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अमेरिका देने जा रहा है भारत को अब तक का सबसे बड़ा झटका

नई दिल्ली। अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने भारत को बड़ा झटका देने की तैयारी की है। उन्‍होंने व्‍यापार युद्ध में भारत के खिलाफ भी मोर्चा खोलने की तैयारी की है। अमेरिकी प्रशासन की योजना है कि भारत को व्‍यापार में तरजीह दिए जाने की व्‍यवस्‍था पर रोक लगाई जाए। अगर यह रोक लग गई तो अमेरिका को भारत द्वारा किए जाने वाले 5.6 अरब डॉलर तक मूल्‍य के सामान पर टैक्‍स लगने लगेगा। अब तक यह टैक्‍स नहीं लगता है। भारत ने अमेरिका की इस पहल को ज्‍यादा गंभीरता से नहीं लिया है और कहा है कि वह अमेरिका से होनेे वाली बातचीत में इस कदम के बदले के तौर पर कोई टैक्‍स लगाने जैसी बात नहीं करेगा। लेकिन, चुनाव से ऐन पहले विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बना सकता है।

भारत के वाणिज्‍य सचिव अनूप वाधवां का कहना है कि अमेरिका द्वारा तरजीही दरजा दिए जाने के चलते हमें असल में मात्र 19 लाख डॉलर सालाना का ही फायदा होता है। इस व्‍यवस्‍था का फायदा 3700 उत्‍पादों पर उठाया जा सकता है, पर भारत मात्र 1784 पर उठा रहा है। बातचीत जारी रहने और अमेरिका से मजबूत संबंधों के मद्देनजर हमने बदले के रूप में कोई टैैैैरिफ पेश करने का मुद्दा नहीं उठाने का फैसला किया है।

ट्रंप अमेरिका का व्‍यापार घाटा कम करने पर लगातार जोर देते रहे हैं। उनका कहना है कि भारत उन्‍हें महंगा सामान दे रहा है। उन्‍होंने कांग्रेस नेताओं को भेजे खत में लिखा है- लगातार बातचीत के बावजूद भारत ने इस बात का आश्‍वासन नहीं दिया कि वह अमेरिका को अपने बाजार में बराबरी से भागीदार बनाएगा, इसलिए मैं यह कदम उठा रहा हूं। अमेरिका द्वारा भारत का तरजीही दरजा खत्‍म करने संबंधी अधिसूचना जारी करने के 60 दिन बाद यह व्‍यवस्‍था अमल में आ जाएगी। इस व्‍यवस्‍था को Generalized System of Preferences (GSP) कहते हैं। यह 1970 के दशक से लागू है। इसे खत्‍म करना ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत के खिलाफ उठाया गया सबसे सख्‍त कदम होगा।

भारत और अमेरिका के व्‍यापार रिश्‍तों में तल्‍खी भारत द्वारा ई-कॉमर्स से जुड़े नए नियम अपनाने के बाद से बढ़ गई है। इससे अमेजन और वालमार्ट के स्‍वामित्‍व वाली फ्लिपकार्ट के कारोबार पर असर पड़ा है। इसके बाद भारत ने मास्‍टरकार्ड और वीजा जैसी कार्ड पेमेंट कंपनियों पर अपना डेटा भारत ट्रांसफर करने का दबाव बनाया। इलेक्‍ट्रॉनिक उत्‍पादों व स्‍मार्टफोन की कीमतों में बढ़ोतरी का भी अमेरिकी कंपनियों के कारोबार पर विपरीत प्रभाव पड़ा। 2017 में जब भारत ने मेडिकल उपकरणों की कीमतों पर लगाम लगाने की कोशिश की थी, तब भी अमेरिका ने इसका विरोध किया था।

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