आसमानी आफत ने मचाई तबाही, बादल फटने से भारी नुकसान
उत्तरकाशी। उत्तराखंड में बादल फटने का सिलसिला बरकरार है। चमोली के बाद अब उत्तरकाशी के यमुनोत्री धाम और मोरी ब्लाक में बादल फटने से जबरदस्त नुकसान हुआ है। मुख्य मंदिर को जोडऩे वाले दो पैदल पुलों में से एक बह गया है। काली कमली धर्मशाला का आधा हिस्सा और पांच दुकानें यमुना में समाने के साथ ही गरम पानी के कुंड मलबे से पट गए।
मंदिर परिसर में बने स्नान घाट के अलावा कुछ कमरे भी तबाही की भेंट चढ़ गए। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने बताया कि मुख्य मंदिर पूरी तरह सुरक्षित है और धाम में ठहरे 11 तीर्थ यात्रियों और 10 तीर्थपुरोहितों समेत 60 लोगों को सुरक्षित जानकीचट्टी पहुंचा दिया गया है। डीएम ने बादल फटने की घटना से इन्कार करते हुए कहा कि यह अतिवृष्टि और भूस्खलन के कारण ऐसा हुआ है। उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के साथ ही पुलिस और प्रशासन की टीम मौके पर हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार बादल फटने की यह घटना यमुना के उद्गम स्थल कालिंदी पर्वत के सप्तऋषि कुंड में हुई। यमुनोत्री में सोमवार रात करीब 11 बजे से ही बारिश शुरू हो गई थी। बताया जा रहा है कि रात ढाई बजे से तीन बजे के बीच तेज धमाके की आवाज से लोगों की नींद टूट गई। काली कमली धर्मशाला में कैंटीन संचालक और स्थानीय नागरिक जयपाल सिंह पंवार ने बताया कि बाहर निकले तो देखा यमुना में जल प्रलय आ गई हो। देखते ही देखते उफनती नदी धर्मशाला के आधे भाग को बहा ले गई। यमुना में आया मलबा धाम के दोनों गरम कुंडों में जा घुसा। इसके अलावा परिसर में वीआइपी हॉल, दो गेस्ट रूम, यमुनोत्री मंदिर के भंडारे का स्टोर और प्रसाद का स्टॉल भी तिनकों की मानिंद लहरों में समा गया।
पंवार के मुताबिक धाम में इन दिनों यात्रियों की संख्या बेहद सीमित है। ज्यादातर यात्री दर्शनों के बाद रात्रि विश्राम के लिए जानकीचट्टी लौट जाते हैं। यही वजह थी जान का नुकसान नहीं हुआ। काली कमली धर्मशाला में कोई यात्री नहीं था। यात्री यमुना धर्मशाला में ठहरे थे, जिसे नुकसान नहीं पहुंचा। उन्होंने बताया कि दहशतजदा सभी लोग सुरक्षित स्थान की ओर भागे। सुबह एसडीआरएफ के जवानों उन्हें वापस जानकीचट्टी लाए।
यमुनोत्री धाम प्रमुख पड़ाव जानकीचट्टी से पांच किलोमीटर दूर है। यह दूरी पैदल ही नापनी होती है। मौके पर पहुंचे जिलाधिकारी डॉ. आशीष जोशी और उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक ददन पाल ने बताया कि पैदल मार्ग का 50 मीटर भाग जबरदस्त भूस्खलन की भेंट चढ़ गया है। उन्होंने बताया कि अब वैकल्पिक मार्ग तैयार किया जा रहा है। प्रमुख पड़ाव जानकीचट्टी में यमुना के कटाव के कारण 10 अस्थाई दुकानें भी भूस्खलन की जद में हैं। आशंकित खतरे के मद्देनजर दुकान स्वामियों ने यह स्थान खाली कर दिया है।
बादल फटने की दूसरी घटना उत्तरकाशी जिले के मोरी तहसील में हुई। जिला मुख्यालय से करीब 200 किलोमीटर दूर स्थित इस इलाके में सुबह साढ़े पांच बजे अलनिया नाले में आया उफान बरी गांव पर भारी पड़ा। तहसीलदार माधोराम ने बताया कि उफान में दो पुलिया, छह घराट और एक पनचक्की बहने के साथ ही खेतों मलबे से पट गए हैं। उन्होंने बताया कि भूस्खलन से गांव के चार मकानों पर खतरा बना हुआ है। तहसीलदार के मुताबिक राजस्व टीम मौके पर है और नुकसान का आकलन किया जा रहा है।
लगातार बारिश के कारण चार धाम यात्रा मार्गों पर मलबे के कारण यातायात बाधित रहा। सुबह बदरीनाथ हाईवे पर तीन और केदारनाथ हाईवे दो स्थानों पर मलबा आने से बंद रहे। हालांकि दोपहर तक यातायात सुचारु कर लिया गया था। इसके अलावा मलबा आने से गंगोत्री हाईवे नौ और यमुनोत्री सात घंटे बंद रहा। इसके अलावा चमोली जिले के रौल गांव में भूस्खलन से मलबे की चपेट में आने से दो गोशालाएं क्षतिग्रस्त हो गईं। प्रदेश में चार दर्जन से अधिक मार्ग मलबा आने से बंद हैं।
मौसम विभाग ने गुरुवार के लिए भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के मुताबिक प्रदेश में बुधवार को हल्की से मध्यम वर्षा के आसार हैं, लेकिन 19 जुलाई को मौसम फिर परीक्षा ले सकता है।
पहले भी फटे हैं यमुनोत्री में बादल:
-वर्ष 2004- धाम में बादल फटने से जबरदस्त भूस्खलन, छह लोगों की मौत
-वर्ष 2007-यमुनोत्री मंदिर के निकट बनी थी झील
वर्ष 2013- बादल फटने से यमुना में उफान, घाट बहे