मलबे के ढ़ेर में तब्दील हुआ नोएडा का ट्विन टावर, चंद सेकंड में ढह गई 32 और 30 मंजिला इमारत
नोएडा। जिस पर पूरे देश और दुनिया की निगाहें लगी थीं, वो ट्विन टॉवर चंद सेकंड में ही गिरकर ध्वस्त हो गया और एक इतिहास बन गया। देश में ये अपनी तरह का पहला मामला था, जब हजारों किलो विस्फोटक से इतने भीमकाय टावर को गिराया गया हो। जमींदोज होने से पहले ही आसपास के पूरे इलाके में हर तरह की आवाजाही पर रोक लगा दी गई थी। जैसे ही घड़ी में 2.30 बजे, ट्विन टावर विस्फोट से भरभराकर गिर गया और आसपास बेतहाशा धूल का बड़ा सा गुबार फैल गया।
नोएडा के सेक्टर-93A में बना सुपरटेक का ट्विन टावर आज ध्वस्त हो गया। सुपरटेक के इन ट्विन टावरों को ध्वस्त करने में मुंबई स्थित एडिफिस इंजीनियरिंग और उनकी दक्षिण अफ्रीकी साझेदार फर्म जेट डिमोलिशन सुपरटेक ट्विन टावरों को गिराने का काम किया। इन दोनों टावरों को गिराने में लगभग 3600 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया।
एक्सप्लोजन जोन में 560 पुलिसकर्मी, रिजर्व फोर्स के 100 लोग और 4 क्विक रिस्पांस टीम समेत एनडीआरएफ टीम तैनात रहे। दोनों टावर कुतुब मीनार से भी ऊंचे थे और इन्हें ‘वाटरफॉल इम्प्लोजन’ तकनीक से ढहा दिया गया। इनमें से एक इमारत 103 मीटर की थी, जबकि दूसरी इमारत की लंबाई 97 मीटर थी। इमारतों को गिराने के लिए हरियाणा के पलवल से लाया गया था। यह डायनामाइट, इमल्शन और प्लास्टिक विस्फोटक का मिश्रण था।
18 करोड़ आया खर्चा
इन दोनों टावरों को गिराने में लगभग 3600 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया। टावरों को गिराने में लगभग 18 करोड़ रुपए का खर्चा आया। अगर विस्तार से देखें तो दोनों टावरों को नेस्तनाबूद करने में लगभग 267 रुपये प्रति वर्ग फुट अनुमानित है। लगभग 7.5 लाख वर्ग फुट के कुल निर्मित क्षेत्र को देखते हुए, विस्फोटकों सहित कुल विध्वंस लागत करीब 18 करोड़ रुपये होगी।
मलबा बेचकर जुटाए जाएंगे लगभग 15 करोड़ रुपए
इस 18 करोड़ रुपए में से सुपरटेक लगभग 5 करोड़ रुपये का भुगतान कर रही है और बकाया 13 करोड़ रुपये की राशि मलबे को बेचकर प्राप्त की जाएगी, जो कि 4,000 टन स्टील सहित लगभग 55,000 टन होगी। इसके अलावा इमारतों को गिराने के लिए जिम्मेदार कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग ने आसपास के क्षेत्र में किसी भी क्षति के लिए 100 करोड़ रुपये का बीमा कवर भी हासिल किया है।
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