साहब अचानक आये, दलित के घर किया भोजन और चल दिये, ठगा सा महसूस कर रहे दलित परिवार ने बयां किया दर्द
देहरादून। हाल ही में देश के कई राज्यों में दलित आरक्षण को लेकर उपजे विवाद के बाद जहां केन्द्र की भाजपा सरकार की जमकर किरकिरी हुई तो वहीं अब भाजपा बचाव की मुद्रा में आकर दलितों को लुभाने की कवायद में जुट गई है। इसी के चलते अब भारतीय जनता पार्टी के मंत्री, विधायक और बड़े-बड़े नेता दलितों के घर जाकर भोजन करते नजर आ रहे हैं। किन्तु दलितों के घर भोजन करने को लेकर भी भाजपा में एकमत नजर नहीं आ रहा है।
जहां एक ओर उत्तराखण्ड सरकार में मंत्री रेखा आर्य ने दलित के घर जाकर ना सिर्फ भोजन ही किया बल्कि भोजन पकाया भी तो वहीं भाजपा की दिग्गज नेत्री उमा भारती इस मामले में अपनी अलग राय रखती हैं। उनके अनुसार ‘‘वह स्वयं को भगवान राम नहीं मानती हैं, जो दलित लोगों के साथ भोजन कर उन्हें शुद्ध कर दें।
भाजपा के इसी ‘दलित मनाओं अभियान’ के तहत उत्तराखण्ड के मुखिया त्रिवेन्द्र सिंह रावत भी शनिवार रात आनन-फानन में डोईवाला विधानसभा क्षेत्र स्थित धर्मुचक गांव के एक दलित परिवार के घर पंहुचे और रात्रि भोजन किया। इसके बाद सीएम साहब चुपचाप वहां से चलते बनें। जबकि दलित परिवार को उनसे बहुत आस थी। दलित परिवार को लगा कि साहेब पधारे हैं, वे उनकी सुध लेंगे और अब उनके दिनबहुरेंगे मगर ऐसा कुछ हुआ नहीं।
दरअसल आर्थिक स्थिति से बहुत कमजोर इस गरीब परिवार को मुश्किल से गुजर-बसर कर जीवन काटना पड़ रहा है। उन्हें लगा था कि उनके घर की हालत देखकर मुख्यमंत्री साहब उनकी मदद का आश्वासन देंगे और उनकी हालत में कुछ सुधार होगा। लेकिन वे ये नहीं जानते थे कि साहेब तो सिर्फ फोटो खिंचवाने आये थे और वे भाजपा के अकेले ऐसे नेता नहीं हैं, आजकल देशभर में भाजपाई ऐसी दलित लोकेशन्स तलाशकर फोटोशेसन करवाते नजर आ रहे हैं।
अब सवाल ये उठता है कि ऐसा करके भाजपा के नेता क्या जताना चाहते हैं ? यही न कि वे दलित विरोधी नहीं बल्कि उनके सबसे सच्चे हितैषी हैं। साहेब अगर इन बेचारों के लिए कुछ करना ही चाहते हो तो धरातल पर उतरकर गंभीरता से इनके हित के लिए कदम उठाने होंगे। वैसे भी आप देश और प्रदेश दोनों के ही मालिक हैं, आपको इनके भले के लिए कदम बढ़ाने से कौन रोक रहा है।
महज दलितों के घर जाकर, जबरन मन मारकर भोजन खाने की नौटंकी से तो इन गरीबों का भला होने से रहा। कहीं ऐसा तो नहीं कि आप को राज्य के आगामी नगर निकाय चुनावों और 2019 के लोकसभा चुनाव में इस वोट बैंक के हाथ से खिसकने का डर सता रहा है, आपकी नींद उड़ चुकी है इसीलिए रातों को इन गरीबों के घर जाकर इनकी नींदे खराब और अपना उल्लू सीधा कर रहे हो। ‘‘साहेब ये पब्लिक है ये सब जानती है।’’
दलित परिवार का दर्द जानने के लिए देखें वीडियोः-
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