लखनऊ। लखनऊ के सनसनीखेज कमलेश तिवारी हत्याकांड का 24 घंटे के भीतर यूपी पुलिस ने खुलासा कर दिया है। यूपी पुलिस के मुताबिक हत्या की साजिश सूरत में रची गई। यूपी के डीजीपी ओपी सिंह ने बताया कि इस वारदात में शामिल संदिग्धों से प्रारंभिक पूछताछ से पता चला है कि हत्या की साजिश के पीछे मुख्य वजह कमलेश तिवारी का 2015 का भड़काऊ भाषण था और मिठाई का डिब्बा आरोपियों को दबोचने में मददगार साबित हुआ। डीजीपी ने कहा कि आरोपियों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है। उधर यूपी के बिजनौर से मुफ्ती नईम काजमी और मौलाना अनवारुल हक को भी हिरासत में लिया गया है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में डीजीपी ने कहा, ‘सूचनाएं और सुराग मिलने के बाद शुक्रवार को ही छोटी-छोटी टीमों को गठित किया गया था। हमारी टीम ने छानबीन में पाया कि घटना के तार गुजरात से जुड़े हुए हैं। मिठाई के डिब्बे से जो सुराग मिले उसके बाद मैंने स्वयं गुजरात के डीजीपी से बात की और महत्वपूर्ण सूचनाओं को हासिल करना शुरू किया। मिठाई का डिब्बा सूरत जिले की जिस दुकान से संबंधित था, वहां के आस-पास की सीसीटीवी फुटेज की छानबीन से एक संदिग्ध व्यक्ति फैजान यूनुस भाई की पहचान की गई।’
डीजीपी ओपी सिंह का कहना है कि वारदात में शामिल आरोपियों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है। उन्होंने कहा, ‘प्रारंभिक पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकार किया है कि वारदात में उनकी संलिप्तता रही है। वह किसी न किसी रूप में इससे जुड़े हुए हैं। आरोपियों का पकड़ा जाना उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए बड़ी सफलता है।’ गुजरात एटीएस के डीआईजी हिमांशु शुक्ला ने भी कहा है कि हिरासत में लिए गए सभी तीन संदिग्धों ने वारदात में शामिल होने की बात मानी है।
उन्होंने आगे बताया, ‘एसएसपी लखनऊ और स्थानीय पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज को बारीकी से लिया। गुजरात पुलिस और यूपी पुलिस का आपसी समन्वय बहुत मजबूत रहा। जॉइंट टीम ने सूरत से तीन अपराधियों को हिरासत में लिया है। उनसे बहुत सघन पूछताछ की जा रही है। तीन संदिग्ध व्यक्ति जिनको हिरासत में लिया है, उनमें एक मौलाना मोहसिन शेख सलीम (24) है, जो साड़ी की दुकान पर काम करता है। दूसरा व्यक्ति फैजान (30) है, वह भी जिलानी अपार्टमेंट सूरत का रहने वाला है। तीसरा शख्स जिसको हमने हिरासत में लिया है, वह रशीद अहमद खुर्शीद अहमद पठान (23) है। यह दर्जी का काम करता है और कंप्यूटर का जानकार है। यह भी सूरत में ही रहता है। इन तीन के अलावा हमने दो संदिग्धों को हिरासत में लिया था और उन्हें पूछताछ के बाद छोड़ दिया।’
डीजीपी ओपी सिंह ने कहा, ‘अब तक की विवेचना और पूछताछ से यह स्पष्ट हो गया है कि ये तीनों व्यक्ति हत्या के षडयंत्र में सम्मिलित रहे हैं। पूछताछ और उपलब्ध तकनीकी साक्ष्यों की जांच के आधार पर दो मुख्य अभियुक्त जो कि लखनऊ में इस घटना में सम्मिलित रहे हैं, उनके बारे में यूपी पुलिस ने जानकारी हासिल कर ली है। उनकी गिरफ्तारी के लिए टीम बनाकर युद्धस्तर पर कार्रवाई की जा रही है।’
डीजीपी ने रशीद पठान को वारदात का मास्टरमाइंड बताया है। उन्होंने कहा, ‘कमलेश तिवारी के परिजनों द्वारा कराई गई एफआईआर में नामजद मौलाना अनवारुल हक और मुफ्ती नईम काजमी को शुक्रवार रात में ही हमारी टीम ने हिरासत में लिया और इनसे पूछताछ की जा रही है।’
डीजीपी ने कहा, ‘प्रारंभिक जानकारी मिली है, उससे पता चला है कि रशीद पठान जो कंप्यूटर का जानकार है और टेलर का काम करता है, उसी ने शुरुआती प्लान बनाया था। बचे हुए जो संदिग्ध अपराधी हैं, उनकी धरपकड़ के प्रयास किए जा रहे हैं। बिजनौर का कनेक्शन क्रॉस चेक कर रहे हैं। हिरासत में लिए गए तीनों संदिग्धों का किसी आतंकी संगठन से संबंध नहीं पाया गया है।’
डीजीपी ने इस वारदात में दो अन्य संदिग्धों का भी जिक्र किया है। उन्होंने बताया, ‘जिन दो व्यक्तियों को पूछताछ के बाद छोड़ा है, उनमें एक राशिद का भाई है और दूसरा गौरव तिवारी है। हम इन दोनों पर नजर बनाए हुए हैं। गौरव ने कमलेश को कुछ दिन पहले फोन किया था और सूरत समेत अन्य जगहों पर उनके संगठन के लिए काम करने की इच्छा जताई थी। 24 घंटे के अंदर हमारी टीम ने गुजरात पुलिस की मदद से खुलासा किया। इतनी दूर का कनेक्शन मिलने के बावजूद किसी खास आतंकी संगठन से संपर्क नहीं पाया गया है लेकिन फिर भी आगे हम विवेचना करेंगे।’