स्वाइन फ्लू की चपेट में आयी बच्ची ने तोड़ा दम
देहरादून। उत्तराखण्ड में स्वाइन फ्लू तेजी से पैर पसार रहा है जिसे रोकने में स्वास्थ्य महकमा पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है। स्वाइन फ्लू का कहर बढ़ता जा रहा है यह बीमारी कई लोगों को अपनी जद में ले रही है। अब उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ निवासी चार साल की एक बच्ची की स्वाइन फ्लू से मौत होने की बात सामने आई है। बच्ची का दून के वैश्य नर्सिंग होम में उपचार चल रहा था। ऐसे में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या अब 14 पहुंच गई है। गत दिवस स्वाइन फ्लू के तीन और मामले सामने आए हैं। इसमें एक बच्ची का इलाज वैश्य अस्पताल में चल रहा था। बीते नौ अगस्त को बच्ची की मौत अस्पताल में हो गई थी। हालांकि, दो दिन बाद आई रिपोर्ट में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई।
वहीं, रायपुर रांझावाला निवासी 32 वर्षीय महिला में भी स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। महिला मैक्स अस्पताल में भर्ती है। इसके अलावा दून अस्पताल में भर्ती धर्मपुर निवासी नौ वर्षीय बच्ची में भी स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। इस साल अभी तक स्वाइन फ्लू के 75 मामले सामने आ चुके हैं। वर्तमान में 26 मरीज विभिन्न अस्पताल में भर्ती हैं। जिसमें 11 हिमालयन अस्पताल, सिनर्जी में पांच, दून अस्पताल में दो, वैश्य में चार और कैलाश अस्पताल में चार मरीज शामिल हैं।
स्वाइन फ्लू के साथ ही अब डेंगू भी पैर पसार रहा है। गुरुवार को चार और मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इसमें दो मरीज हरिद्वार के हैं। इसके अलावा एक अन्य मरीज दून के बंजारावाला का रहने वाला है। जबकि, चौथा मरीज जनपद चमोली से है। अभी तक डेंगू के 22 मामले आ चुके हैं। सबसे ज्यादा 16 मामले हरिद्वार जनपद के हैं। देहरादून के पांच और एक मरीज उप्र से है। राज्य में स्वाइन फ्लू का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है, पर अब तक सरकार प्रदेश में इसकी जांच की भी व्यवस्था नहीं कर पाई है। इसका सैंपल स्वास्थ्य विभाग दिल्ली स्थित लैब में भेजता है। दून मेडिकल कॉलेज में जांच के लिए मशीन नहीं है, जबकि श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में दो पीसीआर मशीनें पड़ी-पड़ी धूल फांक रही हैं।
प्रदेश में स्वाइन फ्लू के मरीज रोजाना सामने आ रहे हैं। लेकिन, इनकी जांच में व्यवस्था विघ्न डाल रही है। दिल्ली की लैब से आने वाली रिपोर्ट में काफी समय लगता है। ऐसे एकाध नहीं कई मरीज हैं जिनमें स्वाइन फ्लू की पुष्टि उनकी मौत के बाद हुई। राज्य में स्वाइन फ्लू की पुष्टि के लिए होने वाली आरटी पीसीआर जांच की सुविधा किसी भी सरकारी अस्पताल में नहीं है। शहर में सिर्फ एक प्राइवेट अस्पताल यह जांच मुहैया करा रहा है, लेकिन, वहां जांच काफी महंगी है। जबकि दिल्ली स्थित सरकारी प्रयोगशाला में जांच मुफ्त होती है।
स्वास्थ्य विभाग जांच के लिए सैंपल दिल्ली भेजता है जहां से रिपोर्ट चार से पांच दिन में आती है। ऐसे में मरीज को सही इलाज मिलने में देरी होती है। इस समस्या से निजात पाने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य में ही जांच की व्यवस्था किए जाने के निर्देश दिए थे। इस पर दून मेडिकल कॉलेज में जांच शुरू करने की बात कही गई। दिक्कत यह कि इसके लिए जो मशीन चाहिए वह मेडिकल कॉलेज में नहीं है। जबकि श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में मशीन बिना इस्तेमाल किए पड़ी है।
चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया कि श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में दो पीसीआर मशीन हैं। इनमें एक ऑटोमेटिक व एक मैन्युअल है। कॉलेज के प्राचार्य को इस संदर्भ में पत्र भेजा गया था। जिन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन मशीन पर जांच शुरू की जा रही है। ऐसे में दून मेडिकल कॉलेज के लिए नई मशीन क्रय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।