भारतीय राष्ट्रगान के रचयिता गुरू रबीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती पर नमन : अजय सोनकर
अजय सोनकर ने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर ने लगभग 2230 गीतों की रचना की और अधिकतर को संगीत भी दिया। इन गीतों को रविंद्र संगीत के नाम से जाना जाता है।
देहरादून। वरिष्ठ भाजपा नेता, प्रसिद्ध जनसेवी एवं वार्ड संख्या 18, इंदिरा कॉलोनी के पूर्व नगर निगम पार्षद अजय सोनकर उर्फ घोंचू भाई ने भारतीय राष्ट्रगान के रचियता गुरू रबीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती पर उन्हें नमन किया।
इस अवसर पर जारी अपने संदेश में जनसेवी अजय सोनकर ने कहा- भारतीय राष्ट्रगान के रचयिता, प्रख्यात कवि एवं साहित्यकार गुरु रबीन्द्रनाथ टैगोर जी की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन।
जनसेवी अजय सोनकर ने टैगोर का जिक्र करते हुए कहा कि देश के राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ के रचयिता रबींद्रनाथ टैगोर का जन्म कोलकाता में 7 मई 1861 को हुआ था। सन 1913 में रविंद्रनाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया। वह भारत के साथ ही एशिया महाद्वीप में नोबेल पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति हैं।
उन्होंने कहा कि, रवींद्रनाथ टैगोर ने सबसे पहले मोहनचंद करमचंद गांधी के लिए ‘महात्मा’ शब्द का प्रयोग किया था। वह एक नेता और व्यक्ति के रूप में गांधीजी के प्रशंसक थे। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से कभी भी गांधी जी की आलोचना नहीं की, लेकिन उनके विचार गांधीजी से पूरी तरह अलग थे। 1901 में रविंद्र नाथ टैगोर ने शांतिनिकेतन में प्रारंभिक स्कूल की स्थापना की, जो आगे चलकर विश्व भारती विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ। वे गुर-शिष्य परंपरा और शिक्षा की गुरुकुल पद्धति के समर्थक थे। वह भारत में गुरुकुल या आश्रम पद्धति की शिक्षा का विकास करना चाहते थे।
अजय सोनकर ने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर ने लगभग 2230 गीतों की रचना की और अधिकतर को संगीत भी दिया। इन गीतों को रविंद्र संगीत के नाम से जाना जाता है। 1905 में उन्होंने बंगाल विभाजन के विरोध स्वरूप ‘अमार सोनार बांग्ला’ गीत की रचना की, जो वर्तमान में बांग्लादेश का राष्ट्रगान है। उन्होंने भारत के राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ की रचना 1911 में की। इसे राष्ट्रगान के रूप में 1950 में अपनाया गया। उनके द्वारा रचित ‘गीतांजलि’ बांग्ला महाकाव्य के रूप में अमर है।