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रोहिंग्या मुसलमानों को आतंकी बनाएगा पाकिस्तान!

नई दिल्ली। पाकिस्तानी सुन्नी नेता जलाली ने भारत को धमकी देते हुए कहा है कि वे एक लाख रोहिंग्या मुसलमानों को आतंक की ट्रेनिंग देकर भारत में घुसायेंगे और भारत में आतंक का नंगा नाच करेंगे। इस सूचना पर भारत सरकार समेत ख़ुफ़िया एजेंसियों में हड़कम्प मच गया है। इस पर म्यांमार के रिफ्यूजी रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि उन्हें किसी भी तरह वापस भेजने की कोशिश की जाएगी। हालांकि इस बयान के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार की आलोचना होने लगी है। वहीँ म्यामार की वरिष्ठ राजनेता आंग सान सू की ने अपने ताज़ा बयान में कहा है कि रोहिंग्या मुस्लिमों के आतंकियों से संबन्ध हैं।

सरकार को यह कदम रोहिंग्या के आतंकवादियों से संबंधों के कारण उठाना पड़ा है। इतना ही नहीं इनके तार पाकिस्तान के आतंकी सरगना हाफिज सईद से भी जुड़े होने के सबूत हैं। यह वही हाफिज सईद है जो भारत के खिलाफ हमले करने का एक भी मौका छोड़ना नहीं चाहता।

मूल रूप से म्यांमार के रखाइन प्रांत से ताल्लुक रखने वाले रोहिंग्या मुसलमानों पर म्यांमार में भी पुलिस बल पर आतंकी हमले करने का आरोप है।  इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप (आईसीजी) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार 2016 में म्यांमार के रखाइन प्रांत में पुलिस बल पर घात लगा कर हमला किया गया जिसमें 9 पुलिसकर्मी मारे गए। इस हमले की जिम्मेदारी रोहिंग्या मुसलमानों की हराका-अल-यकीन नमक गुट ने ली थी। आईसीजी की रिपोर्ट की माने तो इस आतंकी संगठन के तार सऊदी अरब और पाकिस्तान से जुड़े हैं।

आईसीजी रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान और अफगानिस्तान समेत कई देशों में लड़ चुके रोहिंग्या लड़ाके गुपचुप तरीके से म्यांमार के गांवों में लोगों को आतंकवाद की ट्रेनिंग दे रहे हैं। हराका अल याकीन इन कैंपों में रोहिंग्या युवकों को स्वचालित हथियारों को चलाने और आईईडी विस्फोटों की ट्रनिंग दे रहे हैं।

रिपोर्ट के अनुसार हराका गुट के संस्थापक अताउल्लाह का जन्म पाकिस्तान के कराची शहर में हुआ है। वह अपने इस आतंकी गुट का संचालन सउदी अरब से करता है। हराका के तालिबान और आईएसआईएस और भारतीय उप महाद्वीप में अल कायदा जैसे आतंकी संगठन से करीबी संबंध हैं। माना जाता है कि सउदी जाने से पहले अताउल्लाह अपने गुट का संचालन पाकिस्तान से ही करता था।

रोहिंग्या का हाफिज सईद से संबंध
आपसी कलह के कारण रोहिंग्या कई देशों में गए। सबसे बड़ी संख्या में ये इंडोनेशिया पहुंचे जहां वे पाकिस्तानी आतंकवादी हाफिज सईद और उसके द्वारा संचलित आतंकी संगठन जमात उल दवा के संपर्क में आए। शरणार्थियों के राहत कार्य के बहाने जमात ने रोहिंग्या युवकों के बीच खाने-कपड़े और दवाई वितरित किए और इसी माध्यम से आतंकियों का टैलेंट हंट भी पूरा किया। सूत्रों के अनुसार इन रिफ्यूजी कैंप्स में हाफिज ने लगातार पांच सालों तक काम किया और इस दौरान उसने हजारों युवकों की भर्ती की।

रोहिंग्या के आल कायदा से संबंध

2013 से अलकायदा ने अपनी नजर पूर्वोत्तर भारत, बांग्लादेश,  थाईलैंड, श्रीलंका और म्यांमार में अपने विसतार पर टिका दी थी। इन क्षेत्रों में अलकायदा के विस्तार का जिम्मेदारी पाकिस्तानी आतंकवादी उस्ताद फारुख को सौंपी गई। तकरीबन इसी समय असाम की खुफिया एजेंसी ने  भारत सरकार को सतर्क किया था कि आईएसआईएस व अन्य आतंकी संगठन असम व म्यांमार के युवकों को भर्ती करने की कोशिश में लगी है।

कश्मीर तक फैले हैं रोहिंग्या आतंकी
यह रिपोर्ट आई थी कि अका मुल मुजाहिदीन, एएमएम नाम के रोहिंग्या आतंकी संगठन का कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों जैशे मोहम्मद और लश्करे तैय्यबा से सांठगांठ है। अका मुल मुजाहिदीन, म्यांमार के आतंकी संगठन हरकत-उल-जिहादी इस्लामी-अरकान का जुड़वा संगठन है। 2015 में कश्मीर में एक मुठभेड़ में छोटा ब्रूमी नामक आतंकी मारा गया था जो मूल रूप से म्यांमार का रहने वाला रोहिंग्या मूल का था। सूचना यह भी थी कि ब्रूमी को कश्मीर तक पहुंचाने में हाफिज सईद की निर्णयक भूमिका थी।

रोहिंग्या के समर्थन में आतंकियों का फरमान

कश्मीर के आतंकियों से रोहिंग्या मुसलमानों के तार किस कदर जुड़े हुए हैं यह इससे साबित हो जाता है कि जैसे ही भारत सरकार ने इन्हें भारत से वापस भेजने की बात की, अलकायदा के पूर्व आतंकवादी जाकिर मूसा ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को धमकी दे डाली। यह वही जाकिर मूसा है जिसने कुछ दिनों पले कहा था कि कश्मीर में चल रही लड़ाई कश्मीरियत की नहीं बल्कि जिहाद है। इसके बाद मूसा ने अंसार गजवत उल हिंद नाम से अलग आतंकवादी संगठन बना लिया था।

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