सरदार वल्लभ भाई पटेल की 149 वीं जयंती पर अर्पित की पुष्पांजलि
इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर आयरन लेडी को याद करते हुए इन्हें भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
देहरादून। सरदार पटेल की देशभक्ति, ईमानदारी, चरित्र, नैतिकता, आदर्शों से यदि आज के नेता प्रेरणा लेकर अपने को जनता के सामने ला पाए ला पाए तो श्रद्धासुमन के यही असली मायने होंगे। उत्तराखंड को भ्रष्टाचार, माफियावाद, बेईमानी, झूठे जनप्रतिनिधियों से आजाद कराना आज की आवश्यकता बन गया है। ये विचार राष्ट्रीय एकता दिवस पर संयुक्त नागरिक संगठन के तत्वाधान में पटेल पार्क में लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 149 वीं जयंती पर आयोजित पुष्पांजलि के दौरान शामिल लोगों के थे।
इसमें पूर्व सैन्य अधिकारियों, राज्य सरकार के सेवानिवृत अधिकारियों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवारों, राज्य आंदोलनकारी, पर्यावरण प्रेमीजन, मैड तथा पैडलर टीम के युवाओं तथा सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
पुष्पांजलि अर्पित करते हुए वक्ताओं ने यहां सरदार पटेल की सादगी और ईमानदारी का उदाहरण देते हुए बताया कि इनके गृहमंत्री के कार्यकाल के दौरान उनकी बेटी मणिबेन घर में चरखा कातकर जो सूत बटती थी उनसे अपने पिता के धोती कुर्ता बनाती थी।जब यह फट जाते थे तो इनसे अपना कुर्ता धोती बनाकर पहनती थी। खादी भंडार से यह कपड़े नहीं खरीद पाते थे। बेटी थेगली लगी धोती पहना करती थी। सरदार पटेल के चश्में की एक कमानी में धागा बंधा होता था और हाथ घड़ी भी बरसों पुरानी होती थी। ऐसे देशभक्त, ईमानदार, चरित्रवान, नैतिकता के प्रतिक देशभक्त से यदि आज के नेता कुछ सीख ले पाए तो देश को भ्रष्टाचार, माफियावाद, बेईमान, झूठे नेताओं से मुक्ति दिलाई जा सकती है।
यहां एक संस्मरण याद करते हुए सुशील त्यागी ने बताया कि एक बार अचानक पटेल के घर में पूर्व सांसद महावीर त्यागी गए तो इनको बहुत गुस्सा आ गया। मैंने थेगली लगी धोती पहने बेटी को देखकर कहा कि शर्म नहीं आती। तुम एक महान देशभक्त की बेटी हो जिसने अखंड भारत की स्थापना में महान योगदान दिया है। बेटी बोली की शर्म तो बेईमान, झूठे नेताओं को आनी चाहिए मुझे क्यों आएगी?
इस अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर भी वक्ताओं में भारत-पाकिस्तान युद्ध में एडम में साहस का परिचय देने वाली आयरन लेडी को याद करते हुए इन्हें भी अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
कार्यक्रम में शामिल दूनवासियों में तन्मय मंगाई, ठाकुर शेर सिंह, दिनेश कुमार, प्रभास, अमर सिंह धुनता, दीप चंद शर्मा, चंद्र गुप्त मौर्य, शशांक गुप्ता, आर्यन कोहली, मोहन सिंह खत्री, अक्षिता सजवान, आलोक गोयल, नरेश चंद्र कुलाश्री, सुरेंद्र सिंह थापा, खुशबीर सिंह, सुशील भंडारी, अशोक बल्लभ शर्मा, लेफ्टिनेंट कर्नल बीएम थापा, ब्रिगेडियर के जी बहल, जगमोहन मेहंदीरता, कर्नल विक्रम सिंह थापा, प्रदीप कुकरेती, कैप्टन वाईबी थापा, मुकेश नारायण शर्मा, सुशील त्यागी, गजेंद्र सिंह रमोला, अभिषेक, त्रिलोक छेत्री, बृजेश चावला, अमन छेत्री, अंकुर सैनी, भास्कर, राजेंद्र शाह, प्रकाश नागिया, चंदन सिंह नेगी, विष्णु गुप्ता, तारा चंद गुप्ता, सुरेंद्र सिंह थापा, गोपाल छेत्री, उदवीर सिंह पवार, सुरेश राणा, सूर्य सिंह रावत, पदम सिंह थापा, बाल कृष्ण बराल, शक्ति प्रसाद डिमरी, मधु सूदन शर्मा, जितेंद्र डंडोना, अवधेश शर्मा, दीप सिंह पालीवाल एवं अवधेश पंत आदि थे।
कार्यक्रम के अंत में पटेल पार्क की दुर्दशा गंदगी पर जनप्रतिनिधियों तथा एमडीडीए द्वारा उपेक्षा बरते जाने पर समाजसेवियों ने आक्रोश व्यक्त किया। इनका कहना था, जब राष्ट्रीय एकता दिवस पर पूरे देश में कार्यक्रम सरकार द्वारा आयोजित किए जा रहे हैं तब ये हालात बयान कर रहे हैं कि पटेल को याद करना एक औपचारिकता मात्र बन गई है।