पुलिस ने सुलझायी निरंकारी मंडल परिसर में मिली लाशों की गुत्थी
देहरादून। हरिद्वार बाईपास स्थित निरंकारी मंडल परिसर में विगत 14 दिसंबर को हुई सेवादार और चौकीदार की मौत महज हादसा था। पुलिस ने दोनों की मौत की गुत्थी सुलझाते हुए यह दावा किया है। पुलिस की मानें तो घटनास्थल पर मिट्टी डालते समय काफी कोहरा होने के कारण डंपर चालक चौकीदार कमलराम को देख नहीं पाया और वह डंपर बैक करते समय अगले टायर के नीचे आ गया। इसके बाद जब सेवादार सोनू सिंह डंपर चालक को रोकने लगा तो चालक ने तेजी से डंपर भगाने की कोशिश की। जिसकी वजह से सोने भी डंपर के पिछले टायर के नीचे आ गया और बेहोश होने कारण रात में ठंड से उसकी मौत हो गई। पुलिस ने डंपर चालक देवेंद्र प्रसाद के साथ ही आरोपी को शरण देने के आरोप में डंपर मालिक को भी गिरफ्तार कर लिया।
विगत 15 दिसंबर को हरिद्वार बाईपास स्थित संत निरंकारी मंडल परिसर के निर्माणाधीन स्थल पर दो लोगों के शव पड़े मिले थे। जिनकी पहचान चौकीदार कमलराम पुत्र गबरू निवासी गौरती तहसील जखोली रुद्रप्रयाग और सोनू सिंह पुत्र जसवीर सिंह निवासी सेवला कलां के रूप में हुई। शवों की जांच और मौके पर मिले साक्ष्यों के आधार पर प्रथम दृष्टया पुलिस दोनों की मौत को पहले हत्या मान रही थी, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद दोनों के लीवर और पसलियों में चोट आने के कारण पुलिस उलझन में आ गई कि इन दोनों की कुचलकर हत्या की गई है या महज हादसा था।
चौकीदार कमल के शरीर पर मिले टायरों के निशान से हालांकि पुलिस को इस बात का अंदेशा हो गया है कि घटना में किसी ट्रक या डंपर चालक का हाथ है। इसके बाद पुलिस ने संत निरंकारी मंडल में मिट्टी आदि डालने का काम करने वाले डंपर और ट्रक चालकों को हिरासत में लिया और उनसे कड़ी पूछताछ करते हुए बार-बार उन्हें घटनास्थल पर ले जाकर क्राइम सीन को रिपीट किया गया। एसपी सिटी प्रदीप रॉय ने बताया कि इसी दौरान पुलिस को एक डंपर चालक देवेंद्र कुमार सैनी निवासी ग्राम खानपुर मानक पोस्ट मझेडा सकरू, नगीना, बिजनौर हाल निवासी बंजारावाला पर शक हुआ। क्योंकि रात को पहला डंपर घटनास्थल पर करीब साढे़ नौ बजे गया था। जिसकी एंट्री वहां के रजिस्टर में दर्ज है और इसके बाद मृतक सोनू ने अपने दोस्त से बात भी की थी। जिससे साबित हो गया था कि इस डंपर के बाद आने वाले डंपर चालक ने ही घटना का अंजाम दिया है। जिसके बाद पुलिस ने देवेंद्र प्रसाद से सख्ती से पूछताछ की तो उसे सारे राज उगल दिए।
आरोपी ने बताया कि वह करीब साढे़ नौ बजे घटनास्थल पर गया मिट्टी डालने गया था। जैसे ही वह मेन गेट में घुसा तो चौकीदार ने उसे टार्च दिखाकर मिट्टी खाली करने का स्थान दिखाया। वहां पहुंचकर उसने डंपर मोड़ा तो कोहरा होने के कारण वह चौकीदार को नहीं देख पाया और चौकीदार अगले टायर के नीचे आ गया। इसका पता उसे डंपर के नीचे आने वाले व्यक्ति के चिल्लाने के बाद चला। इसके बाद वह घबरा गया और तेजी से आगे बढ़ गया।
इसी दौरान सोनू सिंह कंडक्टर साइड वाले दरवाजे पर आकर उसे रोकने की कोशिश करने लग गया। घबराकर उसे डंपर भगा दिया। जिससे वह भी उसके पिछले टायर के नीचे आ गया। इसके बाद वह बिना मिट्टी डाले ही वहां से चला गया और बाहर आकर मालिक गोविंद से बात की। बताया कि वहां दो व्यक्ति पड़े हुए हैं। इस पर मालिक ने मिट्टी को एनएच पर खाली करने को कहा। वह मिट्टी डालकर सीधे मालिक के आशारोड़ी स्थित ऑफिस पर गया और सो गया।
पुलिस के नहीं गुरु के डर से उगला सच:
आरोपी डंपर चालक देवेंद्र पर शक होने के बाद भी पुलिस उससे सच नहीं उगला पा रही थी। तीन दिन पूछताछ के बाद उसने सच उगला, पर पुलिस के डर से नहीं, बल्कि गुरु के डर से।
बताया जा रहा है कि आरोपी की पत्नी भी निरंकारी है और वह भी निरंकारी गुरु को मानता है। पुलिस लगातार तीन दिन से उससे पूछताछ करती रही, लेकिन वह हर बार पुलिस को अपनी बातों में उलझा दे रहा था। कड़ी पूछताछ और घटनास्थल पर बार-बार ले जाने के बाद भी वह पुलिस को सच नहीं बता रहा था। लिहाजा पुलिस ने उसके साथ सख्ती के बजाय भावात्मक रूप से पेश आई। इसी दौरान जब उससे यह पूछा गया कि वह सबसे अधिक विश्वास किस पर करता है तो उसने गुरु का नाम लिया। जब उसे गुरु की कसम दिलाई गई तो उसने कहा कि वह गुरु की झूठी कसम नहीं खा सकता। उसने पूरा सच पुलिस के सामने उगल दिया।