देहरादून। सयुंक्त नागरिक संगठन की पहल पर ‘पर्यावरण संरक्षण मे जनसहयोग’ विषय पर मंथन सभागार मे हुआ संवाद।इसमे मुख्य वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन, अपर सचिव वन कहकशा नसीम, वन संरक्षक राजीव धीमान, डीएफओ नीरज शर्मा शामिल हुए।
संवाद में डा. धनंजय मोहन ने कहा कि वनों के संरक्षण और संवर्धन में जनसहयोग को सुनिश्चित बनाने के लिए सभी स्तर पर प्रयास किये जायेगे।संचालन संगठन के सचिव सुशील त्यागी ने किया। इस अवसर पर पर्यावरण प्रेमियो ने कहा उत्तराखंड मे अतिक्रमित 11814 वनभूमि से अबतक 1380 हेक्टेयर भूमि ही इससे मुक्त करायी जा सकी है।शेष दसहजार अतिक्रमण की चपेट मे आयी वनभूमि के रहते उत्तराखंड को प्रतिपूरक वृक्षारोपण हेतु अन्य राज्यो मे भूमि तलाश करना गंभीर चिंता का विषय है। योगी के बुलडोजर को लेकर इस भूमि को पुलिस एसडीआरएफ के सहयोग से इसे खाली कराया जाना राज्य के हित मे है। इनका सुझाव था की पहाड़ मे सड़कों के चौड़ीकरण, चार धाम मोटर मार्ग, नए दून दिल्ली एक्सप्रेस वे में काटे गए लाखों पेड़ों के बदले इन सड़कों के किनारे छायादार फलदायी वृक्ष नही रोपित किये गये है। भूस्खलन, भू-धसाव को रोकने के लिए यह जरूरी है की जनसहयोग से यहा हरेला मे व्यापक अभियान चलाया जाए।
दून वासियो की मांग थी कि दून मे रिस्पना बिंदाल नदियों के किनारे रिवर डेवलपमेंट फ्रंट योजना में विकसित 05 किलोमीटर भूमि पर वन-विभाग हजारों पेड़ों का वृक्षारोपण कर अर्बन फॉरेस्ट विकसित किया जाना चाहिए। वक्ताओं ने कहा उत्तराखंड मे विगत वर्षों में हुए वनाग्नि काण्ड में हजारों एकड़ वन क्षेत्र राख बन गया। पशुपक्षियो सहित जानमाल की बर्बादी हुई। इस विनाश को रोकने मे जनसहयोग अनिवार्य बनाया जाए। पहाड़ों में जल संरक्षण हेतु बनाए जाने वाले चालखाल में जनसहयोग को जोड़ने का भी सुझाव यहा दिया गया। शहर मे और शहर के बाहर सडको के किनारे किनारे वृक्षारोपण और संरक्षण हेतु ट्री गार्ड उपलब्ध कराने की योजना बनाई जानी चाहिए। सबसे पहले शहर मे पुराने पेडो के सफाये से श्मशान बनी सहस्रधारा रोड, हरिद्वार बाई पास रोड, चकराता रोड, सहारनपुर रोड, रिस्पना से आगे हरिद्वार रोड, आदि को पहले की तरह हरा भरा करने की योजना मे खुद पहल करनी चाहिए।इसमे आमजन तथा अन्य विभागो का भी सहयोग उपयुक्त रहेगा।
मुख्य वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन ने अन्त में अपने सम्बोधन में सयुंक्त नागरिक संगठन की पहल का आभार व्यक्त करते हुये कहा कि समाज में हमें आपस में समन्वय बनाकर या सुझावों के माध्यम से और मानव को स्वयं ही पहल करनी होगी। हमने बाहरी वनों से आच्छादित क्षेत्र में बेहतरीन बढ़ोतरी की हैं जबकि अर्बन क्षेत्र में आबादी के बढ़ते घनत्व के कारण काफी वनों को नुकसान हुआ हैं। सयुंक्त नागरिक संगठन के साथ विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों द्वारा हमें बहुत अच्छे सुझाव जो आज मिले हैं वन लगाने से लेकर वन बचाने तक व साथ ही वनाग्नि बचाने और अन्य संस्थाओं के साथ समन्वय बनाकर वन विभाग प्रगति की ओर बढ़ेगा।
उनके साथ वन संरक्षक राजीव धीमान व जिला वन अधिकारी नीरज शर्मा के साथ ही अपर सचिव वन कहकशा नशीन ने भी अपने विचार व धन्यवाद प्रकट किया।
संवाद में ब्रिगेडियर के. जी. बहल, सुशील त्यागी, डॉ. ब्रिज मोहन शर्मा, नवीन कुमार, सदाना, प्रदीप कुकरेती, मनोज ध्यानी, कर्नल विक्रम सिंह थापा, देवेन्द्र पाल मोंटी, जगदीश बावला, जी. सी. भट्ट, पदम सिंह थापा, चंदन सिंह नेगी, खुशवीर सिंह, प्रकाश नागिया, यशवीर आर्य, जी. एस. जस्सल, अवधेश शर्मा, प्रिंस कपूर, परमजीत सिंह कक्कड़, पी. सी. नागिया, बिश्म्बर दत्त बजाज, अब्बास, कर्नल वी. एस. थापा, अखिलेश अन्थ्वाल, नीरज उनियाल, जस्मिन्दर कौर जस्सल, जीतमणि पैन्युली आदि शामिल थे।
कार्यक्रम के समापन पर वृक्षारोपण हेतु पीसीसीएफ डॉ. धनंजय ने संवाद मे शामिल अतिथिगण को अनेक प्रकार के उपयोगी पौधे भेंट करते हुए आशा व्यक्त की कि आगामी हरेला महोत्सव को सफल बनाने के लिए सभी दूनवासी एक एक पौधा जरूर लगायेगे।