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हवा में हुई विमान में चूक, मुश्किल से बची यात्रियों की जान

रुद्रपुर। उत्तराखंड में विमान की उड़ान के दौरान हुई चूक की वजह से हर कोई सकते में है। इस घटना में कोई बड़ा हादसा होने से तो तल गया मगर विमान में सफर करने वाले यात्री अबतक सदमे में हैं। यदि यात्रियों की दहशत की बात करें तो उन्हें  ‘एक पल को लगा कि अब सब कुछ खत्म, लेकिन अगले ही पल विमान के एयरपोर्ट पर सुरक्षित लैंड होते ही सभी ने राहत की सांस ली। यात्रियों के मुताबिक अगर विमान काफी ऊंचाई और एयरपोर्ट से ज्यादा दूर होता तो बड़े हादसे की आशंका बलवती हो जाती। इमरजेंसी लैंडिंग के बाद भी कई यात्री अब भी दहशत में हैं।

इन यात्रियों ने नागर विमानन महानिदेशालय और हवाई सेवा प्रदाता कंपनी से सुरक्षा को लेकर इंतजाम में मजबूती लाने की मांग की है। शनिवार को विमान से पिथौरागढ़ के लिए हल्द्वानी के निजी प्लास्टिक सर्जन डॉ. लोकेश बोरा ने बताया कि विमान में तीन महिला और दो बच्चों समेत कुल आठ यात्री सवार थे। बकौल डॉ. बोरा वह दरवाजे के ठीक पास वाली सीट पर बैठे थे, लेकिन एक परिवार ने बच्चे को गोद में बिठा लिया था, इस वजह से वह आगे वाली सीट पर बैठ गए थे। उड़ान भरने के कुछ पल बाद अचानक विमान का दरवाजा तेज आवाज के साथ खुला और भीतर आए प्रेशर से विमान तेजी से हिलने लगा।
यह देख सभी यात्री दहशत में आ गए और बच्चे और महिलाएं चीखने लगी। विमान पंतनगर से थोड़ा ही दूर गया था, लिहाजा उसे वापस पंतनगर में उतारा गया। विमान के लैंड होने तक दरवाजा खुला था और दरवाजा बंद करने में उन्होंने को-पायलट की मदद की थी। इसके बाद विमान को सुरक्षित रनवे पर उतारा गया। डॉ. बोरा ने बताया कि अगर दरवाजे के सामने वाली सीट पर कोई यात्री बैठा होता तो वह नीचे गिर सकता था। इधर पिथौरागढ़ निवासी और व्यापारी पंकज चंद ने बताया कि वह पत्नी अमिषा, आठ साल के बच्चे अर्णव के साथ विमान में थे। विमान में पिथौरागढ़ विद्युत विभाग में तैनात मुकेश सिंह, उनकी पत्नी ममता के अलावा कुल आठ यात्री थे। मुकेश सिंह ने बताया कि दस मिनट तक यात्रियों की जान सांसत में रही।
डर के मारे सभी का बुरा हाल था। पिथौरागढ़ के लिए लाइफलाइन शुरू हुई है। लेकिन कंपनी को यात्रियों की सुरक्षा का विशेष ख्याल रखना चाहिए। उड़ान के दौरान आसमान में हुई दरवाजा खुलने की घटना से यात्री बेहद सन्न हैं। उनका कहना है कि अचानक हुई घटना सभी के जेहन में बस गई। घटना को याद करते ही शरीर में सिहरन दौड़ जाती है। डॉ. लोकेश और पंकज के मुताबिक यह घटना अप्रत्याशित थी। गनीमत यह रही कि किसी यात्री को कोई नुकसान नहीं हुआ। अब कंपनी के अधिकारी दरवाजा खुलने की बात को क्यों नकार रहे, यह तो वही जानें। लेकिन यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरी होनी चाहिए।

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