Breaking NewsUttarakhand

17 मार्च से शुरू होगा ऐतिहासिक झंडा मेला

देहरादून।  द्रोणनगरी के ऐतिहासिक झंडा मेला 17 मार्च से शुरू होगा। इसके लिए दरबार साहिब रंग-बिरंगी रोशनी से नहा चुका है। देश-विदेश से संगतों के आने का क्रम तेज हो चुका है और दरबार साहिब के साथ ही श्री गुरु राम राय मिशन के तमाम स्कूल भी पैक हो चुके हैं। दरबार साहिब प्रबंधन के मुताबिक इस लाखों श्रद्धालु झंडा आरोहण के ऐतिहासिक क्षण के गवाह बनेंगे।

नित्य पूजा-अर्चना के बाद श्री महंत देवेंद्र महाराज ने संगतों को दर्शन दिए। उन्होंने श्रद्धालुओं से श्री गुरु राम राय के बताए मार्ग पर चलकर जीवन में आदर्श स्थापित करने का आह्वान किया। अब तक पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान समेत कई राज्यों से संगत पहुंच चुकी हैं। इसके बाद श्रीमहंत ने झंडे मेले के कुशल संचालन के लिए प्रबंधन और संगत को दिशा-निर्देश भी दिए।

वहीं, दरबार साहिब में सादे और सनील के गिलाफ सिलने का काम भी शुरू हो गया है। दिनभर महिलाएं इस काम में जुटी रहीं। दरबार साहिब के जनसंपर्क अधिकारी भूपेंद्र रतूड़ी ने बताया कि झंडा साहिब पर 41 सादे गिलाफ, 21 सनील के गिलाफ और एक दर्शनी गिलाफ चढ़ाया जाता है।

उन्होंने बताया कि दरबार साहिब की साज-सज्जा का काम पूरा हो चुका है। मंगलवार को मोथरोवाला से नए झंडेजी भी दरबार साहिब लाए जा चुके हैं। उन्हें तराशने का काम चल रहा है।

यहां की गई संगत के ठहरने की व्यवस्था 

श्री गुरु राम राय स्कूल बिंदाल, बॉम्बे बाग, तालाब, मातावाला बाग, रेसकोर्स, राजा रोड समेत शहर की विभिन्न धर्मशालाओं में भी संगतों के रुकने की व्यवस्था की गई है।

सुरक्षा के कड़े इंतजाम 

मेला अधिकारी भगवती प्रसाद सकलानी ने बताया कि सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इसके लिए अस्थायी मेला थाना बनाया जाएगा। इसके अलावा 30 सीसीटीवी कैमरे, चार मैटल डिटेक्टर, चार हैंड मैटर डिटेक्टर की व्यवस्था की गई है। व्यवस्थाएं बनाने में सेवादार भी पुलिस का सहयोग करेंगे।

देहरादून के संस्थापक हैं श्री गुरु राम राय 

श्री गुरु राम राय सिखों के सातवें गुरु श्री गुरु हर राय के ज्येष्ठ पुत्र थे। उनका जन्म होली के पांचवें दिन वर्ष 1646 को पंजाब के जिला होशियारपुर (अब रोपड़) के कीरतपुर में हुआ था। झंडा जी मेले का इतिहास देहरादून के अस्तित्व से जुड़ा है।

श्री गुरु राम राय जी का पदार्पण यहां सन 1676 में हुआ था। उन्होंने यहां की रमणीयता से मुग्ध होकर ऊंची-नीची धरती पर जो डेरा बनाया, उसी के अपभ्रंश स्वरूप इस जगह का नाम डेरादीन से डेरादून और फिर देहरादून हो गया।

उन्होंने इस धरती को अपनी कर्मस्थली बनाया। गुरु महाराज ने दरबार में लोक कल्याण के लिए एक विशाल झंडा लगाकर लोगों को इसी ध्वज से आशीर्वाद प्राप्त करने का संदेश दिया। इसी के साथ झंडा साहिब के दर्शन की परंपरा शुरू हो गई। श्री गुरु राम राय को देहरादून का संस्थापक कहा जाता है। उनके जन्मदिवस के उपलक्ष में ही झंडेजी मेला आयोजित होता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button