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चेक बाउंसिंग के मामले में निर्दोष पाये जाने पर कोर्ट ने आरोपी को किया बरी

अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता अमित त्यागी ने न्यायालय के समक्ष अभियुक्त को निर्दोष साबित करने हेतु पर्याप्त सबूत पेश किये। न्यायालय द्वारा उभय पक्षों की बहस सुनी गयी। अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता द्वारा तर्क दिया गया है कि अभियुक्त निर्दोष है क्योंकि परिवादी द्वारा दाखिल तथाकथित सबूतों का कोई आधार नहीं है एवं सारे आरोप झूठे व बेबुनियाद हैं।

देहरादून। चैक बाउंसिंग के मामले में निर्दोष पाये जाने पर कोर्ट ने आरोपी शख्स को बरी कर दिया है। कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में आरोपी शख्स को दोषमुक्त करार दिया है। कोर्ट ने अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता अमित त्यागी की ओर से प्रस्तुत किये गए बयानों और सबूतों के मद्देनजर ये फैसला सुनाया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार परिवादी अनुज जैन पुत्र अरूण कुमार जैन, निवासी 49 डाकपट्टी राजपुर देहरादून, ने भरत सिंह पुत्र गोरकु सिंह, निवासी राघव विहार फेज नं. 1 स्मिथ नगर प्रेमनगर थाना कैंट देहरादून के विरूद्ध चैक बाउंसिंग का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज करवाई।

परिवादी अनुज जैन के अनुसार परिवादी भवन निर्माण सामग्री इत्यादि का व्यापार करता है। परिवादी की फर्म जैन सप्लायर देहरादून के राजपुर में एक प्रतिष्ठित प्रतिष्ठान है। अभियुक्त भवन निर्माण सामग्री के व्यापार एवं भवन निर्माण इत्यादि का कार्य करता है। अभियुक्त तरह तरह के अन्य निर्माण करने की ठेकेदारी भी करता है। इस सम्बन्ध में अभियुक्त ने परिवादी से समय समय पर भवन निर्माण सामग्री इत्यादि अपने ठेकेदारी करने व अन्य निर्माण के कार्य करने हेतु, भवन निर्माण सामग्री का विक्रय करने हेतु भवन निर्माण सामग्री इत्यादि परिवादी से उधार ली। अभियुक्त ने धीरे धीरे पैसे देने में टालमटोल करते हुए परिवादी से 5,50,000/- का सामान उधार ले लिया। अभियुक्त ने परिवादी को ठगने के उददेश्य से अपनी मीठी बातो के मोहजाल में फंसाया और अभियुक्त ने परिवादी को आश्वासन दिया कि उसके द्वारा किये जा रहे कई निर्माण कार्यों के भुगतान होने पर सम्पूर्ण 5,50,000/- का भुगतान अपने सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया, जीएमएस रोड शाखा, देहरादून के चैक दिनांक 31-07-2017 के माध्यम से कर देगा। अभियुक्त के आश्वासनों से आश्वस्त होकर परिवादी ने अभियुक्त से चैक संख्या 047032, सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया, जीएमएस रोड शाखा, देहरादून, दिनांक 31-07-2017 प्राप्त कर लिया था। अभियुक्त ने अभियोगी से उधार ली गयी भवन निर्माण सामग्री की धनराशि 5,50,000/- के मूल्य के भुगतान की एवज में परिवादी को उसके निवास स्थान राजपुर देहरादून पर अपने हस्ताक्षर कर अपने व्यक्तिगत दायित्व के निर्वहन मेंं चैक दिया।

परिवादी ने अभियुक्त के आश्वासन से आश्वस्त होकर चैक संख्या 047032 दिनांक 31.07.2017 मु0 5,50,000/-रू0 सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया का चैक ले लिया। जिसे परिवादी नेदिनांक 04.08.2017 को भुगतान हेतु अपने बैंक में प्रस्तुत किया तो उक्त चैक दिनांक 08.08.2017 को खाते में धनराशि न होने के कारण आदृत नहीं हो सका। अभियुक्त के खाते में पर्याप्त निधि का अभाव था, जिसकी सूचना परिवादी को दिनांक 09-08-2017 को अपने बैंक पंजाब एण्ड सिंध बैंक राजपुर रोड देहरादून में जाने पर Retum Memo Report द्वारा हुई। अभियुक्त के खाते मेंं पर्याप्त निधि का अभाव था और अभियुक्त के द्वारा परिवादी को अपनी देय धनराशि की अदायगी में दिया गया उक्त चैक अभियुक्त के खाते मेंं “Fund Insufficient” के कारण अनादृत हो गया। अभियुक्त ने उधार ली गयी निर्माण सामग्री की देय धनराशि 5,50,000/- की अदायगी नही की। परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अभियुक्त को एक नोटिस दिनांक 16-08-2017 को प्रेषित किया था, जिसकी प्राप्ति अभियुक्त को दिनांक 21-08-2017 को हो चुकी है। अभियुक्त द्वारा नोटिस प्राप्ति के 15 दिन के भीतर नोटिस की शर्ता का अनुपालन नही किया और चैक में वर्णित धनराशि का भुगतान नहीं किया। तदोपरांत प्रस्तुत परिवाद संस्थित किया गया।

परिवादी के परिवाद पत्र एवं परिवाद के साथ प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर अभियुक्त को अंतर्गत धारा 138 पराक्रम्य लिखत अधिनयम के अपराध के विचारण हेतु न्यायालय तलब किया गया तथा उसके बयान अंतर्गत धारा 251 द0प्र0सं0 अंकित किये गये। जिसमें अभियुक्त ने परिवादी को देनदारी से इंकार करते हुए कथन किया कि ’’मैंने ब्लैंक साईन्ड चैक प्रतिवादी को दिया था। डिटेल्स परिवादी ने भरी है। मेरे चैक का गलत इस्तेमाल किया गया। मेरी कोई देनदारी नहीं है। मैं इंग्लिश लिखना-पढ़़ना नहीं जानता हूं।’’ अभियुक्त द्वारा विचारण किये जाने की याचना की गयी।

केस की सुनवाई तृतीय अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट देहरादून, उपस्थित : कपिल कुमार त्यागी, उत्तराखण्ड न्यायिक सेवा परिवाद संख्या : 4417/2017 के तहत की गई। इस मामले को लेकर परिवादी के विद्वान अधिवक्ता सुधीर कुमार मित्तल एवं अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता अमित त्यागी के बीच कईं बार की तीखी बहस हुई। जिरह के दौरान दोनो पक्षों के अधिवक्ताओं ने अपने मुवक्कीलों के पक्ष में साक्ष्य प्रस्तुत किये। किन्तु परिवादी के विद्वान अधिवक्ता सुधीर कुमार मित्तल परिवादी की ओर से कोई ठोस साक्ष्य पेश नहीं कर पाये। वहीं अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता अमित त्यागी ने न्यायालय के समक्ष अभियुक्त को निर्दोष साबित करने हेतु पर्याप्त सबूत पेश किये। न्यायालय द्वारा उभय पक्षों की बहस सुनी गयी। अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता द्वारा तर्क दिया गया है कि अभियुक्त निर्दोष है क्योंकि परिवादी द्वारा दाखिल तथाकथित सबूतों का कोई आधार नहीं है एवं सारे आरोप झूठे व बेबुनियाद हैं। अभियुक्त की ओर से विद्वान अधिवक्ता अमित त्यागी द्वारा यह तर्क दिया गया है कि अभियुक्त ने परिवादी को सिक्योरिटी के तौर पर दो ब्लैंक चैक दिए। उसने नोटबंदी के समय सारी पेमेंट कर दी। नोटबंदी के वक्त वो ब्लैंक चैक वापस नहीं ले पाया। परिवादी के साक्ष्य से यह तथ्य साबित नहीं होता है कि अभियुक्त की परिवादी के प्रति विधिक देनदारी है। अतः उसे इस मामले मेंं दोषमुक्त किया जाए।

दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं की दलीलों व कईं बार की बहस को सुनने के पश्चात कोर्ट ने परिवादी द्वारा प्रस्तुत सबूतों को अपर्याप्त व निराधार माना। जिसके बाद कोर्ट ने निर्णय सुनाया कि अभियुक्त भरत सिंह को धारा 138 परक्राम्य लिखित अधिनियम के आरोप से दोषमुक्त किया जाता है। अभियुक्त का व्यक्तिगत बन्ध पत्र एवं जमानत पत्र निरस्त किया जाता है एवं उसके जमानतियो को उत्तर दायित्व से अनुमोचित किया जाता है। अभियुक्त द्वारा धारा 437क द0प्र0सं0 के अन्तर्गत प्रस्तुत व्यक्तिगत बन्धपत्र एवं जमानत प्रपत्र आज निर्णय की तिथि से आगामी छः माह की अवधि तक प्रवृत रहेगें और इस दौरान माननीय उच्चतर न्यायालय मेंं अपील न होने पर स्वतः निरस्त समझे जायेंगे।

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