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जानिए राम नवमी का शुभ मुहूर्त, मंत्र और पूजा विधि

चैत्र नवरात्र की नवमी तिथि को राम नवमी के रूप में भी मनाया जाता है। माना जाता है कि भगवान श्री राम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को दोपहर के समय कर्क लग्न में हुआ था।  उस समय चन्द्रमा पुनर्वसु नक्षत्र में था और सूर्य मेष राशि में। राम नवमी के दिन व्रत रखने की भी मान्यता है।
ज्योतिष के जानकारों के अनुसार राम नवमी के दिन राम रक्षा स्रोत का अनुष्ठान करने से सुखी शांत गृहस्थ जीवन, रक्षा और सम्मान प्राप्त होता है। अगर आपने नवरात्र में राम रक्षा स्रोत का अनुष्ठान नहीं किया है तो इस दिन ग्यारह या इक्कीस जप कर लीजिए।

अगर आप पूरा स्रोत नहीं पढ़ सकते तो एक श्लोक – श्री राम राम रघुनंदम राम राम ही पढ़ लीजिये। श्री राम का मुख्य मन्त्र है- रां रामाय नम: आज इस मन्त्र का जप करने से आपको सुख और सम्मान की प्राप्ति होगी।

राम नवमी शुभ मुहूर्त

नवमी तिथि प्रारम्भ- 20 अप्रैल रात 12 बजकर 44 मिनट से शुरू

नवमी तिथि समाप्त-  21 अप्रैल रात 12 बजकर 33 मिनट तक

राम नवमी पूजा विधि

राम नवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि से निवृत होकर भगवान राम का ध्यान करें और व्रत रखने का संकल्प लें। इसके बाद  पूजा की थाली में तुलसी पत्ता और कमल का फूल अवश्य रखें। रामलला की मूर्ति को माला और फूल से सजाकर पालने में झूलाएं। इसके बाद राम नवमी की पूजा षोडशोपचार करें। इसके साथ ही रामायण का पाठ तथा राम रक्षास्त्रोत का भी पाठ करें। भगवान राम को खीर, फल और अन्य प्रसाद चढ़ाएं। पूजा के बाद घर की सबसे छोटी कन्या के माथे पर तिलक लगाएं और श्री राम की आरती उतारें। पूजा आदि के बाद हवन करने का भी विधान है। आज तिल, जौ और गुग्गुल को मिलाकर हवन करना चाहिए। हवन में जौ के मुकाबले तिल दो गुना होना चाहिए और गुग्गुल आदि हवन सामग्री जौ के बराबर होनी चाहिए। राम नवमी के दिन घर में हवन आदि करने से घर के अन्दर किसी भी प्रकार की अनिष्ट शक्ति का प्रवेश नहीं हो पाता और घर की सुख-समृद्धि सदैव बनी रहती है।

ऐसे बनाएं राम यंत्र

राम यंत्र बनाने के लिये आपको एक भोजपत्र, अनार की कलम और केसर की स्याही की जरूरत होगी लेकिन अगर आप इन सब चीज़ों को ना जुटा पायें, तो आप केवल एक सफेद कागज और एक लाल स्केच पेन या पेन लें। अब भोजपत्र पर या सफेद कागज पर एक बिंदू बनाइये। फिर इस बिंदू के बाहर एक त्रिकोण बनाइये। अब फिर से उस त्रिकोण के विपरीत एक और त्रिकोण बनाइये। इस तरह ये एक षटकोण बन जायेगा। अब षटकोण के बाहर एक वृत्त बनाइये। फिर वृत्त के बाहर 8 कमल की पंखुड़िया बनाईए। राम यंत्र बनाते समय हर स्टेप को करने की एक ही प्रक्रिया है। वह प्रक्रिया यह है- सबसे पहले पूर्व दिशा में श्री राम का स्मरण करते हुए अपनी आँखों को बंद करके, दोनों भौहों के बीच त्रिपुटी पर अपना ध्यान केंद्रित करें और ऊँ शब्द का सस्वर 6 बार उच्चारण करें। फिर दाहिनी नाक से सांस खींचिएं, रोकिए और श्री राम का स्मरण करके बाईं नाक से निकाल दीजिए। ऐसा 6 बार करना है। फिर ‘राम’ शब्द का सस्वर 108 बार उच्चारण करके अपनी आँखें खोलिये। इस तरह आपका यंत्र तैयार हो जाऐगा।

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