राज्य विकास में आंगनबाडि़यों की महत्वपूर्ण भूमिका
देहरादून। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रविवार को साथी विहार शिवलोक कालोनी में निर्धन जनों को वस्त्र वितरण किये तथा विशाल जनसभा को सम्बोधित किया। मुख्यंमत्री श्री रावत ने उपस्थित महिलाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम मातृ शक्ति का सम्मान करते है। आज राज्य सरकार जन्म से वृ़द्धावस्था तक प्रत्येक स्तर पर उनके साथ है। राज्य सरकार कन्या जन्म पर निर्धन परिवारों को 5000 रूपये प्रदान करती है। बालिकाओं की शिक्षा के प्रोत्साहन के लिए गौरादेवी योजना संचालित है। लड़कियों के विवाह के अवसर पर नन्दा देवी योजना के अन्र्तगत निर्धन वर्ग की लड़कियों को आर्थिक सहायता दी जा रही है।
गर्भावस्था में उनकों पौष्टिक अनाज व अन्य सहायता उपलब्ध करवायी जा रही है इनमें आंगनबाड़ियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। 60 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को राज्य सरकार द्वारा पेंशन उपलब्ध करवायी जा रही है। वृद्ध महिलाओं को रोडवेज की बसों में निःशुल्क यात्रा की सुविधा दी गयी है साथ ही मेरे बुर्जुग मेरे तीर्थ योजना के अन्र्तगत उन्हें चारधाम यात्रा निःशुल्क करवायी जा रही है। राज्य सरकार द्वारा कमजोर बच्चों को आंगनबाडी के माध्यम से पौष्टिक आहार उपलब्ध करवाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने महिलाओं से अनुरोध किया कि कमजोर बच्चों को आंगनबाड़ी में ले जाया जाय। महिलाओं को 5 रूपये प्रति लीटर बोनस प्रदान किया जा रहा है। निर्धन विधवा महिलाओं को गंगा गाय योजना के अन्र्तगत गाय प्रदान की जा रही है। इन्दिरा अम्मा भोजनालय योजना महिलाओं के लिए संचालित की गयी है।
महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा स्थानीय उत्पादों को बेचने के प्रयासो को राज्य सरकार द्वारा प्रोत्साहन दिया जा रहा है। राज्य सरकार महिला स्वयं सहायता समूहों व महिला मंगल दलों से प्राप्त स्थानीय उत्पादों की बिक्री से जितनी भी आय प्राप्त करेगी उसका 5 प्रतिशत महिला मंगल दलो व स्वय सहायता समूहों को दिया जायेगा। 5000 रूपये की आरम्भिक राशि से महिला मंगल दलों के खाते खोले जायेगे। व्यवसायिक गतिविधियाॅं आरम्भ करने के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों को 20 से 25 हजार तक का अनुदान प्रदान किया जायेगा। आर्थिक स्वालम्बन ही महिला सशक्तीकरण की कुंजी है। राज्य सरकार विश्वास करती है कि अब नारी शक्ति ही उत्तराखण्ड के विकास के द्वार खोलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सराकर राज्य में महिला सशक्तिकरण पर विशेष बल दे रही है। राज्य में महिला उद्यमिता के विकास, महिला मंगल दला तथा स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस वर्ष पुलिस में महिला काॅस्टेबल की 1000 तथा सब इंसपेक्टर की 200 भर्तियाॅं कि गयी। होमगार्ड व पीआरडी में 30 प्रतिशत महिलाऐ भर्ती की जायेगी। राज्य सरकार 2017 से पहले सरकार के चार विभागों में सिर्फ महिलाओं की भर्ती सुनिश्चित करेगी।
उत्तराखण्ड की जनता, कर्मचारी, अधिकारी, जनप्रतिधि तथा मंत्रीगण बधाई के पात्र है जिनके प्रयासों से 2013 की आपदा जैसी भयकर तबाही के बाद भी आज राज्य सबसे तेजी से विकास करने वाले राज्यों में अग्रणी है। हम खुशहाल, प्रगतिशील व विकसित उत्तराखण्ड बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि यह उत्तराखण्ड की जनता के परिश्रम का ही फल है कि 2013 की भयंकर त्रासदी के बाद जिसमे राज्य का 60 प्रतिशत भाग तबाह हो गया आज सबसे तेजी से विकास करने वाले राज्यों मे अग्रणी स्थान पर है।
विभिन्न स्वंत्रत संस्थाओं व अन्र्तराष्ट्रीय संगठनों के अध्ययन सेे यह परिणाम निकले है। नीति आयोग ने कहा है कि देश के ऐसे 6 राज्य जो 12 प्रतिशत से अधिक वृद्धिदर से विकास कर रहे है उनमें उत्तराखण्ड का महत्वपूर्ण स्थान है। विश्व बैंक ने घोषित किया है कि भारत में उत्तराखण्ड राज्य में उद्योग व व्यवसायिक गतिविधियों के लिए अनुकूल व अच्छा वातावरण है तथा इस सन्दर्भ में उत्तराखण्ड का स्थान प्रथम है। हाल ही में ऐसाचैम ने कहा कि उत्तराखण्ड तेजी से विकसित होने वाले राज्यों में अग्रणी है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि यह प्रसन्नता कि बात है कि आज उत्तराखण्ड राज्य 13-14 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से विकास कर रहा है तथा आशा है कि 2018-19 तक यह वृद्धि दर 18 प्रतिशत से अधिक हो जायेगी। श्री रावत ने जनता से अपील कि हम सभी को आपसी मतभेदों को भुलाकर गरीबी, शिक्षा व पिछडे़पन के खिलाफ लड़ना है।
मुख्यमंत्री ने कहा की राज्य सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की सामाजिक पेंशन समाज के प्रत्येक कमजोर वर्ग को प्रदान की जा रही है। दो साल पहले तक राज्य में सामाजिक पेंशनो को प्राप्त करने वाले लाभार्थियों की संख्या 1.84 लाख थी जो अब 7 लाख से ऊपर हो गयी है। राज्य सरकार का लक्ष्य इन पेशंन लाभार्थियों की संख्या 10 लाख तक करने का है। पहले मात्र 1000 रूपये की आमदनी वाला व्यक्ति पेंशन का पात्र था लेकिन राज्य सरकार ने आय सीमा को बढ़ाकर अब 4000 रूपये कर दिया है।
देश में अन्य कोई ऐसा राज्य नही है जो अपनी जनता को इतनी प्रकार की पेंशन प्रदान करता हो। विकलांग, बौने, जागरी, मौलवी, विक्षिप्त व्यक्ति की पत्नी, जन्म के समय विकलांग होने वाले बच्चे, विधवा, परित्यकता आदि विभिन्न प्रकार की पेंशन राज्य सरकार द्वारा दी जा रही है। वास्तव में राज्य सरकार इन पेंशनों के माध्यम से राज्य के कमजोर व असहाय जनता में एक सुरक्षा की भावना उत्पन्न करता चाहती है ताकि वह किसी भी परिस्थिती में स्वयं को अकेला अनुभव न करे। जनता को यह विश्वास रहे कि राज्य सरकार उनके साथ एक मददगार की तरह उनके साथ है।
उत्तराखण्ड पूरे देश में तमिलनाडु के बाद दूसरा एकमात्र राज्य बन गया है जिसकी 90 प्रतिशत जनसंख्या अन्न सुरक्षा पा रही है। उत्तराखण्ड के समाज का कोई भी कमजोर हिस्सा ऐसा नही है जिसे राज्य सरकार द्वारा पेंशन के रूप में कोई आर्थिक सहायता नही दी जा रही हो । राज्य सरकार ने लक्ष्य रखा है कि सामाजिक पेंशन पाने वाले लाभार्थियों की संख्या 10 लाख तक की जायेगी।