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हरिद्वार में होगा जनरल रावत और उनकी पत्नी का अस्थि विसर्जन, पढ़िए पूरी खबर

नई दिल्ली। हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद जनरल बिपिन रावत की अस्थियां आज हरिद्वार में गंगा में प्रवाहित की जाएंगी। जनरल रावत के छोटे भाई और पूर्व सैन्य अधिकारी विजय रावत ने बताया कि आज उनकी अस्थियों को हरिद्वार ले जाया जाएगा जहां परिवार के सदस्य उनकी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करेंगे। कल दिल्ली के बरार स्क्वायर में जनरल रावत का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। जनरल रावत की दोनों बेटियों कृतिका और तारिणी ने अपने माता-पिता को मुखाग्नि दी अब आज दोनों की अस्थियां गंगा में प्रवाहित की जाएंगी। इसके लिए पूरा परिवार आज हरिद्वार पहुंच रहा है।

सीडीएस बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत अन्य सैन्य अधिकारियों का आठ दिसंबर को तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलीकॉप्टर दुर्घटना में आकस्मिक निधन हो गया था। आज वीआईपी घाट पर सुबह दस बजे स्व. बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत की अस्थियां विसर्जित की जाएगी। जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय ने बताया कि दिवंगत सीडीएस बिपिन रावत एवं उनकी पत्नी की अस्थियां हरिद्वार पहुंचने की मौखिक जानकारी मिली है। अभी तक लिखित रूप से प्रशासन को कोई भी जानकारी नहीं आई है। लेकिन प्रशासन ने तैयारियां पूरी कर दी है।

डीएम ने बताया कि अस्थियों को उनकी बेटियां कृतिका और तारिणी व पारिवारिक सदस्य हरिद्वार लेकर आएंगे। उनके काफिले में करीब छह से सात वाहन होंगे। वीआईपी घाट पर अस्थि विसर्जित की जाएंगी। डीएम ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट के पहुंचने की भी संभावना है। हालांकि इसका लिखित कार्यक्रम जारी नहीं हुआ है।

वहीं, आपको बता दें कि जनरल रावत की दोनों बेटियों कृतिका और तारिणी के अलावा एक और बेटी की कल से खूब चर्चा है उस बेटी का नाम है आशना। आशना ब्रिगेडियर लखविंदर सिंह लिड्डर की बेटी हैं। कल इन तीनों बहादुर बेटियों ने जिस तरह से अपने शहीद पिता को विदा किया है उसके बाद पूरा देश इन्हें दिल से दुआएं दे रहा है।

कृतिका, तारिणी और आशना हिंदुस्तान के हर परिवार में कल से इन्हीं तीन बेटियों की चर्चा है। हर मां इन तीन बेटियों को दुआ दे रही है हर पिता के दिल से उनके लिए आशीर्वाद निकल रहा है। इनमें से एक बेटी 30 साल की है, दूसरी 27 साल की और तीसरी बेटी की उम्र तो अभी सिर्फ 17 साल है। ये तीन बेटियां उस जज्बे की प्रतिक बन गई हैं, जिसे देशभक्ति कहते हैं। बेटियां हमेशा अपने पापा की लाडली होतीं है, ऐसा हर परिवार में ही कहा जाता है। लेकिन जब अचानक पापा हमेशा के लिए दूर चले गए तब खुद को संभालना, परिवार को संभालना, ये जनरल बिपिन रावत और ब्रिगेडियर लिड्डर की बहादुर बेटियों ने दिखाया है।

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