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पहाड़ वासियों की पहाड़ सी जिन्दगी

देहरादून। पहाड़ में रहने वाले लोगों की जिन्दगी भी पहाड़ सी ही होती है। छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें कई बार संघर्ष करना पड़ता है। बरसात के दिनों में तो जिन्दगी और भी कठिन हो जाती है। आसमान से बरसने वाली आफत के कारण जीना मुहाल हो जाता है। पहाड़ वासियों की ऐसी ही पीड़ा हो हमने चित्रों के माध्यम से दर्शाने का प्रयास किया है। आप भी देखें और महसूस करें इस दर्द को:-

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उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद में वर्ष 2013 की आपदा में ग्रामीण क्षेत्रों के पुल बह गए थे। ग्रामीणों को कामचलाऊ व्यवस्था से आवागमन करना पड़ रहा है।

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ऋषिकेश- उत्तरकाशी मार्ग से लगे रतूड़ीसेरा गांव के लिए जुगाड़ पुल से बरात को इस तरह जान जोखिम में रखकर जाना पड़ रहा है।

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उत्तरकाशी के मोरी ब्लाक के सांकरी गांव के पास पुल ढहने के बाद अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की गई। उत्तरकाशी की असी गंगा घाटी में वर्ष 2012 में आई बाढ़ से कई पुल बह गए थे। ऐसे में अब ग्रामीणों को इस तरह जान जोखिम में जालकर भागीरथी नदी को पार करना पड़ रहा है।

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मोरी ब्लॉक में रास्ते भी सुरक्षित नहीं हैं। आज भी जखोल इंटर कालेज जाने के लिए बच्चों को खतरनाक रास्तों से होकर जाना पड़ रहा है।

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आपदा में गांव को जोड़ने वाले पुल बहने के बाद सरकार ने कुछ स्थानों पर ट्रॉली लगाई है। सेकू गांव के पास ट्रॉली से भागीरथी नदी को पार करते ग्रामीण।

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बड़कोट क्षेत्र में संपर्क मार्गों का बुरा हाल है। यहां हर समय जान का खतरा बना रहता है। संगमचट्टी से अगोड़ा गांव को जाने वाला रास्ता बेहद खतरनाक है। आवागन में जरा सी चूक से जान का खतरा बना रहता है।

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