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मंदिर तक जाने के लिए महिलाओं ने पहाड़ी काटकर बनाई 300 मीटर सड़क

भिलाई। जंगल से घिरी पहाड़ी के ऊपर मां शीतला का मंदिर। मुख्य मार्ग से मंदिर करीब 3 किलोमीटर दूर। उबड़-खाबड़, पथरीली और पहाड़ी के बीच रास्ता, वह भी झाड़ियों से घिरी। मंदिर जाने के लिए करीब 45 मिनट से 1 घंटे लग जाते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। बालोद जिला के डौंडी लोहारा ब्लाॅक के हितापठार गांव की 159 परिवार की महिलाओं ने अपनी श्रम शक्ति से इसकी सूरत बदल दी है।

9 महीने में श्रमदान करके पहाड़ी को काटकर 300 मीटर लंबी सड़क बना दी है। इसमें अब मोटर साइकिल और कारें दौड़ने लगी हैं। नवरात्रि के अलावा सामान्य दिनों में भी ग्रामीणों को मंदिर जाना होता था। मंदिर जाते समय कई बार लोग दुर्घटना के भी शिकार हो चुके थे। इसे देखते हुए 11 फरवरी 2020 में महिलाओं ने श्रमदान कर सड़क बनाने की ठानी थी।

इसमें गांव के पुरुषों का भी सहयोग रहा। इस मार्ग को पिछले हफ्ते पूरा किया गया। इसके बाद मंदिर में आने-जाने का मार्ग सरल हो गया।

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हर हफ्ते में 4 दिन गांव के हर परिवार ने किया श्रमदान
मार्ग बनाने के पहले गांव की महिलाओं ने समिति तैयार की। उन्होंने बताया कि इतनी लंबी राह बनाना आसान नहीं था। कोई एक व्यक्ति इसे बना नहीं सकता था। गांव में सभी के अपने- अपने घरों के भी काम होते हैं। ऐसे में एक युक्ति बनाई गई, ताकि घरों के भी काम प्रभावित न हो और आसानी से मार्ग भी बन जाए। इसके लिए प्रत्येक परिवार के सदस्यों से सिर्फ 4 दिन श्रमदान करने की बात कही गई। इसके लिए भी राजी हो गई।

खेती के लिए रोकेंगे अब बारिश का पानी
संस्था की धर्मा बाई ने बताया कि हितापठार गांव पहाड़ी से घिरा है। ढालू होने की वजह से बारिश का पानी बह जाता है। ग्राउंड वाटर लेबल भी 300 फीट से नीचे है। पथरीली जमीन के कारण सिर्फ धान का ही फसल ले पाते हैं। एक एकड़ में 8 से 10 क्विंटल धान ही मिलता है। इसे देखते हुए अब बारिश का पानी रोकने के लिए चेक डेम और बोल्डर स्ट्रक्चर बनाया जाएगा। मेड़ भी बनाई जाएगी, ताकि पानी रोक सकें।

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