कोरोनावायरस से ज्यादा खतरनाक है इससे जुड़ी अफवाहें
दुनियाभर में इन दिनों कोरोनावायरस का खौफ छाया हुआ है। हर एक शख्स कोरोनावायरस के चलते खौफज़दा है। भारत में तेजी से फैल रहे कोरोनावायरस ने पूरे देश में इमरजेंसी जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। आलम यह है कि लोग अपने घरों से बाहर निकलने से भी कतरा रहे हैं। सामाजिक कार्यक्रमों, बाजारों और भीड़भाड़ में जाना मानों हम भूल ही गए हैं। यही नहीं कोरोनावायरस के डर से लोग अब एक दूसरे से हाथ मिलाने से भी कतरा रहे हैं। यह हाल भारत का ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में लोग हाथ मिलाने की बजाए नमस्कार एवँ अन्य तरीके अपना रहे हैं।
सरकारों द्वारा कईं जगहों पर प्रतिबंध लगाकर उन्हें कुछ समय के लिए बन्द कर दिया है। स्कूल, दफ्तर, शॉपिंग मॉल, सिनेमाहॉल, रेल, बस और हवाई सेवाएं सभी कुछ कोरोनावायरस से प्रभावित हुए हैं। दरअसल कोरोनावायरस नामक बीमारी इतनी खतरनाक नहीं है जितनी उससे जुड़ी अफवाहे हैं। यह अफवाहों का ही असर है कि लोग इस बीमारी को होव्वा मान बैठे हैं। जबकि सावधानी और संयम बरतकर इस बीमारी को हराया जा सकता है। आज हालात यह हो चुके हैं कि लोग मामूली खांसी-जुकाम को भी कोरोनावायरस से जोड़कर देख रहे हैं। आधी दुनिया दहशत की वजह से इस बीमारी को गंभीर मानकर चल रही है। लोगों के दिलों में दहशत बैठाने का काम अफवाहों ने ही किया है।
यदि अफवाहों की ही बात की जाए तो सोशल मीडिया से लेकर हर गली-नुक्कड़ में यही चर्चा आम है कि कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है और इसका कोई इलाज नहीं है। हमारी सरकार ने भी जागरूकता फैलाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। मगर कई बार यह जागरूकता भी नकारात्मक परिणाम लेकर सामने आती है। शायद ऐसा ही कुछ कोरोनावायरस के मामले में भी देखने को मिल रहा है। फोन पर कॉल लगाते ही खांसते हुए व्यक्ति की आवाज सुनाई देती है। यह आवाज जागरूक कम और डराती ज्यादा है। टीवी, मोबाइल और पत्र-पत्रिकाओं सभी जगह कोरोनावायरस से बचने के उपाय बताए जा रहे हैं। शहरों के तमाम होर्डिंग्स कोरोनावायरस से बचाव के उपायों को दर्शाते दिख रहे हैं।
ऐसे में हम सभी लोग कोरोनावायरस को भयंकर महामारी समझ बैठे हैं। जबकि दुनिया में ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका समाधान न हो। यदि शुरुआत से ही इस बीमारी की बात की जाए तो चीन के वुहान शहर जहां कोरोनावायरस का जन्म हुआ और जहां से ये पूरी दुनिया में फैला वहां लोगों, प्रशासन और चिकित्सकों की टीमों ने एकजुट होकर काम किया और इस बीमारी को हरा दिया। अब वहां हालात सामान्य बताये जा रहे हैं। तो ऐसे में सवाल ये उठता है कि हम क्यों घबरा रहे हैं, हम भी इस बीमारी से लड़कर इसे हरा सकते हैं।
अब हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस बीमारी को लेकर इसे बड़ी इमरजेंसी घोषित कर दिया है। साथ ही लोगों से “जनता कर्फ्यू” की अपील भी कर दी है। मगर मोदी जी की इस अपील का शायद लोगों पर गलत असर पड़ गया है। लोग उनकी अपील से जागरूक कम, डर ज्यादा गए हैं। प्रधानमंत्री के संबोधन के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर “जनता कर्फ्यू” के समर्थन से भरे संदेशों की बाढ़ सी आ गई। मानों कोई बहुत बड़ी विपदा आने वाली है, जिसके चलते लोगों से एकजुट होकर घरों में कैद होने का आह्वान किया जा रहा है।
दरअसल ऐसे हालातों में घबराने की बजाय हमें संयम और सावधानी बरतने की जरूरत है। सोशल मीडिया पर न अफवाहें फैलाएं और न ही बिना पुष्टि किये किसी अफवाह को सच मानें। अगर कुछ दिनों आप सोशल मीडिया की बेफिजूल की खबरों और अफवाहों से परहेज़ करें तो यकीन मानिये आधी बीमारी और इससे जुड़ा डर खुद ही दूर हो जाएगा। इसके अलावा अपनी सेहत का ध्यान रखें व स्वच्छ रहें। यदि आप कोई परेशानी महसूस कर रहे हैं तो डॉक्टर का परामर्श लें न कि अफवाहें फैलाने वाले साधनों का। याद रखिए “कोरोना वायरस से सावधानी ही बचाव है।” सावधान रहकर ही इस समस्या से निपटा जा सकता है।