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जानिए कौन था मुन्ना बजरंगी, जिसकी बागपत जेल में हुई गोली मारकर हत्या

नई दिल्ली। हर पिता की तरह ही पारसनाथ भी उस लड़के को पढ़ा-लिखाकर नौकरी लायक बनाना चाहते थे, मगर उस लड़के ने मानो जुर्म की दुनिया में ही जाने की ठान रखी थी। कम उम्र में ही असलहों के शौक और दबंगई उसे कब जरायम की दुनिया में ले गई, उसे खुद नहीं पता चला। 17 साल की उम्र में शुरू हुआ अपराध से वास्ता लगातार जारी रहा। 2009 में पुलिस की गिरफ्तारी के बाद भी जेल में बैठे-बैठे आपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता के मामले सामने आते रहे। 90 के दशक में एके-56 और एके-47 चलाना उसके बाएं हाथ का खेल बन गया। दर्जनों हत्याएं और रंगदारी की घटनाओं से वास्ता जुड़ता गया। करीब ढाई दशक की आपराधिक गतिविधियों के बाद अचानक 2009 में मुंबई में उसने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। जिससे लोग चौंके थे। हालांकि पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी दिखाई थी। मुन्ना के साले की भी पिछले साल लखनऊ में हत्या हुई थी।

मुन्ना का इतिहासः

मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह रहा। वर्ष 1967 में पारसनाथ के घर जन्म लिया। मुन्ना का मन पढ़ाई-लिखाई में नहीं लगता था।आखिरकार मुन्ना ने पांचवी क्लास की पढ़ाई छोड़ दी। किशोर अवस्था में ही असलहा रखने का शौक लग गया। 17 साल की उम्र में ही जौनपुर के सुरेही थाना में उसके खिलाफ अवैध असलहा रखने का केस दर्ज हुआ था। इसके बाद मुन्ना बजरंगी अपराध के दलदल में फंसता चला गया। मुन्ना की आपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता की खबर सुनकर जौनपुर के दबंग नेता गजराज सिंह ने उसे संरक्षण देकर अपने विरोधियों के खात्मे के लिए इस्तेमाल करने लगे।

वर्ष 1984 में पहली बार मुन्ना ने व्यापारी और फिर जौनपुर के बीजेपी नेता रामचंद्र सिंह की हत्या कर अपनी धमक कायम की। इसके बाद मुन्ना ने एक के बाद एक कई हत्याएं की। रुतबा बढ़ने के बाद बाहुबली माफिया और नेता मुख्तार अंसारी ने उसे अपने गुट में शामिल कर लिया। 1996 में सपा के टिकट पर विधायक बनने के बाद मुख्तार अंसारी ने अपने गैंग की ताकत काफी बढ़ा ली। मुख्तार के इशारे पर मुन्ना सरकारी ठेकों को चहेतो को दिलाने लगा। जब गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट से  बीजेपी के तत्कालीन विधायक कृष्णानंद राय पूर्वांचल में सरकारी ठेकों की राह में मुख्तार की राह का कांटा बनने लगे तो मुन्ना से कहकर कृष्णानंद की हत्या कराने का आरोप है।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कृष्णानंद राय को एक अन्य माफिया डॉन ब्रजेश सिंह का संरक्षण हासिल था। मुन्ना बजरंगी ने बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय को 29 नवंबर 2005 को दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी। उस वक्त गाजीपुर में एके-47 से चार सौ गोलियां बरसाकर बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या की थी। हर व्यक्ति के शरीर से 50 से सौ गोलियां निकलीं थीं। इस घटना के बाद से लोग मुन्ना बजरंगी के नाम से कांपने लगे थे। जिसके बाद वह पुलिस के रिकॉर्ड में मोस्ट वांटेड बन गया। यूपी को अपने लिए सुरक्षित न पाकर मुन्ना मुंबई चला गया और वहीं से पूरे गैंग का संचालन करने लगा।

खुद और पत्नी को लड़ाया चुनावः

कुछ समय बाद मुन्ना बजरंगी को सियासत में उतरने का भी चस्का लगा। रंगदारी से करोड़ों रुपये वसूलने के बाद मुन्ना बजरंगी ने 2012 में मड़ियाहूं विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ा मगर करारी हार हुई। इसके बाद पिछले विधानसभा चुनाव में उसने अपनी पत्नी सीमा को भी मैदान में उतारा था। मगर पत्नी को भी हार का सामना करना पड़ा। बताया जाता है कि मुन्ना बजरंगी करीब 40 से अधिक हत्या की घटनाओं में शामिल रहा।

पत्नी सीमा ने जतायी थी हत्या की आशंकाः
कुख्यात डॉन मुन्ना बजरंगी को जब झांसी की जेल से बागपत शिफ्ट किया जा रहा थाए उस वक्त उसकी बीवी सीमा ने प्रेस कांफ्रेंस कर मुन्ना की हत्या की आशंका जतायी थी। उसने आरोप लगाये थे कि पुलिस और एसटीएफ मिलकर उसके पति मुन्ना की हत्या की साजिश रच रहे हैं। इसी के चलते उन्हें झांसी से बागपत शिफ्ट किया जा रहा है। उधर, लखनऊ में राज्य के पुलिस उपमहानिरीक्षक (कानून एवं व्यवस्था) प्रवीन कुमार ने बताया कि शुरुआती जांच में इस हत्याकांड में सुनील राठी का नाम सामने आ रहा है जोकि कुख्यात अपराधी है। सुनील राठी का गिरोह उत्तराखंड में सक्रिय है। मुन्ना बजरंगी का आपराधिक जीवन 20 साल का बताया जाता है जिसमें उसने कथित तौर पर 40 हत्याएं कीं। उसे आज एक रंगदारी मामले में बागपत की अदालत में पेश किया जाना था। मुन्ना को रविवार को ही झांसी की जेल से बागपत लाया गया था और तन्हाई बैरक में सुनील राठी और विक्की सुंहेड़ा के साथ रखा गया था।

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