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जेसीपी अध्यक्ष भावना पांडे ने सरकारी तंत्र पर लापरवाही बरतने का लगाया आरोप, कही ये बात

देहरादून। उत्तराखंड में आई भीषण आपदा को लेकर वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी, प्रसिद्ध जनसेवी एवं जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) की केंद्रीय अध्यक्ष भावना पांडे ने कईं सवाल खड़े किये हैं। उन्होंने आपदा के दौरान सरकार और सरकारी तंत्र पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए जमकर निशाना साधा है।

वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने कहा कि मौसम विभाग ने उत्तराखंड में भारी बारिश को लेकर पहले ही अलर्ट जारी कर दिया था। मौसम विभाग की चेतावनी के बावजूद सरकार, प्रशासन और एसडीआरएफ चैन से सोते रहे। यदि पूर्व में ही सरकारी महकमा चौकन्ना रहता तो शायद परिणाम इतने भयावह नहीं होते। मगर ताज़्ज़ुब है कि वर्ष 2013 में प्रदेश में आई भीषण आपदा के बाद भी सरकार ने कोई सबक नही लिया। तब से लेकर अबतक उत्तराखंड में कईं बार आपदाएं आ चुकी हैं किन्तु सरकारी मशीनरी का हर बार लचर रवैया ही देखने को मिला है।

उत्तराखंड की बेटी भावना पांडे ने बड़ा सवाल उठाते हुए कहा कि शनिवार तड़के आई इस भयानक आपदा में अबतक चार लोगों की मौत हो चुकी हैं, आखिर इन मौतों का जिम्मेदार कौन है। वहीं इस प्रलय में लापता हुए लोगों को तलाश करने में एसडीआरएफ और प्रशासन की टीमें आखिर क्यों लापरवाही बरत रहीं हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार और अधिकारियों के बीच में बिल्कुल भी समन्वय नहीं हैं। आलम ये है कि आज अधिकारी पूरी तरह बेलगाम हो चुके हैं। आपदाओं की मार से पहाड़ कराह रहा है और अधिकारी मौज कर रहे हैं। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि आखिर इन हादसों की कब ज़िम्मेदारी लेगी सरकार।

जेसीपी अध्यक्ष भावना पांडे ने सरकारी मशीनरी पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य का आपदा नियंत्रण विभाग पूरी तरह से फेल हो चुका है। मौसम विभाग की चेतावनी के बावजूद सरकार और आपदा प्रबंधन किसी भी चेतावनी को गंभीरता से नहीं लेता, परिणाम स्वरूप सूबे में प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं और लोग मरते रहते हैं। उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा कि बन्द एयर कंडीशनर कमरों में बैठकर बड़े-बड़े निर्णय लेने वाली सरकार आखिर ज़मीन पर उतरकर कब काम करेगी। उन्होंने कहा कि आपदा के दौरान कुछ पल के लिए बुलडोजर पर बैठकर तस्वीरें खिंचावकर मुख्यमंत्री ने अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली।

उत्तराखंड की बेटी भावना पांडे ने पहाड़ वासियों की पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार की लापरवाही की वजह से आज पहाड़ों पर रहना मुश्किल हो गया है। रोज़ाना आपदाएं आ रही हैं मगर लोगों की जान की कीमत से शायद सरकार को कोई सरोकार नहीं है। इसी का ताजा उदाहरण है कि आपदा में लापता हुए 12 लोगों को आपदा प्रबंधन अभी तक नहीं खोज पाया है।

जनसेवी भावना पांडे ने कहा कि पहाड़ी इलाकों में तेजी से पेड़ों का अवैध कटान किया जा रहा है। मालदेवता क्षेत्र में धड़ल्ले से अवैध रूप से हुई प्लाटिंग, रोड कटिंग, पेड़ों की कटाई और खनन किया जा रहा है। कुदरत से किये जा रहे खिलवाड़ की वजह से आपदाएं आ रही हैं। मंत्रियों, अधिकारियों और नेताओं की मिली भगत से नदियों में अवैध निर्माण किया जा रहा है और बस्तियां बसाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि इसे प्राकृतिक आपदा न कहकर मानवीय आपदा कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। सवाल यही उठता है कि आखिर जिम्मेदार कौन?

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