कई मामलों में अनूठा है ये सूर्यग्रहण, जी भर के इसे देख लीजिए मगर सावधानी से
देहरादून। आज होने वाला सूर्यग्रहण कई मामलों में अनूठा है, इसलिए जी भर के इसे देख लीजिए, लेकिन पूरी सावधानी के साथ। जो बात इस ग्रहण को बेहद दुर्लभ बनाती है वह यह है कि इसके बाद भारत से इस शताब्दी में केवल तीन सूर्यग्रहण और दिखाई देंगे वे भी लंबे अंतराल के बाद।
यह ग्रहण भी वलय (रिंग) रूप में उत्तर भारत में केवल 21 किमी. चौड़ी एक पट्टी में ही नजर आएगा। अन्यत्र यह आंशिक ग्रहण की तरह नजर आएगा। वलय की अधिकतम अवधि मात्र 38 सेकंड रहेगी। इस सदी के बीते 20 वर्षों में भारत से 5 सूर्यग्रहण नजर आए जो 2005, 2006, 2009, 2010, 2019 में दिखे।
आज का ग्रहण मिला कर 20 वर्ष में कुल 6 ग्रहण हो जाएंगे जो एक से लेकर 09 वर्ष तक के अंतराल में पड़ते रहे। इसके चलते देशवासियों के लिए यह एक दुर्लभ घटना नहीं रही, लेकिन इसके बाद पूरी इक्कीसवीं सदी में मात्र 3 सूर्यग्रहण भारत से नजर आएंगे वे भी क्रमशः 14, 30 और 21 वर्ष के अंतराल में पड़ेंगे। (इस लाल रेखा के मार्ग में पड़ने वाले क्षेत्रों से नजर आएगा वलय)।
भारत से नजर आने वाला अगला सूर्यग्रहण 20 मार्च 2034 को पड़ेगा जो कि एक पूर्ण सूर्यग्रहण होगा और भारत इस दुर्लभ घटना का गवाह बनेगा। उसके बाद भारत से अगला सूर्यग्रहण 17 फरवरी 2064 को नजर आएगा और इस सदी का भारत से नजर आने वाला अंतिम सूर्यग्रहण 22 जून, 2085 को पड़ेगा।
वैसे 21 वीं सदी में कुल 224 सौर ग्रहण हैं, जिनमें से 77 आंशिक, 72 वलयाकार , 68 पूर्ण ग्रहण और 07 पूर्ण और और वलयाकार ग्रहणों के बीच के संकर हैं। वर्ष 2029, 2047, 2065, 2076 और 2094 में चार सूर्यग्रहण होंगे। इस सदी का सबसे लंबी अवधि 6 मिनट 38 सेकंड का पूर्ण ग्रहण 22 जुलाई, 2009 का था।
बता दें कि पूर्ण सूर्य ग्रहण की सबसे लंबी संभव अवधि 7 मिनट 32 सेकंड होती है। 21 वीं सदी का सबसे लंबा वलयाकार सूर्य ग्रहण 15 जनवरी, 2010 को 11 मिनट और 7.8 सेकंड की अवधि का था। इसकी अधिकतम संभव अवधि 12 मिनट और 29 सेकंड होती है।