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अफसोस! चुनाव में कम हुआ तिरंगे का क्रेज

देहरादून। जल्द ही देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। चुनावों को लेकर पांच राज्यों समेत उत्तराखण्ड में भी इन दिनों चुनावी तैयारियों ने जोर पकड़ा हुआ है। जिस वजह से पूरे राज्य का माहौल चुनावी रंग में रंगा नजर आ रहा है। जहां देखो राजनीतिक दलों के प्रत्याशी और उनके समर्थक वोट मांगते और अपनी पार्टी का झण्डा लहराते हुए नजर आ रहे हैं।ऐसे चुनावी महासमर के बीच हमारा राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस भी आ गया किन्तु हर बार की तरह इस बार गणतंत्र दिवस को लेकर इन पांच राज्यों में लोगों के बीच उत्साह कुछ कम ही नजर आ रहा है। जिस वजह से गणतंत्र दिवस का जश्न कुछ फीका सा दिखायी पड़ रहा है।

गौरतलब है कि हर वर्ष 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) और 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) के अवसर पर हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे की मांग काफी बढ़ जाती है और देशभर में इसकी खूब बिक्री होती है। किन्तु जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं वहां तिरंगे की बिक्री में काफी गिरावट देखने को मिल रही है। इन राज्यों में जिधर देखो बस राजनीतिक दलों के पोस्टर, बैनर और झण्डे ही नजर आ रहे हैं।

 

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आलम ये है कि सड़क किनारे सिग्नल पर तिरंगे झण्डे बेचने वाले बच्चे कारों का शीशा खटखटाते हुए थक जाते हैं किन्तु कोई शीशा उतारकर तिरंगा खरीदने को तैयार नहीं होता। कमोबेश यही सूरत—ए—हाल दुकानों में बिकने वाले तिरंगे झण्डे का भी है। देहरादून में तिरंगा बेचने वाले दुकानदारों की यदि मानें तो इस बार चुनाव की वजह से तिरंगे की मांग कम हुई है और हर बार की अपेक्षा तिरंगा झण्डा काफी कम बिक रहा है।

बड़ी ही हैरानी और अफसोस की बात है कि हम चुनाव जैसे भव्य आयोजन की वजह से अपने राष्ट्रीय पर्वों के महत्व को कम कर देते हैं और चुनाव के दौरान पूरी तरह से राजनीती की खुमारी में डूब जाते हैं। हम किसी भी दल का समर्थन क्यों न करते हों किन्तु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सबसे पहले हम भारतीय हैं और चुनाव आदि किसी भी आयोजन की वजह से हमारी देश भक्ति और देश के प्रति हमारे जज्बे में कोई कमी नहीं आनी चाहिए। हमें हर बार अपने राष्ट्रीय पर्वों को पूरे उत्साह के साथ मनाना चाहिए। तभी हम सच्चे भारतीय और राष्ट्रभक्त कहलायेंगे।

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