चेलों से गुरुदक्षिणा नहीं भीख मांग रहे हैं सतपाल महाराज
देहरादून। कांग्रेस से बगावत कर मुख्यमंत्राी बनने का सपना संजोय बैठे सतपाल महाराज इन दिनों वो सब कुछ कर रहे हैं जिससे वो उत्तराखण्ड की सत्ता पर काबिज हो सकें। इसके लिए महाराज इन दिनों अपने कुछ खास चेलों के आगे झुककर उनसे मदद की गुहार लगाते बजाये जा रहे हैं।
यदि सूत्रों की मानें तो चमोली जनपद से लोकतंत्र बचाओ यात्रा करके लौटे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत टेंशन में हैं। तनाव की वजह वह खुलासा है जो पार्टी के तीन विधायकों ने उनसे साझा किया है। सोमवार को हरीश रावत जब कांग्रेस वर्चस्व वाली थराली, कर्णप्रयाग और बदरीनाथ विधान सभा क्षेत्रों में लोकतंत्र बचाओ रैली करने पहुंचे तो इस दौरान हुई मंत्रणा में कुछ खुलासे हुए। बताते हैं कि जन सभाओं में जुटी भीड़ से गदगद मुख्यमंत्री गोपेश्वर स्थित लोनिवि के अतिथि गृह पहुंचे। वहां पार्टी विधायक राजेन्द्र भंडारी, डॉ. अनसुइया प्रसाद मैखुरी और डॉ. जीत राम के साथ मंत्रणा हुई। इस दौरान तीनों विधायकों के समर्थक भी वहां मौजूद थे। इससे पहले कि हरदा जनसभाओं की कामयाबी के लिये शुभकामनाएं देते, तीनों विधायकों ने बारी-बारी से कुछ बातें साझा की।
ये तीनों विधायक सतपाल महाराज के समर्थकों में गिने जाते हैं। चर्चा है कि जब भाजपा ने महाराज को सूबे में सरकार बनाने का जिम्मा सौंपा तो हरीश रावत ने आनन-फानन में महाराज समर्थक विधायकों के चुनाव क्षेत्रों में लोकतंत्र बचाओ यात्रा का कार्यक्रम बना डाला। लेकिन वह इस बात की उम्मीद नहीं कर रहे थे कि तीनों विधायक महाराज से अपने रिश्तों को इतनी स्पष्टता के साथ बयान कर देंगे। सूत्रों की मानें तो तीनों विधायकों ने बारी-बारी से खुलासा किया कि उन्हें सतपाल महाराज ने फोन किया था। उन्होंने यह भी कहा कि महाराज के उन पर बहुत सारे एहसान हैं। उन्हीं के उपकारों से वह राजनीति में इतने आगे तक बढ़ सकें हैं। उन्हें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि महाराज उनके राजनीतिक गुरू रहे हैं। आमतौर पर गुरू दक्षिणा दी जाती है, लेकिन महाराज ने उनसे फोन पर समर्थन की भीख मांगी हैं। उन्होंने हरीश रावत से ही प्रश्न किया कि वही बताएं कि यदि सतपाल महाराज मुख्यमंत्री बन रहे हैं और उनसे सहयोग चाह रहे हैं तो उन्हें क्या करना चाहिए? हालांकि बाद में तीनों विधायकों ने कांग्रेस छोड़कर जाने की संभावनाओं से साफ इंकार किया, लेकिन उनकी बातों ने हरीश रावत की दुविधा बढ़ा दी है। सूत्रों की मानें तो तीनों विधायक भावी संभावनाओं को लेकर भी चिंतित हैं।
राजेन्द्र भंडारी ने तो यहां तक कहा कि यदि वह महाराज को आज यदि मना कर देते हैं तो इस बात क्या गारंटी है कि भविष्य में वह कांग्रेस में वापसी नहीं करेंगे? यदि ऐसा हुआ तब उनके राजनीतिक भविष्य का क्या होगा? उन्होंने हरीश रावत को पूछा कि क्या वह इस बात की गारंटी देंगे कि सतपाल महाराज कांग्रेस में वापसी नहीं करेंगे? इन तमाम सवाल-जवाबों के बीच सियासी हवाओं में यह चर्चा तैर रही है कि तीनों विधायक हरीश रावत पर अतिरिक्त दबाव बना रहे हैं ताकि वह उनके सहयोग के प्रति उतने ही कृतज्ञ रहें जितने वह पीडीएफ को लेकर हैं।