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केजरीवाल की हैट्रिक, 70 में से 62 सीटों पर दमदार जीत

नई दिल्ली। विधानसभा चुनाव के नतीजों ने साफ कर दिया कि दिल्ली आप की है। अरविंद केजरीवाल की पार्टी को इस बार 70 में से 62 सीटें हासिल हुईं यानी 88% सीटें। पिछली बार आप ने 67 सीटें जीती थीं यानी 96% सीटें। केजरीवाल लगातार दो बार 88% सीटें जीतने वाले देश के पहले नेता बन गए हैं। केजरीवाल ने मंगलवार को दोपहर 3:30 बजे पार्टी मुख्यालय पर कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने दिल्लीवालों को सपोर्ट के लिए आई लव यू कहा। यह भी कहा कि दिल्ली पर हनुमानजी ने कृपा बरसाई। भाजपा पर तंज कसते हुए केजरीवाल बोले- नई राजनीति का जन्म हुआ है, जिसे काम की राजनीति कहते हैं। यही देश को आगे ले जाएगी।

भाजपा को इस बार 8 सीटें मिलीं, पिछली बार से 5 ज्यादा। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हार स्वीकार की और कहा कि हम सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरविंद केजरीवाल को जीत की बधाई दी और कहा कि वे दिल्ली वालों की उम्मीदों को पूरा करें। कांग्रेस का फिर खाता नहीं खुला। 7 साल से सत्ता से दूर पार्टी फिर शून्य पर अटक गई। राहुल गांधी ने केजरीवाल को जीत की बधाई दी।

आप को मिली देश के चुनावी इतिहास की सातवीं सबसे बड़ी जीत

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने लगातार दूसरे साल 88% या उससे ज्यादा सीटें हासिल की हैं। अरविंद केजरीवाल की आप ऐसा करने वाली देश की पहली पार्टी बन गई है। देश के चुनावी इतिहास में यह सातवीं सबसे बड़ी जीत है। हालांकि, चुनावी नतीजों में 100% सक्सेस रेट के भी रिकॉर्ड हैं। 1989 में सिक्किम संग्राम परिषद और 2009 में सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट ने भी विधानसभा चुनाव में 32 में 32 सीटें जीत ली थीं।

कांग्रेस का फिर खाता नहीं खुला, बस 3 कैंडिडेट जमानत बचा पाए
66 सीटों पर उम्मीदवार उतारने वाली कांग्रेस का इस बार भी खाता नहीं खुल पाया। हालत यह है कि किसी भी सीट पर उसका प्रत्याशी दूसरे नंबर पर भी नहीं आ पाया। पार्टी के तीन कैंडिडेट बमुश्किल अपनी जमानत बचा पाए। गांधी नगर से अरविंदर सिंह लवली को 19%, बादली से देवेंद्र यादव को 20% और कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्त को 19% वोट मिले।

नतीजों के दिन दिल्ली सबसे तेज, 21 मिनट में 70 सीटों की तस्वीर साफ हुई
डाक मत पत्रों की गिनती के बाद मंगलवार सुबह टीवी चैनलों के रुझानों में शुरुआती 15 मिनट में ही यह तय हो गया था कि आप की जीत पक्की है। इसके बाद अगले 7 मिनट में यानी 8 बजकर 21 मिनट पर सभी 70 सीटों के रुझान आ गए और आप ने 50+ सीटों पर लीड बना ली।

ट्रेंड्स कायम, एग्जिट पोल भी सही साबित हो रहे
ट्रेंड्स: दिल्ली में जब भी वोटिंग कम होती है तो सरकार नहीं बदलती। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में 62.59% वोट डाले गए। यह पिछली बार के मुकाबले करीब 5% कम हैं। इस बार भी केजरीवाल की सरकार की वापसी तय है। 2003 में 53% और 2008 में 58% वोटिंग हुई थी। इन दोनों ही चुनावों में सरकार नहीं बदली थी। 2013 में दिल्ली के लोगों ने उस वक्त तक की सबसे ज्यादा 65.63% वोटिंग की थी। जब नतीजे आए, तो 15 साल से सत्तारूढ़ कांग्रेस की विदाई हो गई। 2015 के चुनाव में अब तक का सबसे ज्यादा 67.12% मतदान हुआ। 70 में से 67 सीटें आम आदमी पार्टी ने जीती थीं।

पोल ऑफ एग्जिट पोल्स: वोटिंग के बाद दिल्ली में एग्जिट पोल के अनुमान सामने आए। 7 एग्जिट पोल में आप को स्पष्ट बहुमत का अनुमान जाहिर किया गया। पोल ऑफ पोल्स में आप को 55, भाजपा को 14 और कांग्रेस को 01 सीटें दी गई थीं। नतीजों में आप को स्पष्ट बहुमत हासिल हुआ है।

चुनाव प्रचार में भाजपा आगे, पर आप का ‘टीना’ फैक्टर भारी पड़ा
भाजपा ने 2019 का लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के ही चेहरे पर लड़ा और उसे 303 सीटें मिलीं। आप ने इसी से सबक लिया। जिस तरह भाजपा ने प्रचारित किया था कि मोदी के सिवाय देश में कोई विकल्प नहीं है, उसी तरह आप ने भी दिल्ली विधानसभा चुनाव में यह प्रचारित किया कि केजरीवाल के सिवाय कोई विकल्प नहीं है। इसे ‘टीना’ यानी देयर इज नो अल्टरनेटिव (TINA) फैक्टर कहते हैं। आप का प्रचार इसी पर केंद्रित रहा।

भाजपा ने 36 साल पुराना अनुच्छेद 370 हटाने का वादा पूरा किया, पर 4 में 3 चुनाव हारी
भाजपा ने पहला चुनाव 1984 में लड़ा था। तब जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटाने का वादा किया था। 5 साल बाद 1989 में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और यूनिफॉर्म सिविल कोड भी भाजपा के मूल वादों की फेहरिस्त में जुड़ गया। दोनों ही वादे पूरे हो चुके हैं। लेकिन, इन्हें पूरा करने के बाद हुए चार में से तीन विधानसभा चुनाव में भाजपा हार चुकी है। महाराष्ट्र में भाजपा सबसे ज्यादा सीटें हासिल करने के बावजूद विपक्ष में बैठी। हरियाणा में जजपा की मदद से सरकार बनानी पड़ी। झारखंड में हार गई और दिल्ली भी।

2 साल में एनडीए 8 राज्यों में हारा
भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए पिछले दो साल में आठ राज्यों में चुनाव हार चुका है। दिल्ली समेत 12 राज्यों में अभी भी भाजपा विरोधी दलों की सरकारें हैं। एनडीए के पास 16 राज्यों में ही सरकार है। इन राज्यों में 42% आबादी रहती है।

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