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दो साल में दोगुनी हुई इंटरनेट की लत के शिकार मरीजों की संख्या

नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के ‘बिहेव्यरल एडिक्शन क्लिनिक’ में इंटरनेट की लत की शिकायत लेकर पहुंचने वाले लोगों की संख्या बीते दो साल में दोगुनी हो गई है। इस क्लिनिक की स्थापना दो साल पहले ही की गई थी। एम्स के विशेषज्ञों ने मंगलवार को बताया कि इंटरनेट की लत की वजह से युवाओं में गंभीर व्यवहारवादी मनोविकृति संबंधी परेशानियों विकसित हो रही हैं। इन युवाओं में ज्यादातर स्कूल और कॉलेज के छात्र हैं।

इंटरनेट की लत का मतलब इसका अनियंत्रित इस्तेमाल है। लोग अक्सर इंटरनेट पर गेम्स खेलते रहते हैं या अश्लील फिल्में देखते हैं। वे इसके इतने आदी हो जाते हैं कि अपनी नियमित गतिविधियां तक नहीं कर पाते हैं। एम्स की क्लिनिकल मनोविज्ञानी रचना भार्गव ने कहा कि इंटरनेट के इस्तेमाल से कई परेशानियां तब उठती हैं जब माता-पिता अपने बच्चों की निगरानी नहीं करते हैं और अनुशासन में असंगति होती है। माता पिता को अपने बच्चों की गतिविधियों की निगरानी करनी चाहिए और उनके दैनिक कार्यक्रम में रूचिकारक गतिविधियां को शामिल करना चाहिए।उन्होंने कहा कि अभिभावकों को अपने बच्चों को वास्तविक दुनिया में सामाजिक संवाद बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
भार्गव ने कहा कि पिछले दो साल में एम्स के ‘बिहेव्यरल एडिक्शन क्लिनिक’ में इंटरनेट की लत की शिकायत लेकर आने वाले लोगों की संख्या दोगुनी हो गई है। एम्स के मानसिक रोग चिकित्सा के प्रोफेसर प्रताप सरण ने कहा कि इंटरनेट की लत का संबंध अक्सर अवसाद, बार-बार मूड बदलने, चिंता और व्यसन से होता है। यह द्विस्तरीय हो सकता है यानी इंटरनेट पर बहुत वक्त बिताने से पढ़ाई-लिखाई में खराब प्रदर्शन, और इससे अवसाद या मूड विकार होता है।

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