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आखिर मोदी जी को ऐसा क्या दिखा स्मृति में जो हेमा में नहीं: आज़ाद अली

देहरादून। भारतीय जनता पार्टी की दो महिला नेत्रियों को पार्टी के भीतर दी गयी अहम जिम्मेदारियों और ओहदों को लेकर किये गए पक्षपात पर उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश सचिव आज़ाद अली ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने सीधे तौर पर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने स्मृति ईरानी पर फिर से भरोसा जताते हुए उन्‍हें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का अतिरिक्‍त प्रभार दिया है। अभी उनके पास कपड़ा मंत्रालय की भी जिम्‍मेदारी है। इस तरह उनके पास दो विभागों की जिम्‍मेदारी हो गई है।

मॉडलिंग से अपना करियर शुरू करने वाली स्मृति ईरानी के पास आज सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय जैसे अहम विभाग की जिम्‍मेदारी है। वहीं दूसरी ओर वर्षों से भाजपा से जुड़ी रहीं पार्टी की बड़ी नेता और सांसद हेमा मालिनी बीते कई सालों से पार्टी की सेवा करने के बावजूद भी पार्टी के भीतर उपेक्षा की शिकार बनी हुई हैं।

आज़ाद अली ने कहा कि आखिर मोदी जी को ऐसा क्या दिखा स्मृति ईरानी में जो हेमा मालिनी में नही। उन्होंने कहा कि छोटे पर्दे पर ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ में तुलसी का किरदार निभाने वाली स्मृति ईरानी अभिनय और राजनीति में हर लिहाज से हेमा मालिनी के सामने उन्नीस हैं, जबकि हेमा इक्कीस। बावजूद इसके मोदी जी की स्मृति पर ज्यादा कृपा है।

यदि राजनीति की ही बात की जाय तो स्मृति ने 2003 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। इसके बाद उन्‍होंने दिल्ली की चांदनी चौक संसदीय सीट से चुनाव लड़ा लेकिन कांग्रेस के उम्मीदवार कपिल सिब्बल के सामने वह हार गईं। 2004 में उन्हें नई जिम्‍मेदारी दी गई और महाराष्ट्र यूथ विंग का उपाध्यक्ष बनाया गया। उन्हें पार्टी ने पांच बार केंद्रीय समीति के कार्यकारी सदस्य के रुप में मनोनीत किया और राष्ट्रीय सचिव के रूप में भी नियुक्त किया।

2010 में स्मृति को बीजेपी महिला मोर्चा की कमान सौंपी गई, 2011 में उन्‍हें गुजरात से राज्यसभा सांसद चुना गया। 2014 में स्मृति ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और बुरी तरह ये चुनाव हार गईं। लोस चुनाव हारने के बाद बीजेपी सरकार में उन्‍हें सीधे कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर मानव संसाधन जैसा अहम मंत्रालय दिया गया। जो कई सवालों को जन्म देता है।

बावजूद इसके हेमा मालिनी ने 2004 में भाजपा का दामन थामा और चुनाव भी जीती हैं। हेमा मालिनी वर्तमान में मथुरा (उत्तर प्रदेश) से लोकसभा की सांसद हैं। वहीं ईरानी ने 26 मई को मानव संसाधन मंत्री के तौर पर शपथ ली थी, लेकिन उनकी शैक्षणिक योग्यता को लेकर सवाल खड़े हुए।

आज़ाद अली ने कहा कि अपनी किरकिरी होते देख प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे मानव संसाधन मंत्रालय लेकर उन्‍हें कपड़ा मंत्रालय की जिम्‍मेदारी दे दी। अब फिर से पीएम मोदी ने स्मृति ईरानी को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की जिम्‍मेदारी दी है जो एक ओर कई सवालों को जन्म देता है वहीं भाजपा में रहते हुए हेमा मालिनी के साथ हो रहे अन्याय को भी दर्शाता है।

आज़ाद अली ने कहा कि कई बार मीडिया में स्मृति के पीएम मोदी और अमित शाह से करीबी रिश्तों को लेकर खबरें छपती रहती हैं। कहीं ये ही वजह तो नहीं जो मोदी और शाह स्मृति पर इतने मेहरबान हैं। आज़ाद अली ने कहा कि पीएम मोदी और अमित शाह के इरादों को देखकर तो ऐसा ही प्रतीत हो रहा है कि भाजपा के भीतर हेमा मालिनी का हाल भी कहीं एल.के. आडवाणी जैसा न हो जाये।

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