे हैं। दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद खंडूड़ी सक्रिय राजनीति से कुछ दूर चल रहे हैं। हाल ही में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के दौरे के दौरान वह देहरादून आए थे। अगले ही दिन पूर्व मुख्यमंत्री स्वास्थ्य खराब होने का हवाला देते हुए दिल्ली वापस लौट गए।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के जाने के दो दिन बाद ये ट्वीट किए गए। कहा जा रहा कि जिसने भी यह अकाउंट खोला, उसने इसके इस्तेमाल के लिए ऐसा समय चुना जब इनका असर सबसे ज्यादा हो। ऐसा लगे कि पूर्व मुख्यमंत्री संगठन से नाराज चल रहे हैं। कारण यह बताया कि सोमवार से राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक शुरू होनी है। इससे पूर्व ये ट्वीट चर्चा का विषय बन सकते हैं। भले ही पूर्व मुख्यमंत्री ने इस तरह के ट्वीट का खंडन कर और मामले को पुलिस को सौंप चर्चाओं को विराम दे दिया है लेकिन राजनीतिक हलको में अभी भी इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं।