खटिया के नीचे आराम कर रहा था मगरमच्छ, नज़र पड़ी तो हुआ ये हाल
आणंद। अगर आपके साथ कोई ऐसी घटना घटित हो जाये कि आप सोए हों और सुबह जागने पर आपके बिस्तर के नीचे से कोई डरावनी चीज निकल आये, सोचिये ऐसे में क्या हाल होगा। जी हां ऐसा मामला सचमुच में सामने आया है। प्राप्त समाचार के मुताबिक गुजरात के आणंद जिले के रहने वाले 30 साल के किसान बाबूभाई परमार के होश तब उड़ गए जब उन्होंने रात के डेढ़ बजे अपनी चारपाई के नीचे दो घूरती हुई भयानक आंखें देखीं।
ये आंखें एक मादा मगरमच्छ की थीं जो उनकी चारपाई के नीचे आराम फरमा रही थी। परमार उसे देखकर पहले तो काफी डर गए। फिर अपने आप को संभालकर किसी तरह से वहां से बाहर निकले और गांव वालों को इसकी सूचना दी। बाद में ग्राम प्रधान और वन विभाग की टीम की मदद से मगरमच्छ को वहां से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
खबर के मुताबिक, मालाताज गांव के रहने वाले बाबूभाई परमार रोज की तरह रात को अपनी चारपाई पर सो रहे थे। रात को डेढ़ बजे के करीब कुत्तों के भौंकने की आवाज से उनकी नींद टूट गई। इस दौरान आधे जगे परमार ने अपनी चारपाई के छेदों से देखा कि उसके नीचे एक मादा मगरमच्छ बैठी है। यह देखकर डर से कांप रहे बाबूभाई किसी तरह से वहां से बाहर निकले और गांव वालों को इसकी सूचना दी।
बाद में वन विभाग और गांव के लोगों की मदद से मगरमच्छ को चारपाई के नीचे से बाहर निकाला गया। गांव के सरपंच दुर्गेश पटेल ने बताया कि 8 फीट की मादा मगरमच्छ गर्भवती थी। उन्होंने बताया कि इस मौसम में वे अंडे देने के लिए सुरक्षित जगह की तलाश में होती हैं।
सरपंच ने बताया कि कई बार उन्होंने खुद ऐसी परिस्थितियों में मगरमच्छों का रेस्क्यू किया है। लेकिन मादा मगरमच्छ के गर्भवती होने की वजह से उन्होंने उसे सावधानी से हैंडल करने का फैसला किया। पटेल के पास आमतौर पर ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए एक पिंजरा होता है लेकिन गुरुवार को यह उनके पास उपलब्ध नहीं था।
दया फाउंडेशन के नितेश चौहान ने बताया कि 1 घंटे इंतजार करने के बाद वन विभाग के अधिकारियो ने हमें पिंजरा उपलब्ध कराया जिसके बाद हमने 15-20 मिनट के अंदर ही मगरमच्छ का सुरक्षित रेस्क्यू किया। पटेल ने बताया कि आणंद से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मालाताज झील रेप्टाइल्स (सरीसृप) के स्वस्थ प्रजनन के लिए सबसे सुरक्षित जगहों में से एक है। उन्होंने बताया, ‘मालाताज झील में तकरीबन 100-150 मगरमच्छ रहते हैं और हमें अब उनकी मौजूदगी की आदत हो गई है।’