इस ‘न्यूड सीन’ की वजह से विवादों में पड़ गयी थी फूलन की फिल्म
मुम्बई। दस्यु सुंदरी फूलन देवी को 17 साल पहले आज ही के दिन शेर सिंह राणा ने गोली मार दी थी। बीहड़ से संसद तक का सफर करने वाली फूलन देवी की कहानी त्रासदी और हैरतअंगेज़ हैं, यही कारण है कि उनकी ज़िंदगी पर शेखर कपूर फिल्म बना चुके हैं और उन पर कई किताबें भी लिखी जा चुकी हैं। 1981 में अपने सामूहिक बलात्कार का बदला लेने के लिए फूलन ने बेहमई गांव के 22 ठाकुरों की हत्या कर दी थी, इसी के बाद ही उन्हें बैंडिट क्वीन कहा जाने लगा था लेकिन फूलन के रोल को निभाना कितना मुश्किल था, इस बारे में फूलन का किरदार निभा चुकी सीमा बिस्वास ने बताया।
सीमा का जन्म असम के नालबाड़ी में हुआ था। उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से एक्टिंग की शिक्षा ली थी। वे बेहद गरीब परिवार से थीं। सीमा के पिता ने उन्हें बेहद मुश्किलों से एनएसडी पढ़ने के लिए भेजा था। उस दौरान उन्हें सरकार से प्रति माह 750 रूपए का गवर्नमेंट अलाउंस मिलता था। कई बार तो ऐसी स्थितियां भी आती थीं कि सीमा को दिनभर में महज एक सेब खाकर गुज़ारा करना पड़ता था। हालांकि सीमा मानती हैं कि वे बेहद लकी थी कि उन्हें शेखर कपूर की फिल्म बैडिंट क्वीन में एक पावरफुल रोल निभाने का मौका मिला था। 1994 में आई इस फिल्म ने भारत के साथ ही साथ इंटरनेशनल ऑडियन्स को भी झकझोर कर रख दिया था। सीमा को इस रोल के लिए नेशनल अवार्ड भी मिला था।
इस फिल्म में मौजूद न्यूड सीन्स के चलते फिल्म कई विवादों में भी पड़ गई थी। सीमा ने कहा कि मैं इन सीन्स की वजह से हर रात रोती थी क्योंकि मैं असम के एक छोटे से गांव से थी जहां ये सब चीज़ें सामान्य नहीं थी। गौरतलब है कि इन न्यूड सीन्स के दौरान केवल कैमरामैन और डायरेक्टर ही वहां मौजूद रहते थे। सीमा ने शेखर कपूर से कहा भी था कि वे फिल्म से न्यूड सीन्स को हटा ले लेकिन शेखर का मानना था कि लोगों की भयानक असंवेदनशीलता को दिखाने के लिए ये न्यूड सीन्स फिल्म में रखने बेहद ज़रूरी हैं। जहां इंटरनेशनल ऑडियन्स से संवेदनशील ऑडियन्स का परिचय देते हुए फूलन के रोल की जमकर तारीफ की थी वहीं भारतीय दर्शक वर्ग का एक हिस्से ने न्यूड सीन्स के चलते फिल्म की तीखी आलोचना की थी।