दून पुलिस की बड़ी लापरवाही, कुछ इस तरह नँगा लटका कर घूम रहे हैं सरकारी हथियार
देहरादून। राजधानी देहरादून में इनदिनों जनपद पुलिस का कुछ अलग ही रूप देखने को मिल रहा है। देहरादून पुलिस के जवान से लेकर पुलिस के बड़े अधिकारी तक फिल्मी स्टाइल में हीरोपंती करते नजर आ रहे हैं। जहां एक ओर पुलिस के सिपाही से लेकर अधिकारी तक वर्दी को स्टाइलिश लुक देकर कभी सिंघम तो कभी चुलबुल पांडे बन कर घूमते हुए नजर आ रहे हैं तो वहीं सरकारी हथियारों का गलत मुजाहिरा पेश करते हुए भी दिखाई दे रहे हैं।
इसी का एक ताज़ा उदाहरण देहरादून के प्रेमनगर थाना क्षेत्र में देखने को मिला जहां पुलिस के दो जवान मोटरसाइकिल पर सवार होकर घूम रहे थे। पुलिस के इन जवानों में मोटरसाइकिल पर पीछे बैठे वर्दीधारी ने सरकारी पिस्टल को बिना किसी कवर के कमर पर लटकाया हुआ था। अब सवाल ये उठता है कि आखिर पुलिस के ये जवान क्या दिखाने की कोशिश कर रहे थे।
क्या इस तरह से सरकारी हथियार की नुमाइश करना कानूनी तौर पर जायज है। या फिर वे इस तरह से हथियार को लटका कर जनता के बीच पुलिस का पुलिस का खौफ पैदा करना चाहते हैं। ताज्जुब की बात यह है की पुलिस के कई अधिकारी भी इसी तरह जनपद के अलग-अलग थाना क्षेत्रों में स्टाइल की नुमाइश करते देखे जा सकते हैं। किंतु इन पर ना तो किसी तरह की कोई रोक लगती है और ना ही पुलिस के बड़े अधिकारियों द्वारा उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही की जाती है।
यह बहुत ही हैरान करने वाली बात है और सरकारी हथियार के खो जाने का खतरा एवं कोई बड़ी दुर्घटना होने की आशंका भी बनी रहती है। उत्तराखंड के डीजीपी एवं मुख्यमंत्री तक को इस मामले को गंभीरता से लेना होगा तब कहीं जाकर पुलिसकर्मियों की इन हरकतों में सुधार होगा। गौरतलब है कि देहरादून जनपद में क्राइम ग्राफ तेजी से ऊपर चढ़ रहा है। ट्रैफिक व्यवस्था से लेकर अपराधों को नियंत्रित करने में जनपद पुलिस पूरी तरह से नाकाम साबित रही है और हो भी क्यों ना पुलिस को स्टाइल मारने से फुर्सत मिले तो वह अपने कार्यों पर ध्यान दे।
बताते चलें कि देहरादून में पुलिस के कई अधिकारी और सिपाही अपने लुक के साथ ही वर्दी के संग भी छेड़छाड़ कर उसे हीरो टाइप का बनाकर पहनना पसंद कर रहे हैं। मसलन वर्दी के बाजुओं को कटवाकर बाइसेप्स तक टाइट करके पहनना, मूछों और दाढ़ी को स्टाइलिश करके कटवाना। इनका टशन यही नहीं थमता कुछ वर्दीधारी तो हीरो बनकर हाथ में सरकारी हथियार लिए सोशल मीडिया पर भी अपनी तस्वीरें पोस्ट करते देखे जा सकते हैं।
पुलिस इन दिनों नगर में क्राइम कंट्रोल को छोड़ चालान काटने में व्यस्त नजर आती है। हीरो टाइप पुलिस के जवानों का शिकार सिर्फ जनपद की मासूम जनता ही बनती है जबकि अपराधी इनकी पकड़ से कोसों दूर रहते हैं। बावजूद इसके पुलिस अपने चुस्त होने का दावा करते नहीं थकती। शिकायत करने करने पर पुलिस के अधिकारी और जवान आम लोगों और मीडियाकर्मियों पर ही बरस पड़ते हैं।
यदि इनकी शिकायत पुलिस के उच्चाधिकारियों से की जाती है तो इनके विरुद्ध कार्यवाही करने की बजाए पुलिस उच्चाधिकारी आश्वासन देकर मामले को रफादफा करने का प्रयास करते हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।वही आम जनता की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ भी है। शासन और प्रशासन को इस मामले को गंभीरता से लेना होगा तभी जाकर व्यवस्था में सुधार होगा।