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हिंदुओं के सबसे बड़े पर्व दिवाली की देशभर में धूम

देहरादून। दिवाली का पावन पर्व हिंदुओं का धार्मिक त्यौहार व सबसे बड़ा त्यौहार है। यह पर्व साल के कार्तिक मास में मनाया जाता है। माना यह जाता है कि श्री रामचंद्र जी ने अपने पिता श्री दशरथ जी की आज्ञा मानकर वनवास पूरा करके अयोध्या वापस लौटे थे। इसी खुशी में लोगों ने दीया जलाकर पुरुषोत्तम श्रीरामजी का स्वागत किया था इसीलिए हिंदू धर्म के सारे लोग दीपावली का महापर्व बहुत ही हर्षोल्लास व धूमधाम से मनाते हैं।

लोग अपने घरों में साफ सफाई करते हैं रंगाई पुताई भी कर आते हैं तथा अपने घरों को तरह तरह की लड़कियों फूलों व अंय प्रकार की बनावटी चीजों से सजाते हैं। इसलिए दीपावली को प्रकाश का त्यौहार माना जाता है। इस पर्व पर लोग अपने घर में मां लक्ष्मी जी व श्री गणेश जी की पूजा करते हैं। इनको तरह तरह की मिठाई का भोग लगाते हैं तथा अपने परिजनों के घर जाकर मिठाई व उपहार भेंट करते हैं। कुछ लोग इस त्योहार पर गरीब बच्चों को मिठाई नए कपड़े वह तरह-तरह के उपहार भेंट करते हैं ताकि इन मासूमों के चेहरे पर खुशी की हंसी उठ सके तथा वह भी इस त्यौहार का आनंद ले सके।

हमारे बीच ऐसे लोग भी रहते हैं यह हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है और हमें भी ऐसे लोगों से प्रेरणा लेनी चाहिए बच्चे पटाखों का प्रयोग ज्यादा करते हैं। जिससे वायु प्रदूषण व ध्वनि प्रदूषण फैल जाता है। वायु प्रदूषण खतरनाक प्रदूषण में से एक है यह हमारे वातावरण को दूषित करता है व हमारी सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। इससे तरह-तरह की बीमारियां पैदा हो जाती है जैसे अस्थमा सांस लेने में दिक्कत आंखों से देखने व कानो से सुनने में परेशानी होती है।

बाजार में खतरनाक बम बेचे जाते हैं जो सिर्फ बच्चों के लिए ना सही वर्किंग बड़ों के लिए भी हानिकारक है। इसलिए अब सरकार ने पटाखों पर बैन लगा दिया है ताकि हमारा वातावरण शुद्ध रहे व कोई भी मौत का शिकार ना हो पाए। हम सभी को इको फ्रेंडली दीपावली मनाने चाहिए ताकि वायु व ध्वनि प्रदूषण ना हो कार्तिक मास में इन दिनों बाजारों में बहुत ही चहल पहल रहती है।दुकानदार बहुत ही दूर-दूर से दूसरे शहरों में जाकर किराए पर दुकान खरीदते हैं व सामान बेचते हैं कुछ लोग अपने हाथों से सामान बनाते हैं।

जैसे मिट्टी से बने हुए दिए लक्ष्मी गणेश जी की मूर्तियां और कुछ लोग कम दाम में माल खरीद कर फिर उन्हें थोड़े ज्यादा दाम में बेचते हैं ताकि उन विचारों की भी रोजी-रोटी का साधन बना रहे इसलिए हमें भी उनका सामान खरीदना चाहिए ताकि उनकी भी ज्यादा से ज्यादा बिक्री हो और वह भी इस पर्व को अपने परिवार के साथ खुशी से मना सके। हम इस पर को खुशी से मनाना चाहिए और इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हमारी खुशी के कारण किसी को नुकसान ना पहुंचे।

-: शीतल

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