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बच्चों को मिली ऐसी चीजें, इतिहासकार भी रह गए हैरान

चंपावत। उत्तराखण्ड के चंपावत में बच्चों को खेलते वक्त सदियों पहली ऐसी चीजें दिख गई कि इतिहासकार भी हैरान रह गए। वहीं जब खुदाई की गई तो यहा हर कदम पर ये चीजें निकल रही हैं। जिला मुख्यालय में एक मंदिर के समीप भारी संख्या में शिवलिंग मिले हैं। ये शिवलिंग 12-13वीं शताब्दी के बताए जा रहे हैं। इतिहासकारों का अनुमान है कि ये चंद शासनकाल में बने हो सकते हैं। कई शिवलिंग पूरी तरह से तराशे हुए हैं जबकि कुछ अर्द्धनिर्मित हैं।

ब्लॉक कार्यालय के पुराने आवासीय भवन के समीप स्थित एक मंदिर के पीछे बच्चों को कुछ दिन पहले खेलते समय ये शिवलिंग दिखाई दिए। लगभग दो किलो वजन वाले कुछ शिव लिंग को बच्चे अपने साथ घर भी ले गए। बुधवार को मंदिर परिसर में जाकर देखा तो वहां सैकड़ों शिवलिंग मिले। स्थानीय निवासी भैरव दत्त जोशी के मुताबिक मंदिर के अलावा आसपास के क्षेत्रों में खुदाई करने पर इस तरह के शिवलिंग अक्सर मिल जाते हैं।

इतिहासकार देवेंद्र ओली का मानना है कि ये शिवलिंग 12-13वीं शताब्दी के चंद वंश के शासनकाल के हो सकते हैं। चंद राजाओं की निर्माण शैली में शिवलिंगों का बहुतायत में प्रयोग होता था। ऐसा माना जा सकता है कि यहां पर चंद शासकों ने भवन निर्माण संबंधित कार्यशाला भी रही हो। चंद राजा मंदिरों और किलों के निर्माण के लिए शिवलिंग तैयार कराते थे। ओली का कहना है कि इस मामले की वास्तविकता पुरातत्व विभाग इन शिवलिगों के अवलोकन के बाद ही सामने आ सकती है।

इतिहासकार देवेंद्र ओली के अनुसार इतनी अधिक संख्या में शिवलिंगों के मिलने से स्पष्ट होता है कि चंद शासक शिवभक्त थे। चंद शासन के दौरान ही चंपावत नगर के चारों ओर भगवान शिव के सात श्वरों (मठों) की स्थापना की गई थी। इनमें क्रांतेश्वर, ताड़केश्वर, डिप्टेश्वर, मल्लाडेश्वर, मानेश्वर, हरेश्वर और सप्तेश्वर शामिल हैं।

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